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MP Elections 2023: एमपी में थर्ड जेंडर की संख्या बढ़ी, पिछले कुछ सालों में इस वर्ग ने ऐसे बनाई राज्य की राजनीति में अपनी जगह

Place of Third Gender in MP Politics: मध्य प्रदेश में थर्ड जेंडर लोगों की जनसंख्या बढ़ी है.बता दें कि मध्य प्रदेश की राजनीति में पिछले कुछ सालों में इस वर्ग के कई प्रत्याशियों ने चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस जैसी मजबूत पार्टियों के उम्मीदवारों को धूल चटा दी है.

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Understanding the Place of Third Gender in MP Politics
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Abhay Pandey|Updated: Jan 19, 2023, 08:39 AM IST

Understanding the Place of Third Gender in MP Politics: साल के अंत में मध्यप्रदेश में विधानसभा के चुनाव (Assembly elections in Madhya Pradesh) होने वाले हैं और इसी के मद्देनजर सभी दल सभी वर्गों के लोगों को साधने का प्रयास कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव के पहले थर्ड जेंडर के लोगों से जुड़ी एक बहुत ही महत्वपूर्ण खबर सामने आई है. आंकड़े बता रहे हैं कि मध्य प्रदेश में थर्ड जेंडर के लोगों की संख्या बढी है. वर्तमान में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सबसे ज्यादा थर्ड जेंडर के लोग रहते हैं. मिली जानकारी के अनुसार ज्यादातर इस वर्ग की आबादी बड़े शहरों में ही निवास कर रही है. बता दें कि मध्य प्रदेश की राजनीति में पिछले कुछ सालों में थर्ड जेंडर के प्रत्याशियों ने कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशियों को भी कुछ चुनाव में धूल चटा दी. इस वर्ग के प्रत्याशी विधायक और महापौर भी बने तो चलिए समझते हैं.पिछले कुछ सालों में थर्ड जेंडर के लोगों ने कैसे अपनी उपस्थिति प्रदेश की राजनीति में दर्ज करवाई है.

देश की पहली किन्नर विधायक एमपी से बनीं थीं
थर्ड जेंडर कैटेगरी से आने वाली मध्य प्रदेश की शबनम मौसी बानो ने 25 साल पहले इतिहास रचा था. जब वह देश की पहली किन्नर विधायक बनी थीं. वो शहडोल जिले की सोहागपुर विधानसभा अब (जैतपुर) से विधायक रही थीं. यहां तक कि उन्होंने 2018 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी चुनाव लड़ा था.

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कटनी में किन्नर बन चुकी है महापौर 
मध्य प्रदेश के कटनी जिले में भी साल 2000 में इतिहास रचा गया था. जब निर्दलीय किन्नर प्रत्याशी कमला मौसी कांग्रेस व भाजपा के दिग्गज प्रत्याशियों को हराकर कटनी नगर निगम की मेयर बनीं थीं. हालांकि बाद में कोर्ट ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी, लेकिन कमला मौसी का कार्यकाल लोगों को आज भी याद है. कमला मौसी 2000 से 2003 तक कटनी की महापौर रहीं. अगर उनकी सदस्यता नहीं जाती तो वो आज देश की पहली मेयर होतीं. वहीं सागर में भी कमला बुआ ने 2009 में मेयर का चुनाव जीता था. 2009 से 2011 तक वह मेयर की सीट पर रहीं. हाईकोर्ट ने कमला बुआ का भी चुनाव रद्द कर दिया था.

दोनों मेयर सदस्यता क्यों रद्द की गई
बता दें कि कमला बुआ और कमला मौसी के केस में यह चीज सामने आई थी कि यह दोनों सीटें महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थीं और यह दोनों पुरुष किन्नर थीं. इसलिए इनकी सदस्यता को निरस्त कर दिया गया.

2022 में फिर से किन्नर प्रत्याशी की जीत
आपको बता दें कि हाल ही में संपन्न हुए जिला पंचायत चुनाव में कटनी के मतदाताओं ने एक बार फिर सभी को चौंका दिया. जब किन्नर उम्मीदवार माला मौसी ने रिकॉर्ड 8000 वोट जीत हासिल की और वह भी जिला पंचायत अध्यक्ष बनने की दौड़ में थीं.

2018 में कई उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 2018 के विधानसभा चुनाव में कई थर्ड जेंडर उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था. अंबाह (मुरैना), कोतमा (अनूपपुर), जयसिंहनगर (शहडोल), दमोह, होशंगाबाद, इंदौर विधानसभा क्षेत्र संख्या 2 और कुछ विधानसभाओं में थर्ड जेंडर उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था.

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