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Maldives Against India: PM मोदी ने 4 साल पहले की थी डील, अब चीन की गोदी में जाकर बैठ गया यह पड़ोसी मुल्क?

मालदीव की नई सरकार चीन के इशारों पर काम कर रही है. एक के बाद एक फैसले भारत के खिलाफ लिए जा रहे हैं. इस छोटे से मुल्क को जब भी जैसी जरूरत पड़ी भारत तैयार खड़ा रहा लेकिन अब मोइज्जू सरकार ने एक और बड़ी डील से बाहर निकलने का फैसला किया है. 

Maldives Against India: PM मोदी ने 4 साल पहले की थी डील, अब चीन की गोदी में जाकर बैठ गया यह पड़ोसी मुल्क?
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Anurag Mishra|Updated: Dec 15, 2023, 06:58 AM IST

Maldives India News: हिंद महासागर में भारत का एक पड़ोसी मुल्क शायद चीन की गोदी में जाकर बैठ गया है? हां, पहले उसने अपनी जमीन से भारतीय सैनिकों को वापस जाने को कहा और अब 4 साल पहले की एक डील भी तोड़ने जा रहा है. वह मुल्क मालदीव है. यहां जब से राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कामकाज संभाला है वह भारत के खिलाफ फैसले ले रहे हैं. मुश्किल से एक महीने हुए हैं जब मालदीव ने भारत से अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने को कहा था. राष्ट्रपति मोइज्जू ने चुनाव प्रचार के समय ही 'इंडिया आउट' कैंपेन किया था. अब उन्होंने 2019 के उस एग्रीमेंट को भी तोड़ने का मन बना लिया है जो भारतीय नौसेना और मालदीव की नेशनल डिफेंस फोर्स के बीच हुआ था. यह हाइड्रोलॉजी के क्षेत्र में सहयोग को लेकर था. माले ने गुरुवार को एग्रीमेंट से बाहर निकलने के अपने फैसले के बारे में भारत को जानकारी दे दी. खास बात यह है कि समझौता पीएम नरेंद्र मोदी की जून 2019 में मालदीव यात्रा के समय हुआ था. 

क्या था वो समझौता

इस समझौते के तहत भारतीय नौसेना को कई तरह के अधिकार मिल गए थे. वह मालदीव में व्यापक रूप से हाइड्रोग्राफिक सर्वे कर सकती है जिससे नेविगेशन सुरक्षा बेहतर हो; आर्थिक विकास, सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग, पर्यावरण सुरक्षा, तटीय प्रबंधन और वैज्ञानिक अनुसंधान में मदद मिल सके. भारत के साथ इस समझौते पर मोइज्जू से पहले राष्ट्रपति रहे इब्राहिम सोलिह ने हस्ताक्षर किए थे. अब तक एग्रीमेंट के तहत इंडियन नेवी ने ऐसे 3 सर्वे किए हैं. 

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव राष्ट्रपति कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि भविष्य में हाइड्रोग्राफी के पूरे काम का प्रबंधन 100 प्रतिशत मालदीव के पास होगा. उन्होंने यह भी कहा कि पिछली सरकार के समय साइन किए गए 'सीक्रेट एग्रीमेंट्स' की मौजूदा सरकार समीक्षा करेगी. मोइज्जू सरकार पिछले महीने ही बनी है. इसे चीन समर्थक माना जा रहा है. मोइज्जू ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह राष्ट्रपति बनते ही भारत के साथ किए गए समझौतों की समीक्षा करेंगे. दूसरी तरफ वह 500 मिलियन डॉलर के ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट जैसे भारतीय आर्थिक प्रोजेक्ट पर काम तेज करने की बात कह रहे हैं. 

मदद पर भी ये हाल है?

मोइज्जू उन भारतीय सैनिकों को भी देश से बाहर करने की सोच रहे हैं जो भारत की तरफ से माले को गिफ्ट में दिए 2 नेवल हेलिकॉप्टरों और एक डोर्नियर विमान के संचालन और रखरखाव में सहयोग कर रहे हैं. हालांकि TOI की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार के सूत्रों का दावा है कि COP28 के दौरान दुबई में मोदी के साथ बैठक में मालदीव के राष्ट्रपति ने मानवीय सहायता और आपदा राहत में शामिल भारतीय 'प्लेटफार्मों' की उपयोगिता को स्वीकार किया था.

भारतीय अधिकारियों के अनुसार इन भारतीय एसेट्स को ऑपरेशनल रखने के लिए चर्चा अब भी जारी है और दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिए जिस कोर ग्रुप को बनाने पर सहमत हुए हैं, वह एक 'व्यावहारिक रास्ता' खोजने के लिए काम करेगा. हालांकि माले लौटने के बाद मोइज्जू ने कहा कि भारत अपने सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमत हो गया है.

चीन के प्रभाव में मालदीव

हाल ही में NSA लेवल के कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन में भी मालदीव ने हिस्सा नहीं लिया था. इस ग्रुप में भारत, श्रीलंका और मॉरीशस के साथ वह भी एक सदस्य है. हालांकि माले के सूत्रों की मानें तो यह केवल एक प्रशासनिक मामला था और मालदीव कॉन्क्लेव का हिस्सा है. भारत के साथ हाइड्रोलॉजी एग्रीमेंट को रद्द करने के फैसले से मोइज्जू सरकार ने जता दिया है कि पड़ोसी मालदीव की विदेश नीति पूरी तरह से चीन के प्रभाव में आ चुकी है और वहां चीन की तरफ झुकाव बढ़ सकता है. वैसे भी हाल के महीनों में चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ाई हैं. वह शोध के नाम पर जहाज भेज रहा है. भारतीय नौसेना ड्रैगन की हरकतों पर पैनी नजर रख रही है.

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