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Jivitputrika Vrat 2022: जितिया व्रत आज? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व महत्व

Jivitputrika Vrat 2022: हर साल अश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन माताएं जीवित्पुत्रिका का व्रत रखती हैं. मान्यता है कि जो माताएं यह व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा करती हैं, उनके पुत्र पर कभी कोई संकट नहीं आता है. आज जीवित्पुत्रिका व्रत है. आइए जानते हैं इसके पूजा विधि व महत्व के बारे में...  

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Jivitputrika Vrat 2022: जितिया व्रत आज? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व महत्व
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Zee News Desk|Updated: Sep 18, 2022, 07:33 AM IST

Jivitputrika Vrat 2022 Kab Hai: हर मां की इच्छा होती है कि उसका हमेश सुखी रहे और दीर्घायु हो. पुत्र की लंबी आयु के लिए हिंदू धर्म की महिलाएं. आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं. यह व्रत कठिन व्रतों में से एक है, क्योंकि इस व्रत में निर्जला और निराहार रहा जाता है. इस व्रत में जीमूतवाहन की पूजा की जाती है. इस व्रत को जीवित्पुत्रिका, जितिया, जिउतिया,और ज्युतिया व्रत के नाम से जाना जाता है. आज जीवित्पुत्रिका का व्रत रखा जाएगा. आइए जानते हैं इसके बारे में..

कब है जीवत्पुत्रिका व्रत
हिंदू पंचागं के अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 17 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 14 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 18 सितंबर की शाम 04 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. उदयातिथि के मान्यतानुसार जीवित्पुत्रिका का व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा.

जीवित्पुत्रिका व्रत पर बन रहे कई शुभ मुहूर्त
इस बार जीवित्पुत्रिका व्रत पर एक साथ कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. इस दिन यानी 18 सितंबर की सुबह 06 बजकर 34 मिनट तक सिद्धि योग है. इस दिन अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 40 मिनट तक है. जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन सुबह 09 बजकर 11 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक अमृत और लाभ मुहूर्त है. 

जीवत्पुत्रिका व्रत पारण समय
जो माताएं जीवित्पुत्रिका का व्रत रखती हैं वे 19 सितंबर की सुबह 06 बजकर 08 मिनट से लेकर सुबह 07 बजकर 40 मिनट तक और सुबह 09 बजकर 11 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 43 मिनट तक पारण करने का शुभ मुहूर्त है.

जीवित्पुत्रिका व्रत महत्व
जीवित्पुत्रिका व्रत यानी जितिया का व्रत हिंदू धर्म में संतान की लंबी उम्र की और उसके उत्तम स्वास्थय के लिए रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो माताएं अश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जीवित्पुत्रिका का व्रत रखकर विधि विधान से पूजा करती हैं उनके संतान को जीवन में कभी कोई तकलीफ नहीं आती है और संतान हमेशा निरोग रहता है.

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(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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