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MP Politics: 17 फीसदी वोट बैंक पर BJP-कांग्रेस की नजर, जानिए इसके सियासी मायने

MP Politics: एमपी में बीजेपी और कांग्रेस 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी है. दोनों ही पार्टियां मध्य प्रदेश के 17 फीसदी वोट बैंक पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है. ऐसे में इस वर्ग को लुभाने के लिए दोनों पार्टियों के बीच सियासी तकरार तेज होती जा रही है. 

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MP Politics: 17 फीसदी वोट बैंक पर BJP-कांग्रेस की नजर, जानिए इसके सियासी मायने
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Zee Media Bureau|Updated: Nov 02, 2022, 03:56 PM IST

MP Politics: प्रमोद शर्मा/भोपाल।  मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सियासी बिसात बिछने लगी है. मध्य प्रदेश के 17 प्रतिशत वोट बैंक और 35 विधानसभा सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस ने अभी से नजरे लगा दी हैं. कांग्रेस जहां राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के जरिए इस वोट बैंक को साधने में जुटी है, तो बीजेपी भी अपनी योजनाओं के जरिए इस वर्ग को अपने साथ बनाए रखना चाहती है. यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस इस 17 प्रतिशत वोट बैंक को लेकर आमने सामने नजर आ रहे हैं. 

17 प्रतिशत SC वोट बैंक पर फोकस 
दरअसल, मध्य प्रदेश के 17 प्रतिशत एससी वोट बैंक पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों की नजरे हैं. क्योंकि इस वर्ग का जिस पार्टी को साथ मिलता है, सत्ता तक पहुंचने की उसकी राह आसान हो जाती है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भी इस वर्ग ने अहम रोल निभाया था. यही वजह है कि इस बार भी हाल की कुछ घटनाओं को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में जमकर खीचतान देखने को मिल रही है. दमोह की घटना को लेकर भी प्रदेश का सियासी पारा गर्माया हुआ है. 

कांग्रेस ने बीजेपी पर साधा निशाना 
मध्य प्रदेश में कांग्रेस दलित वोट बैंक पर पकड़ मजबूत करने में जुटी है, कांग्रेस का दलितों के साथ हुई घटनाओं को लेकर सरकार के खिलाफ हल्लाबोल का आयोजन है, कांग्रेस दमोह जिले की घटना को लेकर प्रदेश सरकार को घेरने में जुटी है. मध्य प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति वर्ग के अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार का ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि ''एमपी में दलित सुरक्षित नहीं है आए दिन दलितों के साथ अत्याचार हो रहे हैं, दलितों को सुरक्षित करने के लिए पूरे प्रदेश में अभियान चलाया जा रहा है.''

भारत जोड़ो यात्रा से कनेक्ट करने की तैयारी 
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जल्द ही मध्य प्रदेश आने वाली है, ऐसे में कांग्रेस यात्रा के जरिए दलित वर्ग को साधने की तैयारी में हैं, प्रदीप अहिरवार ने कहा कि ''दलितों को पूरी तरीके से राहुल गांधी की पदयात्रा से कनेक्ट करना है, अनुसूचित जाति कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार का एक ओर आरोप है कि एमपी के सरकारी आयोजन में दलित वर्ग से चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधियों को सम्मान नहीं दिया जा रहा है, बीजेपी की सरकार में दलितों का अपमान किया जा रहा है.'' बता दें कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा नवंबर के महीने में एमपी आ रही है. 

बीजेपी का पलटवार
वहीं कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी ने पलटवार किया, भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य ने पलटवार किया, उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पहले बाबा साहब अंबेडकर को चुनाव हरवाया, इसके बाद बाबा साहब अंबेडकर की अंत्येष्ठि दिल्ली में नहीं होने दी थी, वहीं कांग्रेस अब दलितों को भड़काने में जुटी है. लेकिन दलित वर्ग किसी के भड़काने में नहीं आने वाला है. कांग्रेस केवल दलितों को राहुल की सभा में भीड़ बनाना चाहती है.''

कांग्रेस को राजस्थान और छत्तीसगढ़ क्यों नहीं दिखता 
लाल सिंह आर्य ने कहा कि ''कांग्रेस बीजेपी पर निशाना साधती है, लेकिन कांग्रेस को दलितों पर अत्याचार राजस्थान और छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं दिखता है, जबकि दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं, लेकिन वहां कोई कार्रवाई नहीं होती है. लाल सिंह आर्य ने कहा sc वर्ग के बीच कांग्रेस ने 2018 में झूठे वादे के फॉर्म भरवाए जिससे ये वर्ग गुमराह हुआ था, अब ये वर्ग 2023 में भाजपा के साथ है.''

35 सीटें हैं SC वर्ग के लिए आरक्षित 
दरअसल, मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए प्रदेश की 35 विधानसभा सीटें आरक्षित है, जबकि वोट बैंक के लिहाज 17 फीसदी वोट इसी वर्ग के हैं, यह वोट बैंक 50 से ज्यादा सीटों पर अपनी सीधी पकड़ रखता है और निर्णायक भूमिका में रहता है. वर्तमान में 35 सीटों में से भाजपा के पास 21 सीट है जबकि 14 सीटें कांग्रेस के पास है. जबकि इससे पहले भाजपा की झोली में sc सीटें 28 थी, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 8 सीटों का नुकसान हुआ, जबकि कांग्रेस को फायदा हुआ. इसके अलावा 28 सीटों पर भी बीजेपी की पकड़ कमजोर होती नजर आई. ऐसे में कांग्रेस जहां इस वोट बैंक में अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहती है तो बीजेपी इस वर्ग पर अपनी पकड़ वापस लाना चाहती है. 

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