Ujjain Priests On Rahul Gandhi Remarks On Pujaris- Tapasviyon: कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी द्वारा पुजारियों और तपस्वियों को लेकर दिया गया बयान. जिसके बाद से वो अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं और ये मामला तूल पकड़ता जा रहा है. बाबा महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में संतो ने राहुल गांधी के बयान पर उनको आड़े हाथों लिया और कहा कि कांग्रेस में जो विद्वान बचे हैं.वे सुन लें और राहुल को ट्यूशन दें कि अध्यात्म क्या हैं? तो वहीं एक ने कहा कौन क्या है सब जानते है. राहुल अपनी भारत जोड़ो यात्रा निकाले आम जन को भ्रमित ना करें पुजारी,संत, तपस्या व साधु संत से हर सनातनी वाकिफ है.
बता दें कि राहुल गांधी ने करनाल में भारत जोड़ो यात्रा में एक प्रेस वार्ता में यह बात कही थी कि कांग्रेस तपस्या का संगठन है और बीजेपी पूजा का.पुजारी तपस्वी नहीं है. मजदूर और किसान तपस्वी है. बस यही बात अब सियासी गलियारों में तूल पकड़ती जा रही है.
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आह्वान अखाड़े के महामंडलेश्वर ने ये कहा
आह्वान अखाड़े के महामंडलेश्वर अतुलेश आनंद सरस्वती ने राहुल गांधी को लेकर कहा कि मैं राहुल गांधी से जानना चाहता हूं कि महोदय तपस्वियों में और साधु संतों में अन्तर क्या है.आपकी नज़रों में तपस्वी कौन है. यह जान लें कि साधु-संत कौन हैं, लगता है कि आपने तपस्या का अर्थ सिर्फ कांग्रेसियों से लिया है या फिर कांग्रेस पार्टी से लिया है क्योंकि बहुत अच्छी विचारधारा के लोग भी कांग्रेस में रहते थे.जो आज नहीं है तो इसका अर्थ है कि आपको अभी ब्राह्मी सेवन की आवश्यकता है.कांग्रेस के महानुभव नेताओं से मेरा निवेदन है कि इनको बैठाकर थोड़ा ट्यूशन दें और समझाइए कि धर्म, अर्थ काम और मोक्ष के बारे में बताएं.
वहीं संत डॉ अवधेशपुरी महाराज ने कहा कि राहुल गांधी ने कहा कि देश तपस्वियों का है पुजारियों का नहीं मैं कहना चाहूंगा कि राहुल गांधी अपनी यात्रा निकालें, लेकिन धर्म से इस प्रकार की छेड़छाड़ न करें क्योंकि इससे जो आमजन है वो भ्रमित होता है कि तपस्वी कौन है, पुजारी कौन है साधु कौन है, साधना क्या है, तपस्या क्या है. यह सब हमारे शास्त्रों में वर्णित है और सब लोग इसको जानते हैं. राहुल गांधी जी इन परिभाषाओं को देने का प्रयास न करें उनका जो अपना काम है वो करें, लेकिन तुष्टिकरण करने के लिए इस प्रकार हमारे धर्म के साथ छेड़छाड़ न करें. कांग्रेस की दृष्टि में लगता है कि देश न तपस्वियों का है न पुजारियों का है न साधुओं का है न साधना का है ना ही भारतीय संस्कृति का है.कांग्रेस की नजर में तो यह देश अंग्रेजों का था अंग्रेजों का है और अंग्रेजों का बनाए रखना चाहते हैं. इसीलिए तो ट्रांसफर और पावर एग्रीमेंट हुआ था आपने तो किया था.
रिपोर्ट : राहुल सिंह राठौड़ (उज्जैन)