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महाकाल की महिमा! महाकालेश्वर मंदिर में नहीं होता सूर्य ग्रहण का प्रभाव, जानें क्यों?

Surya Grahan No effect On Mahakaleshwar temple: आज के सूर्य ग्रहण के अलावा किसी भी सूर्य अथवा चंद्र ग्रहण में पूजा पाठ बंद होते हैं. मंदिर के पटों को बंद कर दिया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है उज्जैन में बाबा महाकाल की महाकालेश्वर मंदिर में ऐसा नहीं होता. जानिये क्या है इसके पीछे का कारण...

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महाकाल की महिमा! महाकालेश्वर मंदिर में नहीं होता सूर्य ग्रहण का प्रभाव, जानें क्यों?
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Updated: Oct 25, 2022, 02:35 PM IST

Surya Grahan Effect On Mahakal temple: उज्जैन। भारत मे सूर्य ग्रहण से पहले सूतक की शुरुवात हो गई है. ऐसा इसी ग्रहण नहीं सभी ग्रहणों के समय होता है की सूतक काल में किसी भी मंदिर में पूजन, दर्शन, हवन नहीं किया जा सकता ना ही भगवान का स्पर्श किया जा सकता है. इसी कारण सभी मंदिरों के कपाट बंद रखे जाते हैं और भक्तों को प्रवेश नहीं दिया जाता, लेकिन बाबा महाकाल की महाकालेश्वर मंदिर में ऐसा नहीं होता. जानिये क्या है इसके पीछे की महिमा...

रोजाना की तरह होते हैं पूजा अनुष्ठान
उज्जैन में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक दक्षिण मुखी ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल के धाम की करे तो यहां ग्रहण का कोई असर नहीं होता. इसे लेकर यहां के पुजारी बताते हैं कि ग्रहण के दौरान मंदिर में हर परंपरा का निर्वहन हर रोज की तरह किया जाता है. आज भी प्रातः काल में भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल का भी सूर्य रूप में ही श्रृंगार किया गया.

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महाकाल के दरबार ने नहीं होता असर
उन्होंने कहा कि मंदिर में सूतक काल का भगवान पर कोई असर नहीं होता क्योंकि बाबा महाकाल खुद काल के नियंत्रक है और उनपर किसी का नियंत्रण नहीं हो सकता. इसलिए मंदिर में पूजन भजन कीर्तन सब चालू है. हां 4 से 6 के समय में जब ग्रहण होगा तब शिवलिंग को स्पर्श न पुजारी कर सकेंगे ना ही श्रद्धालु. सिर्फ दूर से दर्शन कर सकेंगे और जैसे ही सूर्यास्त होगा उसके बाद मंदिर को शुद्धि करण के लिए धोया जाएगा.

VIDEO: घर बैठे करें बाबा महाकाल के दिव्य दर्शन

मंदिर में निभाई जाएंगी कुछ परंपराएं
महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने ने कहा कि ग्रहण का प्रभाव देश भर में देखा जाएगा. हर स्थान पर सूतक का प्रभाव होगा, लेकिन बाबा माकालेश्वर की मंदर पर इसका कोई असर नहीं होगा. सूतक काल मे मंदिर के द्वारा खुले रहते है. परंपरा अनुसार पूजन आरती व दर्शन भजन कीर्तन चलेगा. हालांकि हालांकि ग्रहण काल के सुर्यास्त के बाद कुछ परंपराएं निभाई जाएंगी.

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देशभर में होगा अलग-अलग समय
उज्जैन में स्थित जीवाजी वेध शाला के अधीक्षक डॉ राजेन्द्र प्रकाश गुप्त के अनुसार खगोलीय घटना (सूर्य ग्रहण) को भारत मे अंडमान निकोबार द्वीप समूह और उत्तरी पूर्वी भारत को छोड़कर पूरे भारत में देखा जा सकता है. भारत में सूर्यग्रहण की शुरुआत उत्तर पश्चिम से दक्षिण पश्चिम की ओर चलने पर शाम 04:20 से शाम 05:30 के मध्य होगी. भौगोलिक स्थिति के अनुसार देश के अलग-अलग हिस्सों में इसका समय इलग होगा.

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