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MP Election 2023: मध्य प्रदेश चुनाव में टिकट दावेदारों के लिए मुसीबत बना ये फॉर्मुला! परेशान हैं कैंडिडेट

Bhopal News Madhya Pradesh Election: कई तरह के हालातों के बाद अब पार्टी कह रही है कि सर्वे के आधार पर टिकट देंगे. ऐसे में अब यह आशंकाएं जोर पकड़ रही हैं क्या वाकई में सर्वे से टिकट मिलेगा या नेता का संरक्षण हासिल व्यक्ति को.

सांकेतिक तस्वीर
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Shwetank Ratnamber|Updated: Jul 30, 2023, 02:10 PM IST

MP Assembly election 2023: मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के चुनाव में दावेदारों की संख्या राजनीतिक दलों के लिए चुनौती बनी हुई है. लिहाजा दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा ने सर्वे के फार्मूले को अपनाने का फैसला किया है. पार्टी के इन्हीं फैसलों ने दावेदारों के माथे पर चिंता की लकीरें गहरी कर दी हैं. इस साल के अंत में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए आसान नहीं है. इस बात से पार्टी नेतृत्व वाकिफ है, लिहाजा वह चुनाव में उन्हीं उम्मीदवारों पर दांव लगाने का मन बना चुकी है जो जिताऊ होंगे.

BJP-Congress ने बनाया ये फॉर्मूला

यही कारण है कि दोनों राजनीतिक दल अपने अपने स्तर पर विधानसभा बार सर्वे करा रहे हैं. राज्य में वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को 114 पर जीत मिली थी तो वहीं भाजपा 109 पर आकर ठहर गई. पूर्ण बहुमत कंग्रेस को नहीं मिला, मगर समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से उसकी सरकार बनी.कांग्रेस की सरकार लगभग 15 माह चली और आपसी खींचतान के चलते ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में 22 विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया और इसी के चलते कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई.

फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रहे राजनीतिक दल

दोनों ही राजीतिक दल वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव और उसके बाद हुए नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों को ध्यान में रखकर आगामी समय में होने वाले विधानसभा चुनाव में फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है. वहीं दावेदार राज्य की राजधानी से लेकर दिल्ली तक पार्टी मुख्यालय और राजनेताओं के चक्कर लगाने में लगे हैं. पार्टी के नेता इन दावेदारों को लगातार यही कह रहे हैं कि सर्वे में जिसका नाम आएगा, उसे ही पार्टी उम्मीदवार बनाएगी.

उम्मीदवारों की मुश्किल

कांग्रेस और भाजपा के तमाम बड़े नेता यह स्वीकार कर चुके है कि पार्टी सर्वे करा रही है और जिस भी व्यक्ति का नाम सर्वे में आएगा उसे ही उम्मीदवार बनाया जाएगा. परिवारवाद और राजनेताओं के संरक्षण मात्र पर टिकट हासिल करना गारंटी नहीं होगा, यह भी बार-बार दोहराया जा रहा है. कई स्थानों पर तो नेता दावेदारों को एक साथ बैठकर कसमें भी खिला रहे हैं कि पार्टी जिसे उम्मीदवार बनाएगी, उसका साथ देंगे.

बीते तीन साल से चुनाव की तैयारी में लगे एक दावेदार का कहना है कि बीते दो चुनावों से पार्टी के सामने अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं मगर उन्हें पार्टी ने उम्मीदवार नहीं बनाया. वहीं दूसरी ओर बडे़ राजनेता के संरक्षण प्राप्त व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया और उसे दोनों बार हार का सामना करना पड़ा.

(इनपुट: IANS)

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