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मिड डे मील में ज्यादा चीनी देने पर सियासत गर्म, विपक्ष ने किया सरकार की पॉलिसी पर सवाल

Politics Over Midday Meal in Maharashtra: मिड डे मील में ज्यादा चीनी दिए जाने पर महाराष्ट्र में सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं. बाल रोग विशेषज्ञों ने भी बच्चों की सेहत को लेकर चिंता जताई है.

मिड डे मील में ज्यादा चीनी देने पर सियासत गर्म, विपक्ष ने किया सरकार की पॉलिसी पर सवाल
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Shariqul Hoda|Updated: Aug 19, 2024, 07:27 PM IST

Extra Sugar in Mid Day Meals: बाल रोग विशेषज्ञों के एक ग्रुप ने महाराष्ट्र सरकार को चिट्ठी लिखकर स्कूलों के मिड डे मील में चीनी से भरपूर फूड आइटम्स देना बंद करने की गुजारिश की है. माहा एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (Maharashtra Academy of Pediatrics) ने राज्य के शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर (Education Minister Deepak Kesarkar) को लिखे पत्र में कहा कि ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से बच्चे डायबिटीज और मोटापे का शिकार हो सकते हैं. हालांकि इसको लेकर शिवसेना (यूबीटी) के नेता ने भी सवाल उठाए हैं.

खाने में ज्यादा चीनी को लेकर सवाल

लेटर में प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना (Pradhan Mantri Poshan Shakti Nirman Yojana) जिसे पहले मिड डे मील कहा जाता था, इसके तहत बच्चों को हफ्ते में 4 बार चावल की खीर परोसने के सरकार के सामान्य दिशा-निर्देश का हवाला दिया गया है. चिट्ठी में लिखा है, ‘‘सामान्य दिशा-निर्देश में कहा गया है कि क्लास 1 से 5 तक के स्टूडेंट्स के भोजन में 25 ग्राम चीनी और क्लास 6 से 8 तक के छात्रों के भोजन में 45 ग्राम चीनी मिलाई जाएगी.’’ 

मीठी चीजें कम करने की अपील

माहाराष्ट्र पीडियाट्रिक्स एसोसिएशन (Maharashtra Pediatrics Association) के अध्यक्ष डॉ. रामगोपाल चेजारा (Dr. Ramgopal Chejara) ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हमें हर दिन 25 ग्राम चीनी की जरूरत होती है. चीनी 2 तरह की होती है. एक एडिशनल शुगर होता और दूसरा फूड आइटम्स में नेचुरल तरीके से मौजूद होती है. छात्र दिनभर अन्य खाद्य पदार्थ खाते रहते हैं, जिससे उनकी चीनी की मात्रा बढ़ जाती है.’’ 

डॉ. रामगोपाल ने कहा, ‘‘इन भोजन में 25 ग्राम और 45 ग्राम चीनी मिलाने से बच्चे मधुमेह और मोटापे के शिकार हो सकते हैं.  हमारी टीमें स्कूलों का दौरा कर चुकी हैं. हमने सरकार से अपील की है कि वह ऐसे मीठे खाद्य पदार्थ देना बंद करें.’’ 

विपक्ष ने सरकार पर किया करारा हमला

शिवसेना (यूबीटी) नेता अंबादास दानवे (Ambadas Danve) ने भी इस सरकारी दिशा-निर्देशों को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि राज्य सरकार सोचती है कि भावी पीढ़ी एक्ट्रा शुगर को पचाने वाली फैक्ट्री है. विधान परिषद में विपक्ष के नेता दानवे ने कहा कि केंद्र सरकार ‘एथेनॉल’ उत्पादन पर प्रतिबंध लगा रही है, जबकि दूसरी ओर स्कूली बच्चों को अतिरिक्त चीनी दी जा रही है.

 

(इनपुट-भाषा)

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