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Kadaknath Murga: कड़ाके की ठंड में कड़कनाथ मुर्गे की देश में भारी मांग, जानिए क्या है खासियत

Kadaknath Murga Palan: सर्दियों के मौसम में कड़कनाथ मुर्गे की मांग बढ़ गई है. ग्वालियर के सेंटर में 10 हजार ऑर्डर पेडिंग में है. आइए जानते हैं यह मुर्गा किन-किन बीमारियों का उपचार है.

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Kadaknath Murga: कड़ाके की ठंड में कड़कनाथ मुर्गे की देश में भारी मांग, जानिए क्या है खासियत
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Shubham Tiwari|Updated: Jan 13, 2023, 11:44 PM IST

Kadaknath Chicken: सर्दियों के मौसम में कड़कनाथ मुर्गे की देश व प्रदेश में भारी मांग है. ये मुर्गे मध्य प्रदेश में अलीराजपुर, झाबुआ व ग्वालियर में ही पाये जाते हैं. लेकिन अभी कुछ समय पहले भारतीय टीम के कप्तान रहे महेन्द्र सिंह धोनी ने इनको अपने फार्म में पालने की योजना बनाई हैं. इसलिए ये मुर्गे और सुर्खियों में आ गए हैं. इन मुर्गों की भारी डिमांड की वजह से ग्वालियर में इसके दस हजार आर्डर पेंडिग है. इसकी प्रसद्धि देख राज्य सरकार ने ग्वालियर के कृषि विश्वविद्यालय में कृषि विज्ञान केंद्र में एक अलग फार्म तैयार करवाया और इस फार्म में कड़कनाथ की अलग कृत्रिम फार्मिंग करवाई है.

कड़कनाथ मुर्गा क्यों है खास
कड़कनाथ मुर्गा एक दुर्लभ मुर्गे की प्रजाति है. यह मुर्गा काले रंग का होता है और इसे कालीमासी भी कहा जाता है. इसकी फार्मिंग के लिए राज्य सरकार द्वारा पहला फार्म 1978 में स्थापित किया गया. यह मुर्गा अन्य प्रजातियों से ज्यादा स्वादिष्ट, पौष्टिक, सेहतमंद और कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इस मुर्गें में 25 प्रतिशत प्रोटीन पाया जाता है और फैट 0.73 से 1.03 प्रतिशत तक पाया जाता है. इसमें कम कोलेस्ट्रॉल और उच्च अमीनो एसिड पाया जाता है. यह मुर्गा दिल की बिमारी से ग्रसित, मधुमेय और ह्रदय रोगीयों के लिए बेहद फायदेमंद है. इसके अलावा यह मुर्गा रोगियों के लिए दवाई की तरह काम करता है.

ग्वालियर सेंटर में भारी डिमांड
ग्वालियर के कृषि विश्वविद्यालय में एक अलग फार्म तैयार किया गया है. जहां पर कड़कनाथ मुर्गे के अंडों के जरिये चुजे तैयार किए जाते है.इसके बाद इन चूजों को पूरे देश में भेजा जाता है. अभी ग्वालियर सेंटर में 2 हजार चूजे तैयार किये जा रहे हैं . लेकिन देश भर से इन चूजों की 10 हजार से ज्यादा डिमांड आ रही है. इसमें प्रदेश के आस-पास के राज्यों से ज्यादा मांग आ रही है. क्योंकि यह मुर्गा अन्य मुर्गों से स्वाद में बेहतर है औेर कई औषधीय गुणों से भरपूर है.

देश में कड़कनाथ चिकन को पसंद करने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. एक समय था जब मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कड़कनाथ के अधिकार को लेकर विवाद चल रहा था. लेकिन मध्यप्रदेश को इसकी भोगोलिक पहचान की वजह से जीआई टैग मिल चुका है.

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