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Navratri Pooja Vidhan: नवरात्रि में मूर्ती स्थापना के समय न करें ये 6 गलतियां; हो सकती है परेशानी, जान लें नियम

Navratri Pooja Vidhan at Home: नवरात्रों को काफी लोग घरों में मूर्ती स्थापित करते हैं. ऐसे में हम उनके लिए पूजा घर से जुड़े कुछ नियम और वास्तु के बारे में बता रहे हैं.

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Navratri Pooja Vidhan: नवरात्रि में मूर्ती स्थापना के समय न करें ये 6 गलतियां; हो सकती है परेशानी, जान लें नियम
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Zee News Desk|Updated: Sep 25, 2022, 04:30 AM IST

Navratri Pooja Vidhan at Home: इस साल 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है. ऐसे में हम आज आपको नवरात्रि में माता की पूजा में वास्तु से संबंधित वास्तू के बारे में बताएंगे, जिससे आपकी प्रार्थना सफल होगी. नवरात्रों में अगर वास्तु का ध्यान रख पूजा घर तैयार किया जाए तो प्रार्थना सफल होगी और घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहेगी. आज हम वास्तु शास्त्र के अनुसार उन्हीं टिप्स के बारे में बात करेंगे.

घर के मुख्य द्वार का वास्तु
नवरात्रि के नौ दिन घर के मुख्य द्वार पर दोनों और चूने व हल्दी से स्वास्तिक बनाकर आम व अशोक के पत्तों का तोरण भी लगाएं. आम व अशोक के पत्ते सकारात्मक ऊर्जा देते हैं. नवरात्र में इनका इस्तेमाल करने से शुभता बनी रहेगी और घर में वास्तु दोषों का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा.

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मूर्ति स्थापना की दिशा
देवी की प्रतिमा या कलश की स्थापना ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व के कोने में करें. उत्तर-पूर्व को पुराणों में देवताओं का स्थान माना गया है. इस कारण से यहां स्थापना शुभ होगी. अगर अखंड ज्योति जलाई जाती है तो इसे आग्नेय कोण में जलाएं. इससे शत्रुओं पर विजय प्राप्ति होगी.

आसन को लेकर वास्तू
आसन के लिए चंदन की चौंकी दुर्गा की प्रतिमा या कलश स्थापना चंदन की चौकी में करना शुभ माना गया है. अगर आप चाहें तो चंदन की चौकी पर ही कलश और प्रतिमा रखा जा सकता है. इससे कोई दोष नहीं है. चंदन के प्रभाव से पूजा स्थान सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र बन जाएगा और वास्तु दोषों का शमन होगा.

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पूजा करने वाले के मुख की दिशा
पूजा करने वाले के मुख की दिशा पूर्व या उत्तर दिशा में हो. पूर्व दिशा के स्वामी सूर्यदेव है. इस कारण ये शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है. पूर्व या उत्तर दिशा में मुख कर पूजा करने से घर के सदस्यों की प्रसिद्धि बढ़ती है और दीनता दूर होती है.

पूजा घर में रंगों का वास्तु
पूजा घर को सजाने के लिए और पूजा के लिए लाल रंग के फूलों का उपयोग करना चाहिए. ये रंग माता रानी को अत्यंत प्रिय हैं साथ ही लाल रंग सत्ता व शक्ति का प्रतीक है. माना जाता है इस रंग का फूल चढ़ाने से माता रानी प्रसन्न होती है.

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काले रंग से बनाएं दूरी
सनातन धर्म में मान्यता और हिंदू संस्कारों के अनुसार पूजा में काले रंग का उपयोग नही होता. इसी कारण शारदीय नवरात्रि की पूजा में समय काले रंग के कपड़ों के उपयोग से बचा जाता है. ये रंग अशुभ माना जाता है. इससे मन में अशुद्धि की भावना आती है और ध्यान में मन नहीं लगता.

(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्याताओं और सोशल मीडिया पर उपलब्ध जानकारियों से ली गई है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है. आप अपने आचार्य और पूजा विशेषज्ञों से इस संबंध में ज्यादा जानकारी ले सकते हैं.)

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