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Ujjain Gaurav Divas: 195 करोड़ साल पुरानी धरती का पहला नगर है उज्जैन, गौरव दिवस पर जानें स्थापना की कहानी

Ujjain Gaurav divas Celebration: मध्य प्रदेश के उज्जैन में आज गौरव दिवस मनाया जाएगा. मान्यता के अनुसार जब सृष्टि बनी तो सबसे पहली उज्जैन नगर बसाया गया था. चैत्र प्रतिप्रदा के पहले दिन यहां पर उत्सव का आयोजन होता है. 

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Ujjain Gaurav Divas: 195 करोड़ साल पुरानी धरती का पहला नगर है उज्जैन, गौरव दिवस पर जानें स्थापना की कहानी
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Shyamdatt Chaturvedi|Updated: Mar 22, 2023, 11:10 AM IST

Ujjain Gaurav Divas: विश्व की नाभि केंद्र मानी जाने वाली उज्जैन नगरी का आज गौरव दिवस मनाया जा रहा है. आज सूर्य देव को शिप्रा नदी के किनारे अर्ध्य देकर विश्व मंगल की कामना की गई. ऐसी मान्यता है कि आकाश और पृथ्वी के बीच में अवंतिका नगरी उज्जैनी स्थापित है. जब सृष्टि की रचना हुई तो सबसे पहले अवंतिका नगरी को बसाया गया. क्यों मनाया जाता है गौरव दिवस, क्या है मान्यता जानते हैं.

इसलिए मनाया जाता है दिवस
श्रष्टि के नाभि केंद्र उज्जैन से होना बताया गया है. कहा जाता है कि जब यह सृष्टि बनी तो सबसे पहले उज्जैन नगर बसाया गया. यहां पर चैत्र शुक्ल एकम सर्वोपरि बताया जाता है और सनातन धर्म को मानने वाले आज ही के दिन नव वर्ष मनाते हैं. प्राचीन काल से चली आ रही इस दिवस की परंपरा काफी पुरानी है और आज 1 अरब 95 करोड़ 58लाख 88हजार 124 वां वर्ष है, आज 2080वां वर्ष है. इस मौके पर प्रकृति, जनजीवन, पर्यावरण सबके कल्याण और सुख समृद्धि की कामना की जाती है.

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महाकाल की रहती है नजर
उज्जैन नगरी के प्रसिद्ध पंडितों का कहना है कि जब सृष्टि बनी तो सबसे पहले उज्जैन नगर बसाया गया.जिस दिन श्रष्टि की रचना हुई उसी दिन से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का गणना का क्रम शुरू हुआ. इसलिए आज यह दिन काफी ज्यादा खास है. इसके अलावा कहा जाता है भगवान शिव अपने नियंत्रण में इस नगरी को रखते हैं और उनकी हमेशा नजर रहती है.

सीएम शिवराज रहेंगे मौजूद
आज शाम धार्मिक नगरी उज्जैन में शिप्रा किनारे गौरव दिवस उपलक्ष्य में गौरव दिवस का आयोजन किया जाना है. इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध बॅालीवुड गायक सिंगर शान अपने गीतों की प्रस्तुति देंगे. इस मौके पर सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भी मौजूद रहेंगे. बताया जा रहा है कि यहां पर यह दिवस पिछले 46 सालों से उत्सव की तरह मनाया जा रहा है.

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विक्रम संवत की शुरुआत
विक्रम संवत की शुरुवात राजा विक्रमादित्य ने की थी. यह सनातन धर्म को मानने वालों के लिए काफी ख़ास है. ज्योतिष की गणना के अनुसार देश, राज्य के समस्त विषयों की भविष्यवाणी, लोक व्यवहार, विवाह, अन्य संस्कारों और धार्मिक अनुष्ठानों की तिथियां निर्धारित की जाती हैं. हर वर्ष उज्जैन के शिप्रा नदी किनारे रामघाट पर पर्व अल सुबह मनाया जाता है. इसी दिन हिंदू कैलेंडर का नया वर्ष गुड़ी पड़वा को माना जाता है.इसी दिन से विक्रम संवत भी बदल जाता है. विक्रम संवत अंग्रेजी कैलेण्डर से 57 वर्ष आगे है. हर साल चैत्र प्रतिप्रदा तिथि से नया विक्रम संवत शुरू होता है.

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