प्रमोद शर्मा/भोपाल: साल के अंत में विधानसभा चुनाव (mp assembly election) होने वाले हैं और विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य की प्रमुख पार्टियां तैयारियों में जुटी हुई हैं.हालांकि, चुनाव के मद्देनजर राज्य में राजनीतिक दलों को अपनों से ही खतरा है. बीजेपी-कांग्रेस अपनों को मनाने की तैयारी में हैं क्योंकि चुनावी साल में उनके अपने ही बाधक बन सकते हैं? बता दें कि चुनावी साल में एक इंटरनल सर्वे ने बीजेपी और कांग्रेस पार्टी को चिंतित कर दिया है.
कांग्रेस और बीजेपी दोनों हैं सक्रिय
दरअसल, इस सर्वे में बीजेपी और कांग्रेस पार्टी से टिकट के लिए कतार में खड़े नेताओं को टिकट नहीं मिलने पर वो बागी हो सकते हैं. कांग्रेस पार्टी इस संभावित बगावत को देखते हुए ज्यादा चिंतित हो गई है, इसलिए कमलनाथ ने पीसीसी दफ्तर से जिला अध्यक्षों को इंटरनल पार्टी से जुड़ी हर बैठक में नाराज नेताओं को बुलाने के साफ निर्देश दिए हैं तो वहीं सत्ताधारी बीजेपी 2018 की तरह 2023 में न फंस जाए. इसलिए आरएसएस और पार्टी के सीनियर नेता एक्टिव हो गए हैं. बता दें कि मालवा-निमाड़ जिसे सत्ता का रास्ता कहा जाता है. वहां पर सामंजस्य बिठाने का दौर शुरू हो गया है.
ये हैं कांग्रेस और बीजेपी की चिंताएं
2018 में बीजेपी को सबसे ज्यादा अपनों के ही बागी होने से झटका लगा था. कई सीनियर चेहरे चुनाव में या तो निर्दलीय खड़े हो गए थे या फिर बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे. इसी के चलते बीजेपी की 15 साल की सरकार चली गई थी. वहीं, कांग्रेस का कहना है कि कांग्रेस पार्टी की सोच सही है कि हम जनता के हितों के लिए सभी को साधने और सामंजस्य बिठाने-जोड़े रखने का दौर पार्टी में चल रहा है. कांग्रेस पार्टी 2018 की तरह 2023 में वापसी करेगी.कमलनाथ के यह भी निर्देश हैं कि पार्टी में सभी नेताओं को तवज्जोह दी जाए.
भाजपा हमेशा अनुशासन वाली पार्टी रही है:रजनीश अग्रवाल
वहीं बीजेपी के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल का कहना है कि भाजपा हमेशा समन्वय, तालमेल और अनुशासन वाली पार्टी रही है. हम हमेशा इसी पाठ पर काम करते हैं.कांग्रेस पार्टी में अंतर्कलह भरमार है.