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भाद्रपद का पहला सोमवार: पांच स्वरूपों में महाकाल ने दिए दर्शन, नगर भ्रमण कर जाना प्रजा का हाल

श्रावण ( सावन ) के बाद भाद्रपद ( भादौ ) माह के पहला सोमवार को परंपरा अनुसार बाबा महाकाल नगर भ्रमण पर प्रजा का हाल जानने के लिए निकले. भागवान भोलेनाथ की पांचवी सवारी में भक्तों ने पांच स्वरूपों में दिए बाबा महाकाल के दर्शन किए.

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भाद्रपद का पहला सोमवार: पांच स्वरूपों में महाकाल ने दिए दर्शन, नगर भ्रमण कर जाना प्रजा का हाल
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Updated: Aug 15, 2022, 06:55 PM IST

राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: सावन ( श्रावण ) माह बीतने के बाद भादौ ( भाद्रपद ) के पहले सोमवार को बाबा महाकाल पांचवी सवारी में निकले. इस दौरान उन्होंने प्रजा का हालचाल जाना. परंपरा अनुसार माहाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर बाबा को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इस दौरान बड़ा संख्या में बाबा के भक्तों की भीड़ उमड़ी और उन्होंने बाबा के पांच स्वरूपों में भगवान भोलेनाथ के दर्शन किए.

5 रूपों में बाबा ने दिए दर्शन
परंपरा अनुसार ठीक शाम 4 बजे बाबा महाकालेश्‍वर पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ देव के रथ पर श्री शिव तांडव रूप में, नंदी रथ (बैलगाड़ी) पर श्री उमा महेश जी व ढोल रथ पर होलकर स्टेट के मुखारविंद विराजित होकर भक्तों को दर्शन देने व हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले. नगर भ्रमण के दौरान भगवान का स्वागत करने का अवसर भक्तों को मिला.

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भाद्रपद की पहली पालकी यात्रा
भादौ की पहली व या कहे सामान्यतः पांचवी सवारी में पांच स्वरूप में बाबा ने दर्शन दिए. सवारी में आजादी के 76वें वर्ष में प्रवेश करने की झलक भी भजन मंडलियों के माध्यम से देखने को मिली हर किसी के हाथ मे राष्ट्रीय ध्वज लहरा रहा था. मंदिर के मुख्य द्वार पर बाबा को पुलिस बल द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. उइस दौरान झुमते नाचते गाते और भगवन का स्वागत करने को आतुर राह में खड़े भक्तों की मनमोहक तस्वीरें सामने आईं. जय श्री महाकाल के जयकारों से पूरी अवंतिका नगरी झूम उठी.

पहले किया गया पूजन
सवारी के निकलने के पूर्व 3 बजे से 4 बजे के बीच सभामंडप में पूजन-अर्चन शासकीय पुजारी पं. घनश्‍याम शर्मा द्वारा किया गया. शासकीय अधिकारियों ने सर्व प्रथम भगवान श्री महाकालेश्‍वर का षोडशोपचार से पूजन-अर्चन किया गया. इसके पश्‍चात भगवान की आरती की गई, पूजन के पश्चात पालकी को जिला कलेक्टर व एसएसपी ने उठा कर आगे बढ़ाया.

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यात्रा में दिखा स्वतंत्रता दिवस का रंग
मंदिर के मुख्य द्वार से क्षिप्रा तट तक सांस्कृतिक कला कहीं जाने वाली भव्य रंगलोगी केवि पंड्या द्वारा बनाई गई. वहीं क्षिप्रा नदी स्तिथ सवारी मार्ग को रेड कारपेट से बिछाया गया और रंगबिरंगे ध्वज लगाए गए. सवारी के आगे-आगे आतिशबाजीयां की गईं. शुरुआत तोप की आवाज और केसरिया ध्वज लहराते हुए की गई. उसके पश्चात पुलिस बैण्ड द्वारा सुंदर सी धुन बजा कर बाबा का स्वागत किया गया.

अगली यात्रा 22 अगस्त को
महाकालेश्वर मंदिर से सवारी, महाकाल घाटी, होते हुए क्षिप्रा नदी पहुंची, जहां पूजन के बाद भगवान परंपरा मार्ग पर भ्रमण करते हुए मंदिर लौटे. अब सावन व भादौ माह की आखरी व शाही सवारी 22 अगस्त सोमवार को निकलेगी, जिसमें संख्या में भक्तों के शामिल होने का अनुमान लगाया जा रहा है. आखरी व शाही सवारी 4:00 बजे से रात के 11:00 बजे तक शहर भर में होते हुए मंदिर लौटती है.

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