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सीएम शिवराज की सख्ती का असर, बाघ को फंदा लगाकर मारने वाले दो संदिग्ध गिरफ्तार

उत्तर वन मंडल के देवेंद्रनगर रेंज के तिलगवा बीट में कल एक बाघ की पेड़ से लटकता हआ शव मिला. जिसके गले में क्लच वायर लगा हुआ था. जैसे ही यह खबर फैली पन्ना से लेकर भोपाल तक की राजनीति सहित प्रशासनिक अमलों में हलचल मच गई.

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सीएम शिवराज की सख्ती का असर, बाघ को फंदा लगाकर मारने वाले दो संदिग्ध गिरफ्तार
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Zee Media Bureau|Updated: Dec 08, 2022, 11:46 PM IST

पीयूष शुक्ला/पन्ना: उत्तर वन मंडल के देवेंद्रनगर रेंज के तिलगवा बीट में कल एक बाघ की पेड़ से लटकता हआ शव मिला. जिसके गले में क्लच वायर लगा हुआ था. जैसे ही यह खबर फैली पन्ना से लेकर भोपाल तक की राजनीति सहित प्रशासनिक अमलों में हलचल मच गई. आनन फानन में सीएम ने वन राजस्व और पुलिस की संयुक्त बैठक कर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए. आखिरकार सीएम की सख्त निर्देश के बाद आज डिप्टी रेंजर अजीत खरे और बीट गार्ड अरुण त्रिवेदी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.

दरअसल घटना की जानकारी के बाद छतरपुर से मुख्य वन संरक्षक संजीव झा के साथ डॉग स्क्वायड की टीम और एसटीएफ की फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंची मौका मुआयना किया गया. डॉग स्क्वाड से मिले संकेत के बाद शिकारियों की तलाश की गई. जिनमें से दो संदिग्ध आरोपियों को वन विभाग की संयुक्त टीम ने पकड़ लिया है जबकि एक अन्य आरोपी फरार बताया जा रहा है. इस पूरे मामले में तीन आरोपी बताए जा रहे है फिल्हाल मामले की जांच जारी है.

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जंगली जानवर के लिए लगाया था फंदा
वहीं डीएफओ का यह भी कहना है कि अन्य जंगली जानवरों के लिए कुछ कृषक द्वारा ये फंदा लगाया गया था. जिसमे दुर्भाग्य से यह बाघ आकर फंस गया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक डीएफओ ने बताया कि टाइगर के पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट में बताया गया कि उसके सभी अंग मौजूद हैं, इससे स्पष्ट होता है कि ये मामला शिकार का नहीं है.

दो कर्मचारी हुई सस्पेंड
गौरतलब है कि सीएम शिवराज ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया था. जिसके बाद वन विभाग ने डिप्टी रेंजर अजीत खरे और बीट गार्ड अरुण त्रिवेदी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया और प्रकरण की जांच एसडीओ पन्ना को सौंप दी है.

करोड़ों खर्च, लेकिन परिणाम शून्य
बता दें कि टाइगर रिजर्व और वन विभाग बाघों की सुरक्षा में लाखों करोड़ों रुपये खर्च करता है. अधिकारियों, कर्मचारियों की लंबी फैज तैनात करने के साथ ही हाइटेक सुविधाएं दी जाती हैं, ताकि बाघों को बचाया जा सके. इसके लिए हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं.

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