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Totake for Santan: ऐसा अद्भुत मंदिर जहां प्रसाद खाने से होती है संतान की प्राप्ति, सिर्फ महाशिवरात्रि के दिन मिलता है यह खास मौका

Famous Religious Place In MP: ऐसे तो आप देश भर में कई ऐसे शिव मंदिर के बारे में जानते होंगे, जहां की मान्यताएं अद्भुत है. लेकिन आज हम आपको मध्य प्रदेश के रतलाम में स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जो दुनिया का सबसे अनोखा शिव मंदिर है.

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Totake for Santan: ऐसा अद्भुत मंदिर जहां प्रसाद खाने से होती है संतान की प्राप्ति, सिर्फ महाशिवरात्रि के दिन मिलता है यह खास मौका
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Shubham Tiwari|Updated: Feb 04, 2023, 06:37 PM IST

Virupaksha Temple Ratlam: हर शादीशुदा दंपत्ती की पहली चाहत होती है कि उसे संतान की प्राप्ति हो, उन्हें मम्मी पापा कहने वाला कोई हो. अक्सर देखा जाता है कि किसी कारणवश यदि संतान नहीं होती है तो पति-पत्नी के रिश्तों में दरार आने शुरू हो जाते हैं. ऐसे में यदि आप या आपका कोई परिचित भी इस समस्या से गुजर रहा है तो आज हम आपको मध्य प्रदेश के रतलाम (ratlam) जिले में स्थित एक ऐसे चमत्कारी मंदिर (miraculous temple) के बारे में बता रहे हैं, जहां महाशिवरात्रि (mahashivratri) के अगले दिन जाकर खीर प्रसाद (kheer prasad) ग्रहण कर लेने मात्र से संतान की प्राप्ति (santan prapti) होती है. आइए जानते हैं क्या है इस मंदिर की मान्यता है?

रतलाम के बिलपांक में भगवान शिव का एक ऐसा प्राचीन मंदिर है, जिसे भूल भुलैय्या वाले शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर का मल नाम विरुपाक्ष महादेव मंदिर है. इस मंदिर की स्थापना परमार राजाओं ने की थी. इस मंदिर के चारों कोनों में चार मंडप बनाएं गए हैं. जिसमें भगवान गणेश, मां पार्वती और भगवान सूर्य की प्रतिमा स्थापित है.

खीर खाने से होती है संतान की प्राप्ति
रतलाम के बिलपांक गांव में स्थित विरुपाक्ष महादेव मंदिर पर महाशिरात्रि के दिन हर साल मेला लगता है. भगवान विरुपाक्ष के दर्शन के लिए इस दिन देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं. ऐसी मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन जो भक्त भी यहां आता है, वह खाली हाथ नहीं जाता है. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है कि जिस दंपत्ति की गोद सुनी है और संतान प्राप्ति के लिए परेशान है, वे यदि महाशिवरात्रि के दिन विरुपाक्ष महादेव का दर्शन कर यहां महाशिवरात्रि के अगले दिन बंटने वाले खीर प्रसाद को ग्रहण करती हैं, तो उन्हें अवश्य संतान की प्राप्ति होती है. 

निःसंतान दंपत्ती ग्रहण करते हैं प्रसाद
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर इस मंदिर में भव्य कार्यक्रम और पूजा यज्ञ का आयोजन किया जाता है. यज्ञ की आहुती महाशिवरात्रि के अगले दिन यानी अमावस्या के दिन की जाती है. आहुती के बाद यहां खीर प्रसाद का वितरण किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि खीर प्रसाद ग्रहण करने से संतान की प्राप्ति होती है. विरुपाक्ष महादेव के आशीर्वाद से संतान प्राप्ति के बाद महिलाएं यहां माथा टेकने आती हैं और परंपरा अनुसार संतान के वजह के बराबर मिठाई तौलवाकर मंदिर में बटवातें हैं. 

मंदिर की खासियत
इस मंदिर को भूल भुलैय्या वाला शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस मंदिर में लगे खंभों की एक बार में कोई ठीक से गिनती करना मुश्किल है. इस मंदिर में 64 खंभे, गर्भगृह, सभा मंडप और चारों तरफ चार सहायक मंदिर है. इसमें लगे एक स्तंभ मौर्यकालीन भी है. मंदिर के गर्भगृह में पीतल की चाद्दर से निर्मित 4.14 मीटर परिधि वाली जलाधारी व 90 सेमी ऊंचा शिवलिंग स्थापित है. 

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(disclaimer: इस लेख में दी गई समस्त जानकारी सामान्य मान्यताओं और मंदिर में प्रचलित किवदंतियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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