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Maharishi Mahesh Yogi: कहानी उस योगी की जिसने चलाई थी भगवान राम के नाम की करेंसी! MP से था गहरा नाता

Maharshi Mahesh Yogi death anniversary:आध्यात्मिक गुरु महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी को हुआ था और उनका निधन 5 फरवरी को हुआ था. इसलिए 5 फरवरी को लोग महर्षि योगी को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं.

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Guru Maharishi Mahesh Yogi Punyatithi
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Abhay Pandey|Updated: Feb 05, 2023, 04:00 AM IST

Guru Maharishi Mahesh Yogi Punyatithi 2023: हर साल योग और आध्यात्मिक गुरु महर्षि महेश योगी की पुण्यतिथि यानी 5 फरवरी को लोग याद करते हैं. गौरतलब है कि उनका निधन 5 फरवरी, 2008 को हुआ था. महर्षि योगी का जन्म 12 जनवरी, 1918 को वर्तमान छत्तीसगढ़ के राजिम शहर में हुआ था, जो कि छत्तीसगढ़ का हिस्सा था अविभाजित मध्य प्रदेश हिस्सा था. हालांकि जबलपुर में उनका जन्म हुआ था, इसकी भी बात कही जाती है तो चलिए आज उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके बारे में कुछ बाते बताएंगे...

महर्षि महेश योगी का प्रारंभिक जीवन
महर्षि योगी के पिता राजस्व विभाग में कार्यरत थे. जब उनके पिता का तबादला जबलपुर हो गया. इसके बाद उनका शुरूआती जीवन यहीं बीता. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा यहीं के हितकारिणी स्कूल से प्राप्त की थी. इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीएससी की डिग्री हासिल की थी. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने इलाहाबाद से फिलॉसफी में एमए किया है.इसके बाद उन्होंने छोटे-मोटे काम किए. एक दिन रास्ते में गुजरते हुए उन्होंने स्वामी ब्रह्मानंद के प्रवचन सुने. जिससे वे इतने प्रभावित हुए और उनमें वैराग्य का जीवन जाग्रत हो गया, इसके बाद वे अध्यात्म की ओर बढ़े.

महर्षि महेश योगी का आध्यात्मिक जीवन
अपने गुरु स्वामी ब्रह्मानंद से आध्यात्मिक शिक्षा ली और उनके साथ विश्व भ्रमण किया. इसके बाद महर्षि योगी ने पारलौकिक ध्यान के माध्यम से पूरे विश्व में वैदिक संस्कृति का परिचय दिया. इसके बाद विश्व के नामचीन लोग उनसे बेहतर स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ज्ञान सीखने लगे. वह लोगों को ट्रान्सेंडैंटल मेडिटेशन सिखाते थे, ताकि लोग अपने अंदर झांक सकें. ताकि लोग अपनी खुशी को महसूस कर सकें और अपने हर पल का आनंद उठा सकें.

महर्षि ने ऋषिकेश में एक आश्रम बनाया
महर्षि योगी ने ऋषिकेश में 18 एकड़ में एक आश्रम बनाया था, जो अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस था. जहां विदेशी मेहमान योग सीखने आते थे और उन मेहमानों को शाकाहारी भोजन दिया जाता था. विदेशी मेहमानों में गायक डोनोवन, यूके के रॉक बैंड आदि शामिल थे. कहा जाता है कि उनके शिष्यों में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से लेकर आध्यात्मिक गुरु दीपक चोपड़ा तक भी शामिल थे. इसके बाद 1970 के दशक में गुरु और उनके शिष्य आश्रम छोड़कर नीदरलैंड चले गए थे

गुरु ने चलाई मुद्रा
महर्षि महेश योगी ने राम नाम की मुद्रा यानी  एक, पांच और दस रुपये के नोटों में चलाई थी. जिसे बाद में नीदरलैंड सरकार ने 2003 में कानूनी मान्यता दे दी थी. जो नीदरलैंड के गांव व शहरों में दुकान पर चलने लगी थी और अमेरिका की महर्षि वैदिक सिटी में राम मुद्रा प्रचलन शुरू हो गया था. इसके अलावा अमेरिका के 35 राज्यों में राम नाम के बांड शुरू किए गए थे.

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