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शिवराज मामा का चुनावी ढकोसला या डैमेज कंट्रोल? पेशाबकांड पीड़ित के पैर धोकर लगाया तिलक, बोले मन दुखी है

MP News: मध्य प्रदेश के सीधी जिले में जिस आदिवासी युवक पर बीजेपी के एक कथित कार्यकर्ता प्रवेश शुक्ला ने पेशाब किया था, उस यवुक का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सम्मान किया और उनके साथ खाना भी खाया. अब ये पूरा घटनाक्रम सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है.

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शिवराज मामा का चुनावी ढकोसला या डैमेज कंट्रोल? पेशाबकांड पीड़ित के पैर धोकर लगाया तिलक, बोले मन दुखी है
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Shikhar Negi|Updated: Jul 06, 2023, 02:18 PM IST

Sidhi urine case: मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने है. बीजेपी-कांग्रेस दोनों ही पार्टी इसकी तैयारियों में जुटी हुई है. इसी कड़ी में 1 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहडोल में आदिवासी समाज से मुलाकात करने आते हैं और कई कार्यक्रमों में पीएम मोदी ने हिस्सा भी लिया था. पीएम मोदी के दौरे के ठीक 3 दिन बाद मध्यप्रदेश में आदिवासी युवक के साथ वो घटना घटती है, जिससे पूरा देश हिल जाता है. हम बात कर रहे हैं, मध्यप्रदेश के सीधी जिले में हुए पेशाब कांड की, जिसमें कथित बीजेपी नेता एक आदिवासी युवक पर पेशाब करता हुआ दिखाई दे रहा है. 

गौरतलब है कि सीधी जिले के कुबरी गांव का ये वीडियो ऐसे वक्त पर सामने आया है, जब विधानसभा चुनाव एकदम नजदीक हैं और बीजेपी आदिवासी वोटर्स को लुभाने के लिए क्या कुछ नहीं कर रही. इस घटना के बाद मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार चारों तरफ से घिरती हुई नजर आ रही है. इस बीच सीएम शिवराज ने आदिवासी पीड़ित युवक के पैर तक धो लिए और उन्होंने इस घटना को लेकर उनसे माफी मांगी. हालांकि विपक्ष के साथ आमजनता भी इसे सिर्फ सियासी ढकोसला बता रही है. सबसे पहले विस्तार से समझते हैं आखिर इसके पीछे की वजह क्या है.

आदिवासियों को लुभाने में जुटी सरकार 
बता दें कि सीएम शिवराज और उनकी पार्टी बीजेपी ने चौथी बार कार्यकाल संभालने के बाद से ही पूरा फोकस आदिवासियों पर शिफ्ट कर दिया है. बीजेपी का हाल ही के दिनों में आदिवासी और आदिवासी प्रतीकों पर या आदिवासियों के लिए योजनाओं पर खास फोकस नजर आया है. इसमें बिरसा मुंडा, टंट्या मामा का सम्मान, भोपाल के हबीबगंज का नाम रानी कमलापति के नाम पर कर देना बड़ा उदाहरण है. 

मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने आदिवासियों के भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर बिरसा मुंडा स्वरोजगार योजना, टंट्या मामा आर्थिक कल्याण योजना, मुख्यमंत्री जनजाति कल्याण योजना जैसी योजनाएं भी शुरू की.  इसके साथ ही आदिवासियों के लिए पशुधन योजना लॉच कर दी. लेकिन बावजूद इसके बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या आदिवासियों को लेकर हुए अपराध कम हुए? 

आदिवासियों पर इतना फोकस क्यों?
दरअसल मध्यप्रदेश में करीब 22 फीसद मतदाता आदिवासी हैं. प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षिक हैं. प्रदेश की करीब 90 सीटों पर आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. बात 2018 के विधानसभा चुनाव की करे तो एससी-एसटी प्रभाव वाली करीब 90 सीटों में से बीजेपी महज 35 सीटों पर सिमट गई थी. जबकि कांग्रेस अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 30 सीटें जीतने में सफल रही.  ये ही कारण है कि बीजेपी आदिवासियों पर सबसे ज्यादा फोकस कर रही है. 

