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Ramazan Unique Tradition: तोप की आवाज सुनते ही लोग खोलते हैं रोजे, 300 साल पुरानी है परंपरा

MP News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)के रायसेन जिले में रोजे खोलने की अनोखी परंपरा है. यहां पर सेहरी-इफ्तारी पर तोप दागे जाते हैं जिसके बाद लोगों को सूचना मिलती है. बता दें कि ये परंपरा लगभग 300 साल पुरानी है. 

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Ramazan Unique Tradition: तोप की आवाज सुनते ही लोग खोलते हैं रोजे, 300 साल पुरानी है परंपरा
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Divya Tiwari Sharma |Updated: Mar 29, 2023, 04:01 PM IST

Ramadan 2023: रमजान का महीना (Ramzam month) शुरु हो गया है. मुस्लिम समाज के लोग इस महीने में रोजे रखते हैं. इन महीनों में सेहरी और इफ्तारी का समय (sehri and iftari timings) काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. लोग इस समय की सूचना देने के लिए तरह तरह के संसाधनों का उपयोग करते हैं. लेकिन एमपी में रायसेन (Raisen)में 300 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है. बता दें कि यहां सेहरी और इफ्तारी की सूचना देने के लिए तोप दागे जाते हैं.

राजाओं के समय की है व्यवस्था
तोप दाग कर सेहरी इफ्तारी की सूचना रायसेन जिले में दी जाती है. राजधानी भोपाल से 47 किमी दूर पर यह जिला स्थित है. कहा जाता है कि जिले से बाहर से आने वाले अनजान लोग इससे डर भी जाते हैं. सुबह और शाम आस पास के लगभग 35 गांवों के लोग इसकी आवाज सुनकर रोजा खोलते हैं. बताया जाता है कि यहां कि ये परंपरा लगभग 300 साल पहले की है. इसकी शुरुआत तब की गई थी जब इसकी रमजान के महीनों में सूचना देने का संसाधन नहीं था.

राजाओं के जमाने में गोले दाग कर रोजे खोलने की सूचना दी जाती थी. लेकिन 1936 में भोपाल के आखिरी नवाब ने हमीदुल्लाह ने लोगों को बड़ी तोप की जगह छोटी तोप चलाने के लिए दी थी.

यहां से मिलता है सिग्नल
जिले में रोजे खोलने के लिए चलाई जाने वाली तोप के पहले सुबह शाम दोनों टाइम मरकाज वाली मस्जिद से सिग्नल दिया जाता है. सिग्नल के लिए हरा या लाल रंग का बल्ब जलाया जाता है. इसके बाद किले की पहाड़ी से तोप दागी जाती है. बता दें कि रायसेन के अलावा राजस्थान में भी तोप चलाने की परंपरा है.

प्रशासन से देता है परमिशन 
सूचना देने के लिए प्रयोग की जाने वाली तोप का प्रशासन के द्वारा लाइसेंस जारी किया जाता है. इसके लिए लोगों को हर साल परमिशन लेनी पड़ती है. रमजान खत्म होने के बाद तोप को फिर से गोदाम में रख दिया जाता है. कहा जाता है कि तोप चलाने के लिए आधे घंटे पहले तैयारी की जाती है. पूरे एक महीने तक हर रोज तोप का इस्तेमाल करने में लगभग 70 हजार खर्च आता है. और सुबह शाम इसे दागा जाता है. 

दिखती है गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल
इसके अलावा रायसेन में रमजान महीने में गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल देखने को मिलती है. यहां हिंदू समाज के द्वारा मुस्लिम रोजेदारों को जगाने के लिए सुबह 2 बजे से लेकर 4 बजे तक किले की प्राचीर से नगाड़े बजाए जाते हैं. बता दें कि ये परंपरा सदियों से चली आ रही है. इसके जरिए रोजेदारों को उठाने का काम किया जाता है.

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