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MP News: मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने मांगा उपाध्यक्ष का पद, 2018 में टूट गई थी यह परंपरा

MP Assembly Session: मध्य प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष के लिए नरेंद्र सिंह तोमर का चुना जाना तय हो गया है. क्योंकि कांग्रेस ने भी उनका समर्थन किया है. 

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कांग्रेस ने मांगा उपाध्यक्ष का पद
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Arpit Pandey|Updated: Dec 19, 2023, 06:24 PM IST

MP Politics: मध्य प्रदेश विधानसभा सत्र में सभी विधायकों के शपथ की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जबकि विधानसभा अध्यक्ष के लिए नरेंद्र सिंह तोमर का निर्विरोध चुना जाना तय हो गया है. क्योंकि कांग्रेस ने भी उनका समर्थन किया है. लेकिन इस बीच कांग्रेस ने एक बड़ी मांग भी की है. जिससे राजनीतिक गलियारों में कयासों का दौर शुरू हो गया है. 

कांग्रेस ने मांगा उपाध्यक्ष का पद 

दरअसल, नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस ने भी समर्थन किया है. खुद नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और कांग्रेस के सीनियर विधायकों ने सीएम मोहन यादव के साथ विधानसभा अध्यक्ष के निर्वाचन के लिए विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह को नामांकन सौंपा. ऐसे में उनका निर्विरोध चुना जाना तय हो गया है. लेकिन इस बीच कांग्रेस ने उपाध्यक्ष पद की मांग की है. कांग्रेस का कहना है कि भाजपा को सहृदयता का परिचय देना चाहिए और विधानसभा उपाध्यक्ष का पद कांग्रेस को देना चाहिए क्योंकि सदन में अब तक यह परंपरा चली आ रही है. 

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हेमंत कटारे ने की मांग 

नरेंद्र सिंह तोमर के अध्यक्ष बनने का रास्ता साफ होने के बाद उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा कि बीजेपी को बड़ा दिल दिखाते हुए उपाध्यक्ष का पद विपक्षी पार्टी कांग्रेस को देना चाहिए. उन्होंने कहा कि 20 दिसंबर को अध्यक्ष का निर्वाचन होना है, जिसके लिए कांग्रेस ने समर्थन दिया है. प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष का पद सत्तादल और उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के पास रहने की परंपरा रही है. ऐसे में अब इसी परंपरा का फिर से निर्वाहन होना चाहिए.

2018 के चुनाव के बाद टूटी थी परंपरा 

बता दें कि मध्य प्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष का पद सत्तापक्ष के पास और उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के पास रहने की परंपरा चली आ रही थी. लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद यह परंपरा टूट गई थी. कांग्रेस ने तब दोनों पद अपने पास रखे थे. अध्यक्ष का पद एनपी प्रजापति और उपाध्यक्ष का पद हिना कांवरे को मिला था. दरअसल, तब दोनों पदों के लिए चुनाव की स्थिति बनी थी. दरअसल, कांग्रेस ने चुनाव में 114 और बीजेपी ने 109 सीटें जीती थी. जबकि सात सीटें दूसरे दल और निर्दलीय जीते थे. ऐसे में बीजेपी ने भी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी खड़े करने का फैसला किया था. हालांकि चुनाव नहीं हुआ था. लेकिन कांग्रेस ने दोनों पद अपने पास रखे थे. 

बाद में जब कमलनाथ सरकार गिरकर फिर से बीजेपी की सरकार बनी थी, तब गिरीश गौतम को फुलटाइम अध्यक्ष बनाया गया था. इस दौरान उपाध्यक्ष का पद खाली रहा था. लेकिन अब बीजेपी एक बार फिर से बंपर बहुमत में हैं, जबकि कांग्रेस विपक्ष में हैं, ऐसे में कांग्रेस पुरानी परंपरा का निर्वाहन करने की मांग कर रही है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि उपाध्यक्ष का पद पर इस बार क्या स्थिति बनती है. 

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