Home >>MPCG Trending News

Shahdol: अस्पताल से नहीं मिला वाहन, दादा के शव को 15 किमी बाइक पर ले गया पोता

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बीच सरकारी सिस्टम की बेहाली एक और मामला सामने आया है. शहडोल जिले में शव वाहन नहीं मिलने पर शव को बाइक पर लेकर जाना पड़ा. यह मामला जिले के सबसे बड़े कुशाभाऊ ठाकरे जिला चिकित्सालय का है. यहां एक पोता दादा के शव को मोटरसाइकिल पर लेकर गया. शव लेकर जाने के लिए जिला चिकित्सालय में शव वाहन नहीं मिला. मामला धुरवार गांव के बैगान टोला का है. 

Advertisement
Shahdol: अस्पताल से नहीं मिला वाहन, दादा के शव को 15 किमी बाइक पर ले गया पोता
Stop
Mahendra Bhargava|Updated: Nov 26, 2023, 05:43 PM IST

MP NEWS: स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन लगातार दावे करता है, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और है. बात करें शहडोल की तो यहां पर ग्रामीण अंचलों में लोगों को मरने के बाद एंबुलेंस तक नसीब नहीं हो रही है. ताजा मामला जिला अस्पताल शहडोल का है जहां पर बैगा परिवार को एंबुलेंस नहीं मिला. जिसके कारण अपने दादा का शव पौता मोटरसाइकिल में लेकर 15 किलोमीटर का सफर तय किया. इससे कल्पना लगा सकते हैं कि स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के क्या हाल हैं? शहडोल में इससे पहले भी इस तरह की तस्वीर शहडोल में आ चुकी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग अभी भी नींद में सोया हुआ है.

जनपद पंचायत सोहगपुर अंतर्गत ग्राम धुरवार के रहने वाले 56 वर्षीय ललुईया बैगा को बीपी हाई होने पर उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन इलाज के दौरान ललुईया बैगा की रविवार की सुबह मौत हो गई. परिजनों को शव ले जाने के लिए कोई वाहन नहीं मिला, जिस कारण पोते ने बाइक में ही दादा ललुइया बैगा का शव रखकर जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर रवाना हो गए. 

इस तरह सामने आई बड़ी लापरवाही
इस दौरान बाइक पर शव को पोता संभाल नहीं पा रहा था, जिससे मृतक का शव बार-बार बाइक से गिरता नजर आ रहा था. इस घटना के बाद जिला अस्पताल प्रबंधन और प्रशासन एक फिर कटघरे में हैं. बाइक पर जिस तरह वृद्ध के शव को रखा जा रहा है उसे देख अस्पताल प्रबंधन की बड़ी लापरवाही सामने आई है.

अस्पताल ने दी सफाई
मामले में जिला हॉस्पिटल शहडोल के सिविल सर्जन जी.एस .परिहार का कहना है कि ललुईया बैगा का आज सुबह निधन हो गया. परिजन उनके शव को लेकर बाहर आ गए थे. परिजनों ने शव वाहन की मांग की थी. लेकिन अस्पताल को शव वाहन नगर पालिका या समाजसेवी संस्था मुहैया कराती हैं, जिसके लिए कॉल भी किया गया था. गाड़ी आने में थोड़ा समय लग रहा था. परिजनों को बाहर बैठाया गया था, लेकिन वे बिना बताए ही शव को लेकर चले गए.

रिपोर्ट: पुष्पेंद्र चतुर्वेदी, शहडोल

{}{}