Tulsi Vivah 2022: हर कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के अगले दिन भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप से वृंदावन महारानी के तुलसी स्वरूप से विवाह कराया जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन व्रत रखकर भगवान शालीग्राम और तुलसी की विधि विधान से पूजा करते हैं. उनके शादी शुदाजीवन अथवा लवलाइफ की सारी समस्याएं खत्म हो जाती है. इस बार कार्तिक माह की द्वादशी तिथि 5 नवंबर को है. ऐसे में आइए काशी के ज्योतिष मर्मज्ञ से जानते हैं कि इस दिन कैसे करें भगवान शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह.
तुलसी विवाह शुभ समय
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि की शुरुआत 04 नवंबर की शाम 06 बजकर 08 मिनट से शुरू हो गई है, जिसका समापन 05 नवंबर की शाम 05 बजकर 06 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार तुलसी विवाह 05 नवंबर को मनाया जाएगा. इस दिन तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 35 मिनट से लेकर 07 बजकर 12 मिनट तक है.
पति पत्नी में प्यार बढ़ाने के लिए
धार्मिक मान्यता अनुसार तुलसी विवाह के समय पति-पत्नी स्नान करने के बाद साफ-सूथरा वस्त्र पहनकर मां तुलसी और शालीग्राम का विवाह करते हुए विवाह की सभी रश्में पूरी करें और उन्हें लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं. इसके बाद तुलसी के पेड़ के नीचे से तुलसी का पत्ते लेकर उसे गंगा जल में मिलाएं और फिर उसे अपने घर में छिड़क दें. ऐसा करने से पति पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है.
शादी में देरी के लिए
जिस लड़के या लड़की की शादी में देरी हो रही वे लोग तुलसी विवाह के किसी असहाय लड़की के कन्यादान का संकल्प लें और सामर्थ्य के अनुसार उसके विवाह में सहायता करें. साथ ही इस दिन तुलसी-शालीग्राम का विधि-विधान से पूजा करें. ऐसा करने से शीघ्र ही आपके लायक शादी का रिश्ता मिल जाएगा.
मनचाहा जीवनससाथी पाने के लिए
यदि किसी के शादी में विलंभ हो रही या मन मुताबिक शादी का रिश्ता नहीं मिल रहा है तो तुलसी विवाह के दिन तुलसी दल डालकर भगवान विष्णु को भोग लगाएं. साथ ही मंत्र- "पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्।। का जाप करें. ऐसा करने से आपको सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है.
(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)