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उज्जैन का गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप है सागर के सीरियल किलर का रोल मॉडल! जानिए लोग क्यों बन जाते हैं सनकी हत्यारे?

Sagar Serial Killer: पूछताछ में यह भी पता चला है कि सीरियल किलर शिव प्रसाद धुर्वे पुष्पा और केजीएफ-2 फिल्मों का फैन है और दोनों फिल्मों के कैरेक्टर से प्रभावित है. आरोपी फेमस होना चाहता था. 

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उज्जैन का गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप है सागर के सीरियल किलर का रोल मॉडल! जानिए लोग क्यों बन जाते हैं सनकी हत्यारे?
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Nitin Gautam|Updated: Sep 08, 2022, 07:54 PM IST

नई दिल्लीः माथे पर तिलक, आंखों में काजल और कंधे पर पड़ा सफेद कपड़ा उज्जैन के गैंगस्टर दुर्लभ कश्यप (Ujjain Gangster Durlabh Kashyap) की पहचान था. 20 साल की छोटी उम्र में ही दुर्लभ कश्यप अपराध की दुनिया का जाना-पहचाना नाम बन गया था और उसी की देखा-देखी कई अन्य युवा भी गलत रास्ते पर निकल गए. अब पता चला है कि सागर (Sagar) में 4 चौकीदारों की हत्या का आरोपी सनकी हत्यारा (Psycho Serial Killer) शिव प्रसाद धुर्वे (Shiv Prasad Dhurve) भी दुलर्भ कश्यप को अपना रोल मॉडल मानता है और उसी की तरह फेमस होना चाहता है!पुलिस पूछताछ में यह खुलासा हुआ है. 

पुष्पा, केजीएफ का है फैन
पूछताछ में यह भी पता चला है कि सीरियल किलर शिव प्रसाद धुर्वे पुष्पा और केजीएफ-2 फिल्मों का फैन है और दोनों फिल्मों के कैरेक्टर से प्रभावित है. आरोपी फेमस होना चाहता था. पुलिस को आरोपी ने बताया कि जब वह मुंबई में रहता था, तब उसके एक दोस्त ने उसे कहा था कि जब किसी की हत्या करोगे तभी बड़े बनोगे और ये बात उसके मन में बैठ गई थी. आरोपी चेन्नई, केरल, गोवा समेत कई जगहों पर रह चुका है और वहां होटलों में वेटर का काम कर चुका है. बता दें कि आरोपी ने 27 अगस्त से लेकर 1 सितंबर के बीच 4 चौकीदारों की बेरहमी से हत्या कर दी. ये चारों हत्याएं सागर में की गईं. 

आरोपी पहले भी कर चुका है वारदात
आरोपी शिव प्रसाद पहले भी मारपीट की वारदात कर चुका है. दरअसल जब वह पुणे में एक होटल में वेटर का काम करता था तो उस दौरान उसने अपने मैनेजर के सिर पर रॉड मारकर घायल कर दिया था. इस मामले में उसके खिलाफ शिकायत हुई थी लेकिन नाबालिग होने की वजह से वह जमानत पर छूट गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोपी बचपन से ही लड़ाकू प्रवृत्ति का रहा है और स्कूल के दौरान लड़कों से मारपीट करता रहता था. 

लोग क्यों बन जाते हैं सीरियल किलर?
भोपाल बेस्ड मनोवैज्ञानिक डॉ. रूमा भट्टाचार्य ने बताया कि कई सीरियल किलर्स के बारे में एक बात कॉमन देखी जाती है कि उनका बचपन मुसीबतों भरा बीता होता है या फिर उनके बचपन में सहानुभूति की कमी रही है या उन्हें अपनी गलतियों पर पछतावा नहीं होता है. साथ ही उन्होंने बताया कि सीरियल किलर्स में झूठ बोलने की भी आदत पाई जाती है और वह जल्द ही चीजों से ऊब जाते हैं. डॉ. रूमा ने बताया कि सीरियल किलर्स अक्सर अपने दिमाग में कोई आभासी कैरेक्टर बना लेते हैं और उसी के चलते वह एक जैसी हत्याओं को अंजाम देते हैं, जैसे सागर वाले में मामले में भी हत्यारे ने सभी चौकीदारों को ही अपना निशाना बनाया है. 

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