Manoj Jarange Patil warning to the government: मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार को बड़ी चेतावनी दी है. जरांगे ने मंगलवार को कहा कि मराठा समुदाय ‘अधूरा आरक्षण’ स्वीकार नहीं करेगा. उन्होंने इस मुद्दे पर महाराष्ट्र विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की. मनोज जरांगे ने धमकी दी कि अगर मराठा समुदाय को पूर्ण आरक्षण नहीं दिया गया तो वे बुधवार शाम से पानी पीना बंद कर देंगे. जरांगे ने कहा कि सरकार को शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे मराठा युवाओं को परेशान नहीं करना चाहिए अन्यथा कड़ा जवाब दिया जाएगा.
25 अक्टूबर से मनोज जरांगे का अनशन
मनोज जरांगे पाटिल जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में 25 अक्टूबर से अनशन कर रहे हैं. मीडिया से बात करते हुए जरांगे ने डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के उस बयान की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा कि बीड में हिंसा के अपराधियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत आरोपों का सामना करना पड़ेगा.
सरकार को दी धमकी
जरांगे ने कहा, ‘हम नहीं जानते कि बीड में हिंसा के लिए कौन जिम्मेदार है. ऐसा लगता है कि सरकार नहीं चाहती कि महाराष्ट्र शांतिपूर्ण रहे. आप पूर्ण आरक्षण कब देंगे? मैं बुधवार से पानी पीना बंद कर दूंगा और मुख्यमंत्री और उनके दो उपमुख्यमंत्री इस नतीजे के लिए जिम्मेदार होंगे जबकि एक उपमुख्यमंत्री (फडणवीस) इसके लिए अधिक जिम्मेदार होंगे.’उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बीड में गरीब मराठा युवाओं को परेशान नहीं किया जाए अन्यथा हम उचित जवाब देंगे.
'चयनात्मक तरीके से न दें आरक्षण'
जरांगे ने मराठवाड़ा क्षेत्र में मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के राज्य मंत्रिमंडल के फैसले पर नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने कहा, ‘आरक्षण देने में चयनात्मक न हों. सभी मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र दें. अधिकारियों को इन (कुनबी) प्रमाणपत्रों को वितरित नहीं करना चाहिए (जैसा कि सरकार ने घोषित किया है). सरकार को न्यायमूर्ति शिंदे समिति की पहली रिपोर्ट स्वीकार करनी चाहिए और मराठा आरक्षण पर निर्णय लेने के लिए विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए.’
'हम सब मराठा भाई, खून का नाता'
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बीड में गरीब मराठा युवाओं को परेशान नहीं किया जाए अन्यथा हम उचित जवाब देंगे.
जरांगे ने कहा, ‘मैंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से बात की है. मैंने एक बार फिर अपना रुख स्पष्ट किया है कि मराठों के लिए अधूरा आरक्षण स्वीकार्य नहीं होगा. सरकार को समूचे राज्य में मराठाओं के लिए आरक्षण की घोषणा करनी चाहिए . हम (समूचे राज्य के मराठा) भाई हैं और हमारा खून का नाता है. समुदाय के केवल कुछ वर्ग को आरक्षण स्वीकार्य नहीं होगा.’
उन्होंने कहा, ‘60-65 प्रतिशत मराठा पहले से ही आरक्षण के दायरे में हैं. सरकार को इसे बढ़ाकर राज्य में शेष मराठाओं को भी इसमें शामिल करना चाहिए. इसके लिए सरकार को विशेष सत्र बुलाना चाहिए, विधेयक पारित करना चाहिए, इस उद्देश्य के लिए नियुक्त समिति की पहली रिपोर्ट को स्वीकार करना चाहिए और उन्हें (कुनबी) प्रमाणपत्र देना चाहिए.’
पानी पीना शुरू कर दिया
राज्य के कुछ हिस्सों में आरक्षण की मांग को लेकर हिंसा की घटनाओं के बीच उन्होंने दावा किया कि मराठा कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘मैंने मराठा समुदाय की इच्छानुसार पानी पीना शुरू कर दिया है. समुदाय अब शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहा है. हम शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करना चाहते हैं. हमारे दो कार्यक्रम, अनशन और गावों में राजनीतिक दलों के नेताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध जारी रहेंगे.’
आरक्षण की मांग को लेकर कुछ जन प्रतिनिधियों के कथित रूप से अपना इस्तीफा दिए जाने की खबर पर जरांगे ने कहा, ‘मैंने उन्हें इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा है. अगर वे चाहते हैं तो वे कर सकते हैं लेकिन इसका समुदाय पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए. विधायक, सांसद और पूर्व विधायक एवं सांसद जैसे जन प्रतिनिधियों को एक समूह बनाना चाहिए और मराठा समुदाय के लिए आरक्षण सुनिश्चित करना चाहिए.’
राज ठाकरे ने भी दी प्रतिक्रिया
इस मामले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने मंगलवार को मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे कार्यकर्ता मनोज जरांगे से अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल खत्म करने का आग्रह किया. उन्होंने यह भी मांग की कि आरक्षण मुद्दे पर चर्चा के लिए महाराष्ट्र विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाया जाए.
जरांगे को लिखे पत्र में राज ठाकरे ने कहा कि जिन लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सका, उन्हें मिलना चाहिए और आरक्षण आर्थिक स्थिति के आधार पर होना चाहिए. राज ठाकरे ने कहा, ‘इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सरकार को राज्य विधानमंडल का एक विशेष सत्र बुलाना चाहिए. सभी को बताएं कि विभिन्न राय क्या हैं और सरकार किस कानून के तहत आरक्षण देने की योजना बना रही है.’ उन्होंने कहा कि इसके बाद केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा जा सकता है, जिससे इस मुद्दे से निपटने के लिए कहा जा सकता है. बता दें कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस मुद्दे पर बुधवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है.
बीड में कर्फ्यू जारी, इंटरनेट ठप
उधर महाराष्ट्र के बीड जिले में मंगलवार को भी कर्फ्यू जारी रहा और इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहीं, हालांकि मराठा आरक्षण आंदोलन के कारण हिंसा की कोई ताजा घटना नहीं हुई. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. सोमवार को बीड जिले में नेताओं के घरों और कार्यालयों को निशाना बनाकर आगजनी की गई थी. इसके बाद सोमवार शाम को जिले के कुछ हिस्सों में 49 लोगों को गिरफ्तार कर कर्फ्यू लगा दिया गया था.
नांदेड़ में प्रदर्शन करने पर लगी रोक
जिलाधिकारी दीपा मुधोल मुंडे ने बताया कि दिन में स्थिति शांतिपूर्ण रही. उन्होंने कहा, ‘आज कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ. दिन में स्थिति शांतिपूर्ण थी, लेकिन कर्फ्यू में ढील और इंटरनेट सेवा बहाल किए जाने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है.’ इस बीच, मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा और आगजनी के बीच नांदेड़ के जिलाधिकारी ने जिले में सड़कों और राजमार्गों पर प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि जिलाधिकारी ने जिले में ‘‘रास्ता रोको’’ और रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
(एजेंसी भाषा)