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सुसाइड की घटनाएं रोकने के लिए MP में बन रही पॉलिसी, जानिए किन लोगों को है खतरा?

एमपी में आत्महत्या (Suicide) की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सरकार ने राज्य में सुसाइड प्रीवेंशन पॉलिसी (Suicide Prevention Policy) बनाने का फैसला किया है. इसके लिए देश के जाने माने साइकोलॉजिस्ट की मदद ली जा रही है. बता दें कि सुसाइड प्रीवेंशन पॉलिसी बनाने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है. 

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सुसाइड की घटनाएं रोकने के लिए MP में बन रही पॉलिसी, जानिए किन लोगों को है खतरा?
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Nitin Gautam|Updated: Aug 21, 2022, 05:37 PM IST

प्रमोद शर्मा/भोपालः मध्य प्रदेश में लगातार सुसाइड की घटनाएं सामने आ रही हैं. ऐसे में सरकार ने अब ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुसाइड प्रीवेंशन पॉलिसी (Suicide Prevention Policy) बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. सुसाइड प्रीवेंशन पॉलिसी बनाने वाला मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य होगा. बता दें कि चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से एक कमेटी का गठन किया गया है. इस कमेटी में देशभर के जाने माने साइकोलॉजिस्ट (Psycologist) के अलावा अन्य विषयों के विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा.

इस कमेटी ने पॉलिसी बनाने का काम शुरू कर दिया है. कमेटी की पहली बैठक 7 जुलाई को हुई. सरकार जल्द से जल्द पॉलिसी तैयार कराना चाहती है. सरकार की कोशिश है कि इस साल के अंत तक इस पॉलिसी को लागू कर दिया जाए. यदि ऐसा होता है तो मध्य प्रदेश सुसाइड प्रीवेंशन पॉलिसी लागू करने वाला पहला राज्य बन जाएगा. राज्य के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि इस पॉलिसी में सुसाइड के मामले रोकने के लिए मेडिकल बैकअप का प्रावधान किया जाएगा.   

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 2021 में केवल राजधानी भोपाल में 655 लोगों ने आत्महत्या की. साल 2020 में यह आंकड़ा 485 था और 2019 में 412 लोगों ने भोपाल में सुसाइड किया.आंकड़े देखकर पता चलता है कि साल दर साल आत्महत्या करने वाले लोगों का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. पुलिस जांच में सामने आया है कि पारिवारिक विवाद, डिप्रेशन, बीमारी, आर्थिक तंगी, प्रेम प्रसंग, नशा आदि आत्महत्या की मुख्य वजह बन रही हैं. मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी से देश में आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. 

डिप्रेशन (DEPRESSION) क्या है?
अक्सर डिप्रेशन के शिकार लोग आत्महत्या करते हैं. डिप्रेशन एक मानसिक बीमारी है, जिसमें व्यक्ति उदास रहता है और उसके मन में हमेशा निगेटिव विचार आते रहते हैं. कई बार व्यक्ति खुद को इतना कमजोर महसूस करता है कि आत्महत्या के बारे में सोचने लग जाता है. अगर ऐसे समय व्यक्ति को कोई ना समझाए और उसकी यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो कई बार लोग सुसाइड जैसा घातक कदम उठा लेते हैं. साल 2020 में डब्लूएचओ की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि दुनियाभर में करीब 26 करोड़ लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं. 

डिप्रेशन के लक्षण (Depression Symptoms)
डिप्रेशन के शिकार लोगों के स्वभाव में कई तरह के बदलाव देखे जाते हैं. इनमें हर समय बेचैनी महसूस करना. चिड़चिड़ापन, मूड डिसऑर्डर, नींद की कमी, मन में निगेटिव विचार आना, उदास रहना, किसी काम में मन नहीं लगना, यौन इच्छाओं में कमी और सिर दर्द जैसे लक्षण दिख सकते हैं. डिप्रेशन के चलते दुनिया में हर साल करोड़ों लोग सुसाइड कर लेते हैं. अधिकतर लोग डिप्रेशन को बीमारी ही नहीं मानते और इस वजह से डॉक्टर के पास भी नहीं जाते. यही वजह है कि डिप्रेशन की बीमारी तेजी से फैल रही है और लोगों में मौत का कारण बन रही है. 

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