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MP News: 'मामा' के राज में सरकारी स्कूलों का क्या हो गया हाल, शिक्षा के लिए डेढ़ महीने से चक्कर काट रहे दिव्यांग

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों की पोल खोलने वाला एक मामला सामने आया है. प्रदेश के शहडोल जिले में 10 दिव्यांग बच्चे बीते डेढ़ माह से शिक्षा के लिए चक्कर काट रहे हैं. 

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MP News: 'मामा' के राज में सरकारी स्कूलों का क्या हो गया हाल, शिक्षा के लिए डेढ़ महीने से चक्कर काट रहे दिव्यांग
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Ruchi Tiwari|Updated: Aug 17, 2023, 11:48 AM IST

Shahdol News: शहडोल जिले में दिव्यांग बच्चों को शिक्षा का अधिकार नहीं मिल पा रहा है. हाल ही में शहडोल दिव्यांग छात्रावास से ऐसा मामला सामने आया है, जो शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख देगा. छात्रावास में 40 बच्चे रहते हैं. इनमें से 30 बच्चे तो स्कूल जाते हैं लेकिन 10 बच्चे बीते डेढ़ महीने से शिक्षा पाने के लिए स्कूल के चक्कर काट रहे हैं. प्रेरणा फाउंडेशन द्वारा संचालित इस हॉस्टल के बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं. जानें पूरा मामला- 

लगातार चक्कर काट रहे दिव्यांग-  शहडोल दिव्यांग छात्रावास को शासन ने प्रेरणा फाउंडेशन को संचालित करने का काम दिया है. इसकी देखरेख करने के लिए सारी जवाबदारी प्रेरणा फाउंडेशन की है, लेकिन बच्चों की शिक्षा का पूरा अधिकार शासन के पास है. दिव्यांगों को शिक्षा के लिए शासकीय अर्बन बेसिक स्कूल के चक्कर लगवाए जा रहे हैं. 

एडमिशन का फंसा पेंच
दिव्यांग छात्रावास के अधीक्षक मोहित यादव ने बताया कि अर्बन बेसिक स्कूल के प्रिंसिपल सुदामा तिवारी द्वारा लगातार बच्चों के कागज के लिए आए दिन परेशान किया जा रहा है. डेढ़ माह से अधिक हो गया है लेकिन अभी तक बच्चों को एडमिशन का कोई अता पता नहीं है. 

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विरोध करने पर बढ़ा मामला
अधीक्षक मोहित यादव ने बताया कि दिव्यांग बच्चों को अर्बन बेसिक स्कूल ले जाया गया तो प्राचार्य सुदामा तिवारी ने दिव्यांग बच्चों को जहां सामान्य बच्चे भोजन करते हैं वहां पर बैठाया. जब इसका विरोध किया तो प्रिंसिपल ने उन पर ही कार्रवाई करने की बात कही. इसके अलावा दिव्यांगों को ना तो शिक्षा मिल पा रही है और न ही उनका अधिकार. हॉस्टल के  9 से 10 दिव्यांग बच्चे हैं, जो तानाशाही रवैया के कारण डेढ़ माह से परेशान होकर छात्रावास में ही पढ़ाई कर रहे हैं. 

लिखा गया पत्र
इस मामले में जब जिला शिक्षा केंद्र के समन्वयक विवेक पांडे से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि लगभग 15-20 दिन पहले उन्होंने और कलेक्टर ने बच्चों के एडमिशन के लिए अर्बन बेसिक स्कूल के प्रिंसिपल को पत्र लिखा है, लेकिन अभी तक कोई उत्तर नहीं आया है. ऐसे में कहीं न कहीं सरकारी दावों पर बड़ा सवाल तो खड़ा होता है.

इनपुट- शहडोल से पुष्पेंद्र चतुर्वेदी की रिपोर्ट, Zee मीडिया 

 

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