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MP Politics: मध्य प्रदेश में फिर शुरू होगी 'छात्र राजनीति', इस महीने में चुनाव करा सकती है मोहन सरकार

MP Student Union Elections: मध्य प्रदेश में इस साल छात्र संघ के चुनाव हो सकते हैं, इसकी तैयारियां शुरू होती नजर आ रही है. बता दें कि खुद सीएम मोहन यादव भी छात्र संघ चुनावों को लेकर बड़ी बात कह चुके हैं. 

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एमपी में होंगे छात्रसंघ चुनाव
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Arpit Pandey|Updated: Jan 16, 2024, 12:46 PM IST

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में लंबे समय से छात्रसंघ चुनाव नहीं हुए हैं, प्रदेश की राजनीति में बीच-बीच में चुनाव की चर्चा चलती रहती है. सीएम मोहन यादव पिछली सरकार में जब उच्च शिक्षा मंत्री थे, तो उन्होंने छात्रसंघ चुनाव कराने की बात कही थी. ऐसे में अब जब राज्य की बागडोर ही सीएम मोहन यादव के हाथ में हैं तो फिर से छात्रसंघ चुनाव की चर्चा तेज हो गई है, जिसका संकेत इस साल के शैक्षणिक कैलेंडर में भी मिला है. जिससे फिर से प्रदेश में 'राजनीति की पहली पाठशाला' यानि छात्र संघ चुनाव की सुगबुगाहट तेज होती नजर आ रही है. 

अगस्त-सितंबर में हो सकते हैं चुनाव 

मध्य प्रदेश सरकार अब छात्र संघ चुनावों को लेकर एक्टिव नजर आ रही है. इसको लेकर उच्च शिक्षा विभाग भी तैयारी में जुट गया है, उच्च शिक्षा विभाग का जो शैक्षणिक कैलेंडर जारी किया गया है, उसमें अगस्त-सितंबर में छात्रसंघ चुनाव का उल्लेख है. ऐसे में इस बात की चर्चा तेज हो गई हैं कि इस साल प्रदेश में छात्र संघ के चुनाव जरूर होंगे. क्योंकि राजनीति की पहली पाठशाला कॉलेजों से ही शुरू होती है, जहां से कई बड़े नेता निकल चुके हैं. 

सीएम मोहन यादव ने की थी पेशकश 

मध्य प्रदेश के वर्तमान में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने पिछली सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए खुद छात्र संघ चुनाव की पेशकश की थी. लिहाजा अब डॉक्टर मोहन यादव मुख्यमंत्री बनने के बाद इसकी संभावना बढ़ गई है, आखरी बार 1992 में प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हुए थे, जबकि उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए डॉक्टर मोहन यादव ने प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने का जिक्र किया था. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर अगस्त-सितंबर माह तक छात्रसंघ के चुनाव होते हैं तो चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से ही होने की उम्मीद है. 

इस वजह से बंद हुए थे चुनाव 

दरअसल, मध्य प्रदेश में भी छात्र राजनीति का लंबा इतिहास रहा है, प्रदेश के सभी कॉलेजों में पहले प्रत्यक्ष प्रणाली से ही चुनाव होते थे, लेकिन धीरे-धीरे चुनावों में हिंसक घटनाएं सामने आई, जिसके चलते प्रत्यक्ष प्रणाली से छात्र संघ चुनावों बंद करा दिया गया था, जबकि 2003 आते-आते छात्रसंघ चुनाव का प्रारूप बदल दिया गया. इसके बाद मेरिट के आधार पर चुनाव कराए गए. लेकिन इस प्रक्रिया का छात्र संघठनों ने विरोध किया, जिसके चलते मध्य प्रदेश में लंबे समय से छात्र संघ के चुनाव अटके हुए हैं. 

छात्र संघठन भी एक्टिव 

फिलहाल प्रदेश में छात्र संघठन भी चुनावों को लेकर एक्टिव नजर आ रहे हैं, एवीबीपी और एनएसयूआई मध्य प्रदेश में प्रमुख छात्र संघठन माने जाते हैं, क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी से जुड़े ये दोनों ही छात्र संघठन प्रदेश के कॉलेजों में एक्टिव नजर आते हैं, जिसकी वजह प्रदेश की राजनीति में मुख्य तौर पर कांग्रेस और बीजेपी का होना भी रहता है. फिलहाल मोहन यादव सरकार में इंदर सिंह परमार उच्च शिक्षा मंत्री हैं, ऐसे में अगर उच्च शिक्षा विभाग के कैलेंडर में छात्र संघ के चुनावों का जिक्र हैं तो फिर इस साल चुनाव हो सकते हैं. 

छात्र राजनीति से निकले बड़े नेता 

मध्य प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति में आज भी कई बड़े नाम ऐसे हैं जो छात्र राजनीति से निकले हैं, बात अगर मध्य प्रदेश की जाए तो वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा, राजेन्द्र शुक्ला, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार जैसे नेता तो इस वक्त प्रदेश की सियासत में पूरी तरह से एक्टिव हैं, ये सब छात्र राजनीति से ही निकले हैं. 

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