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NEET और नए एंटी पेपर लीक कानून पर बोले दिग्विजय, बताया कैसे चल रहा है नकल का खेल!


NEET में कथित गड़बड़ी का मुद्दा शांत होने का नाम नहीं ले रहा. अब केंद्र सरकार परीक्षाओं में गड़बड़ी को रोकने के लिए एंटी पेपर लीक कानून लेकर आई है. कानून लाने पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का बयान सामने आया है. 

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NEET और नए एंटी पेपर लीक कानून पर बोले दिग्विजय, बताया कैसे चल रहा है नकल का खेल!
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Mahendra Bhargava|Updated: Jun 22, 2024, 04:27 PM IST

Anti Paper Leak Law: भर्ती परीक्षाओं में नकल और गड़बड़ियां रोकने के लिए केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नए एंटी पेपर लीक कानून पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि पिछली बार ही लोकसभा और राज्यसभा स्तर पर यह बिल पास हो चुका था. 4 महीने पहले राष्ट्रपति ने स्वीकृति दे दी थी. 4 महीने तक सरकार किसका इंतजार कर रही थी. पहले इसको लेकर नियम क्यों नहीं बनाएं.

राज्यसभा सांसद सिंह ने बीजेपी पर आरोप लगाए, 'जहां-जहां बीजेपी की सरकार है पेपर लीक की घटनाएं सामने आ रही हैं. व्यापमं से नीट तक एक जैसी स्ट्रैटेजी है. या तो पेपर लीक होगा या तो पेड सॉल्वर बैठाएं जाएंगे. या एक ही सेंटर पर इंजन बोगी सिस्टम से नकल कराई जाती है.' 

दिग्विजय ने NTA पर उठाए सवाल
NEET परीक्षा कराने वाले एजेंसी NTA पर सवाल उठाते हुए पूर्व सीएम ने कहा, '1563 लोगों को ग्रेस मार्क क्यों दिए गए हैं. NTA ने तथ्यों को छिपाने का शुरू से प्रयास किया है. 180 सेंटर पर CCTV कैमरे नहीं थे, जहां पेपर रखे गए वहां पुलिस की सुरक्षा नहीं थी. हजारों करोड़ का खेल है. एक-एक प्रश्न पत्र का 30-40 लाख लिया जा रहा है. दिग्विजय सिंह ने आगे कहा कि व्यापमं की जांच सही होती तो यह नहीं होता. डबल इंजन सरकार की इसमें साजिश है. 2004 से 24 तक अपने लोगों को अयोग्य लोगों डॉक्टर इंजीनियर बनाने का खेल चल रहा है.

आधी रात जारी हुआ नोटिफिकेशन
पब्लिक एग्जामिनेशन (प्रिवेंशन ऑफ अनफेयर मीन्स) यानी एंटी-पेपर लीक कानून का नोटिफिकेशन शुक्रवार आधी रात जारी किया गया. इस कानून के तहत पेपर लीक करने या आंसर शीट के साथ छेड़छाड़ करने पर आरोपियों को कम से कम 3-5 साल जेल होगी. 10 लाख रुपये तक जुर्माना भी वसूला जाएगा. इसके अलावा एग्जाम कराने वाली एजेंसी अगर दोषी पाई जाती है तो 5 से 10 साल तक की जेल की सजा. 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना लग सकता है. साथ ही सर्विस प्रोवाइडर अवैध गतिविधियों में शामिल है, तो उससे पूरे एग्जाम की लागत वसूली जाएगी.

रिपोर्ट: आकाश द्विवेदी, भोपाल

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