एमपी में आदिवासियों पर कितने अत्याचार
सीधी जैसे घिनौने मामले के बाद विपक्षी पार्टी कांग्रेस अब बीजेपी पर काफी हमलावर है. कांग्रेस ने आरोप लगाते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में बीजेपी के 18 साल के कार्यकाल में आदिवासियों पर बहुत अत्याचार हुए है. अब तक आदिवासियों के खिलाफ 30, 406 मामले दर्ज हुए है.

कांग्रेस ने कहा भारत में सबसे ज्यादा आदिवासियों की आबादी मध्यप्रदेश में है लेकिन पिछले 5 साल में सबसे ज्यादा अत्याचार मध्यप्रदेश में ही हुए है. कांग्रेस ने कहा कि जून 2021 में नेमावर सामूहिक हत्याकांड हो या मार्च 2023 में पुलिस की गोली से इंदौर में हुई आदिवासी महिला की मौत. वहीं अगस्त 2022 में लकड़ी तस्करी के आरोप में आदिवासी लोगों पर फायरिंग भी हुई, जिसमें एक की मौत हुई थी. वहीं सीएम शिवराज के कार्यकाल में आदिवासियों महिलाओं के साथ रेप की वारदात में भी काफी इजाफा हुआ.

पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने सीएम शिवराज से किया सवाल
 - 20 साल में आदिवासियों के जीवन क्या बदलाव किए बताएं?
- आदिवासियों को संविधान में जो अधिकार मिले हैं उनमें कितनी हुई अवहेलना?
- एसटीएससी का 1 लाख बैक लोक के पद क्यों नहीं भरे गए
- आदिवासी महानायकों के नाम पर हितैषी बनाने के प्रयास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, उनके लिए क्या काम किया?
- 2019, 2020, 2021 रेकॉर्ड है कि मप्र में सबसे ज्यादा अत्याचार हुए
- आदिवासियों के लिए आने वाले फंड क्यों नहीं किया गया खर्च?
- आदिवासी बच्चों के स्कॉलरशिप क्यों नही मिल रही ?
 

कांग्रेस के ट्वीट

प्रियंका गांधी ने किया ट्वीट

क्या पैर धोने से शिवराज सरकार वापस दे पाएगी सम्मान?
आज जिस तरह से मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सीधी पेशाब कांड के पीड़ित दशमत रावत के पैर धोए और उनकी पूजा की. इतना ही नहीं सीएम ने उन्हें सुदामा तक कहा. क्या इससे इस पूरे कांड या फिर प्रदेश में हुए आदिवासियों पर अत्याचार के पाप धूल जाएंगे? सोशल मीडिया पर जैसे ही पैर धोने वाली तस्वीर सामने आई, अधिकांश कमेंट नकारात्मक ही दिखाई दिए. वहीं प्रवेश शुक्ला की गिरफ्तारी का पहला वीडियो भी लोगों ने देखा कि वो किस तरह हीरो की तरह थाने में एंट्री कर रहा था, जब आलोचना हुई तो दूसरा वीडियो फिर पुलिस द्वारा शूट किया गया, जिसमें उसकी कॉलर पकड़ी गई.

पहले जानिए आखिर ये मामला क्या था
दरअसल सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिमसें प्रवेश शुक्ला नाम का शख्स आदिवासी युवक के ऊपर पेशाब करते हुए दिख रहा था. पेशाब करने वाले युवक प्रवेश शुक्ला को बीजेपी नेता बताया जा रहा है, और कहा जा रहा है कि वो सीधी से बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला के पूर्व प्रतिनिधि हैं. कथित तौर पर बीजेपी से जुड़े होने का कांग्रेस ने बड़ा मु्द्दा बनाया है. खुद पूर्व सीएम कमलनाथ ने प्रवेश को भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा हुआ बताया है. खैर आरोपी फिलहाल जेल में है. उसके घर बुलडोजर चल गया है, और एनएसए के तहत कार्रवाई भी हुई है.

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