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शिवराज सरकार के 18 साल फेल! आदिवासियों के विकास के ढिंढोरे की पोल खोल देगी ये रिपोर्ट

MP News: मध्य प्रदेश के आदिवासियों की हितैषी बताने वाली शिवराज सरकार की सच्चाई सामने आई है. रायसेन जिले के कई गांव ऐसे हैं, जहां आज भी आदिवासी मूलभूत सुविधाओं के मोहताज हैं. न तो अब तक वहां बिजली पहुंची और न ही सड़क. न तो पानी मिल पा रहा है और न ही किसी योजना का लाभ. देखें पूरी ग्राउंड रिपोर्ट-

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शिवराज सरकार के 18 साल फेल! आदिवासियों के विकास के ढिंढोरे की पोल खोल देगी ये रिपोर्ट
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Ruchi Tiwari|Updated: Jul 16, 2023, 01:04 PM IST

भोपाल/आकाश द्विवेदी: साल 2018 विधानसभा चुनाव में शिवराज सरकार से नाराज होकर आदिवासी वर्ग ने अपना वोट दूसरे पलड़े में डाला, जिसकी भरपाई आगामी विधानसभा चुनाव में करने के लिए शिवराज सरकार पूरी ताकत के साथ जुटी हुई है. खुद को आदिवासियों को हितैषी बताने वाली शिवराज सरकार ने ऐसा विकास किया है कि रायसेन जिले कई गांवों में आज भी ये वर्ग अपनी बुनियादी सुविधाओं के लिए परेशान है. आज तक यहां न तो सड़क पहुंची और न इनके घर रोशन हुए. पानी के लिए जितनी मशक्कत उतनी ही समस्या शिक्षा के लिए. पढ़िए Zee न्यूज के साथ आकाश द्वीवेदी की ग्राउंड रिपोर्ट- 

शिवराज सरकार के 18 साल फेल!
मध्य प्रदेश में एक ओर 16 जुलाई से शिवराज सरकार का विकास पर्व शुरू हो गया है, तो वहीं दूसरी ओर राजधानी भोपाल से 40 किलोमीटर दूर रायसेन जिले के ओबेदुल्लागंज के आदिवासी हैरान है कि किस बात का विकास पर्व. कहां है विकास और ये क्या होता है. जी हां, ओबेदुल्लागंज के कई गांव आज भी ऐसे हैं, जहां मूलभूत सुविधाओं के लिए ग्रामीण मोहताज हैं. करीब 250 लोगों की आबादी वाले आदिवासी गांव धुपघटा में 50 सालों से बिजली ही नही पहुंची है. यहां न तो सड़क है और न पानी है. होर्डिंग्स में लगने वाली करोड़ों की तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ भी यहां के ग्रामीणों को नसीब नहीं हुआ है. 

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पटरी पर चलकर करते हैं सफर
ग्राउंड पर पहुंचे आकाश को ग्रामीणों ने बताया कि शिवराज सरकार 18 साल में यहां जरा भी विकास नहीं कर पाई.  आजादी के 75 साल बाद भी बारिश के मौसम में यहां करीब 4 महीने के लिए कच्चे रास्ते पानी से भर जाते है., जिस कारण सड़क तक पहुंचने का मार्ग खत्म हो जाता है. ऐसे में बारिश के मौसम में लोगों के पास रेल की पटरी ही एक मात्र सहारा होती है. 3.5 किलोमीटर रेल की पटरी पर पैदल चलकर लोग बरखेड़ा तक पहुंचते हैं. जी मीडिया की टीम भी इसी रास्ते से गांव पहुंची. हैरानी तो तब हुई जब छोटे-छोटे स्कूली बच्चे भी इसी रास्ते को पार करते हुए स्कूल जाते नजर आए. 

 

शिक्षा के हाल बेहाल
रेलवे ट्रैक पर जिन स्कूली बच्चों से आकाश की मुलाकात हुई उन बच्चों ने बताया कि और कोई रास्ता नहीं है. इस रास्ते से स्कूल जाने में बहुत दिक्कत होती है. अभी रेलवे की एक लाइन बंद है. लोग उसी लाइन के सहारे जाते हैं लेकिन खतरा बना रहता है. स्कूल के हालात ऐसे हैं कि स्कूल की छत से पानी टपकता है. यहां बच्चों के बैठने के लिए सिर्फ दरी है. 11 सालों से स्कूल की मरम्मत नहीं हुई है. बारिश में पूरा स्कूल पानी से भर जाता है. स्कूल के ही बाजू में आंगनवाड़ी है, जिसकी हालत स्कूल से भी बदतर है. आंगनवाड़ी में खपरैल क्लास है, जिससे पूरा बारिश का पानी नीचे गिरता है. 

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एक ही रूम में लगती हैं सारी क्लासेस
ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि धुपघटा गांव स्थित इस स्कूल में शाला प्रभारी स्कूल में झाड़ू लगाते हैं और एक ही क्लास में पहली से 5वीं तक के छात्रों को एक साथ बैठाकर पढ़ाया जाता है. इन सब परेशानियों और सरकार की अनदेखी को लेकर ग्रामीणों में सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश है. लोगों का कहना है यहां 50 सालों से कभी बिलजी नहीं आई. कई जगह सोलर पैनल जरूर लगे लेकिन कुछ महीनों में किसी काम के नहीं रहे. एक हैंडपंप के भरोसे पूरा गांव है. सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा. 

नहीं आते नेता और विधायक
गांव के सरपंच ने बताया कि न तो सकार की ओर से कोई और न ही कभी BJP विधायक यहां आते हैं. पंचायत स्तर पर प्रस्ताव बनकर जाता है, लेकिन कभी पास नहीं होता. ऐसे हालात सिर्फ इसी गांव के नहीं, बल्कि इससे सटे दो गांव के भी हैं. ऐसे में जनता पूछती है कि शिवराज सरकार का विकास कहां है.

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