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भारत के जूट बैग्स की दीवानी हुई दुनिया! कई बड़े ब्रांड्स कर रहे इस्तेमाल, 1000 करोड़ पहुंचा निर्यात

भारत के जूट बैग का सबसे बड़ा बाजार अभी अमेरिका है, जहां पिछले साल 820 करोड़ रुपए के जूट बैग्स निर्यात किए गए. आने वाले दिनों में इसमें और भी ज्यादा इजाफा देखने को मिलेगा. दुनिया के कई नामी ब्रांड्स इन दिनों प्लास्टिक की जगह जूट के बैग्स में अपने उत्पाद बेच रहे हैं. 

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भारत के जूट बैग्स की दीवानी हुई दुनिया! कई बड़े ब्रांड्स कर रहे इस्तेमाल, 1000 करोड़ पहुंचा निर्यात
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Nitin Gautam|Updated: Oct 17, 2022, 10:31 AM IST

नई दिल्लीः ग्लोबल वार्मिंग के चलते दुनियाभर में पर्यावरण बचाने को लेकर जागरुकता आई है. यही वजह है कि लोग अब प्राकृतिक उत्पादों की तरफ जा रहे हैं. प्राकृतिक उत्पादों की बढ़ती मांग का सीधा फायदा भारत को मिला है. दरअसल भारत की जूट इंडस्ट्री लंबे समय तक उपेक्षित रहने के बाद अब एक बार फिर से तरक्की कर रही है. दुनिया के कई बड़े ब्रांड्स जैसे वालमार्ट, मार्क एंड स्पेंसर, टेस्को आदि अमेरिका, जापान और यूरोप की मार्केट में जूट के बैग्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. 

1000 करोड़ पहुंचा निर्यात

टीओआई की रिपोर्ट्स के अनुसार, इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन का कहना है कि साल 2016 में भारत ने 350 करोड़ रुपए के जूट बैग्स निर्यात किए थे. वहीं 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर करीब एक हजार करोड़ रुपए हो गया है और कई बड़े ब्रांड्स भारत से शॉपिंग जूट बैग खरीद रहे हैं. भारत के बंगाल में जूट बैग्स की सबसे ज्यादा इंडस्ट्रीज हैं. आंकड़ों के मुताबिक भारत की कुल 93 जूट मिल्स में से 70 अकेले बंगाल में हैं. भारत के कुल जूट बैग निर्यात का 80 फीसदी बंगाल से ही निर्यात किया जाता है. 

प्लास्टिक का विकल्प जूट

जिस तरह से पूरी दुनिया में प्लास्टिक बैग्स के खिलाफ माहौल बन रहा है और कई जगह इन्हें बैन करने की मांग हो रही है. उसे देखते हुए अगले 5 साल में जूट बैग मार्केट 18,800 करोड़ रुपए से बढ़कर 27,700 करोड़ रुपए हो जाएगा. भारत के जूट बैग का सबसे बड़ा बाजार अभी अमेरिका है, जहां पिछले साल 820 करोड़ रुपए के जूट बैग्स निर्यात किए गए. आने वाले दिनों में इसमें और भी ज्यादा इजाफा देखने को मिलेगा. भारत में हर साल करीब 13 लाख टन जूट का उत्पादन होता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि एक जूट बैग 600 प्लास्टिक बैग्स के बराबर चल सकता है. 

जानिए कैसे बनता है जूट

बता दें कि भारत में सबसे ज्यादा जूट की खेती पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम और उत्तर प्रदेश के कुछ तराई वाले इलाकों में की जाती है. जूट के पौधों का गट्ठर बनाकर उन्हें पानी में सड़ने के लिए डाल दिया जाता है. इसके बाद जूट के पौधों से रेशे निकाले जाते हैं और इन रेशों से ही बैग्स, बोरी व अन्य सामान बनाया जाता है. देश में करीब 16 लाख एकड़ जमीन पर जूट की खेती होती है और इसके उत्पादन का करीब 67 फीसदी भारत में ही इस्तेमाल होता है. बाकी का निर्यात किया जाता है. जूट के रेशों से बैग्स, बोरे, दरी, तंबू, तिरपाल, टाट, रस्सियां, कपड़े और कागज बनाने का काम होता है.

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