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महाकाल के दर्शन करने उज्जैन पहुंचे कवि कुमार विश्वास, जानिए क्यों बोले- देश के लिए परिवर्तन का दौर होगा

विश्व प्रसिद्ध कवि डॉ कुमार विश्वास (kumar vishwas) मकर संक्रांति (makar sankranti) पर्व के 1 दिन पहले 14 जनवरी की अल सुबह होने वाली बाबा महाकाल की भस्म आरती में आम श्रद्धालुओं के साथ शामिल हुए.

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महाकाल के दर्शन करने उज्जैन पहुंचे कवि कुमार विश्वास, जानिए क्यों बोले- देश के लिए परिवर्तन का दौर होगा
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Shikhar Negi|Updated: Jan 14, 2023, 11:14 AM IST

राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: विश्व प्रसिद्ध कवि डॉ कुमार विश्वास (kumar vishwas) मकर संक्रांति (makar sankranti) पर्व के 1 दिन पहले 14 जनवरी की अल सुबह होने वाली बाबा महाकाल की भस्म आरती में आम श्रद्धालुओं के साथ शामिल हुए. कुमार विश्वास ने बाबा महाकाल (baba mahakal) का पूजन अभिषेक भी मंदिर के गर्भ गृह से किया और करीब 3 घंटे का वक्त मंदिर में ही बिताया. कुमार विश्वास ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि वह बाबा महाकाल का आशीर्वाद लेने समय समय पर आते रहते हैं. उनका महू में कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है. उसी में सम्मिलित होने से पहले बाबा का आशीर्वाद लिया है.

कुमार विश्वास ने कहा कि मैं इससे पहले बाबा महाकाल के दर्शन करने सावन के आखिरी सोमवार को आया था. अब फिर यहां आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है.

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क्या बोले कुमार विश्वास
कुमार विश्वास प्रसिद्ध कवि है और अपने शब्दों से वे जाने जाते हैं. मकर संक्रांति पर्व को लेकर उन्होंने कहा कि भगवान सूर्य भास्कर अब इच्छानुसार अपनी दिशा बदल रहे हैं. मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण हो रहे हैं. उम्मीद है कि भगवान भास्कर का ये दिशा परिवर्तन देश के लिए भी परिवर्तन का दौर होगा. मकर संक्रांति पर्व की बहुत शुभकामनाएं व बधाई सभी देशवासियों को.

महू में अपने-अपने राम कथा का वाचन 
बता दें कि महू के शहर के गैरिसन मैदान पर 14 जनवरी शनिवार को कवि कुमार विश्वास अपने-अपने राम कार्यक्रम में राम कथा का वाचन करेंगे. ये इस कथा का आयोजन संस्कृति विभाग करा रहा है. इस कथा का उद्देश्य युवाओं को आध्यात्म के प्रति रुझान बढ़ाने और जागरुक करने का है. वहीं इसे लेकर पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने बताया कि कवि कुमार विश्वास महू में पहली बार रामचरितमानस और रामायण के प्रसंग का वाचन करेंगे.

तिल का भोग लगाया गया 
गौरतलब है कि धार्मिक नगरी उज्जैन में हर पर्व की शुरुआत भगवान महाकाल के मंदिर से ही होती है. मकर संक्रांति के मौके पर सुबह भस्म आरती में भगवान शिव को तिल के लड्डूओं का भोग लगाया गया.  साथ भी बाबा को पतंग की माला अर्पित कर राजा स्वरूप में श्रृंगार किया गया.

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