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Munawwar Rana: मशहूर शायर मुनव्वर राणा का निधन, 71 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

Munawwar Rana: उर्दू  शायर मुनव्वर राणा का लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. लंबी वक्त से बीमारी से जूझ रहे मुनव्वर राणा ने 71 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. कई महीनों से पीजीआई अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. पहले उन्हें किडनी और दिल से जुड़ी बीमारियां थीं.

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Munawwar Rana: मशहूर शायर मुनव्वर राणा का निधन, 71 साल की उम्र में ली आखिरी सांस
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Mahendra Bhargava|Updated: Jan 15, 2024, 11:56 AM IST

Munawwar Rana: उर्दू  शायर मुनव्वर राणा का लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. लंबी वक्त से बीमारी से जूझ रहे मुनव्वर राणा ने 71 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. कई महीनों से पीजीआई अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. पहले उन्हें किडनी और दिल से जुड़ी बीमारियां थीं.

26 नवंबर, 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में जन्मे राणा को उर्दू साहित्य और कविता में उनके योगदान, विशेषकर उनकी गजलों की वजह से उन्हों काफी लोकप्रियता मिली. उनकी काव्य शैली अपनी सुगमता के लिए प्रसिद्ध थे, क्योंकि राणआ फारसी और अरबी से परहेज करते हुए अक्सर हिंदी और अवधी शब्दों को शामिल करते थे, जो भारतीय श्रोताओं को पसंद आता था.

विवादों में रहे राणा
राणा एक उर्दू कवि थे और उन्होंने कई गजलें लिखी हैं. उन्होंने 2014 में उर्दू साहित्य के लिए मिले साहित्य अकादमी पुरस्कार को ठुकरा दिया था और देश में बढ़ती कथित असहिष्णुता के कारण फिर कभी सरकारी पुरस्कार स्वीकार नहीं करने की कसम खाई थी. राणा अक्सर अपने बयानों को लेकर विवादों में घिरे रहते थे. मुनव्वर राणा उत्तर प्रदेश की सियासत में काफी एक्टिव थे. उनकी बेटी सुमैया अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) की सदस्य हैं.

मुनव्वर राणा के मशहूर शेरों-शायरी

- पचपन बरस की उम्र तो होने को आ गई,
लेकिन वो चेहरा आँखों से ओझल न हो सका.

- किसी के ज़ख़्म पर चाहत से पट्टी कौन बाँधेगा,
अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बाँधेगा. 

- एक आंसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है, 
तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना.

- अभी ज़िंदा है मां मेरी मुझे कुछ भी नहीं होगा,
मैं घर से जब निकलता हूं दुआ भी साथ चलती है.

-  जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है,
मां दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है.

- उस पेड़ से किसी को शिकायत न थी मगर,
ये पेड़ सिर्फ़ बीच में आने से कट गया.

- अंधेरे और उजाले की कहानी सिर्फ़ इतनी है,
जहां महबूब रहता है वहीं महताब रहता है.

- किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई,
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में मां आई.

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