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धर्मांतरण पर भारत सरकार को खुली चुनौती! दमोह में बाल आयोग के अध्यक्ष को मिशनरी हॉस्टल के गेट पर रोका

Conversion in Damoh: मध्य प्रदेश के दमोह में बच्चों को धर्मांतरण का मुद्दा सामने आया है, जिसमें भारी विरोध के बाद बाल संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मामले को संज्ञान में लिया और FIR दर्ज करवाई है. जानिये क्या है ये पूरा मामला...

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धर्मांतरण पर भारत सरकार को खुली चुनौती! दमोह में बाल आयोग के अध्यक्ष को मिशनरी हॉस्टल के गेट पर रोका
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Zee Media Bureau|Updated: Nov 14, 2022, 10:54 AM IST

Conversion in Damoh: महेंद्र दुबे/दमोह। मध्य प्रदेश के दमोह में रविवार रात को ईसाई मिशनरियों के द्वारा बच्चों का धर्मांतरण का मुद्दा गरमा गया. जिले के दौरे पर पहुंचे बाल संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो हॉस्टल औचक निरीक्षण के लिए पहुंचे, जहां उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा. इसके बाद उन्होंने थाने में इस मामले को लेकर थाने में शिकायत की है, जिसके बाद पुलिस ने कई धाराओं में 10 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है.

कैसे हुआ संदेह
आयोग के राष्ट्रिय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो रविवार को दमोह जिले के दौरे पर आये थे. कानूनगो के मुताबिक, उन्होंने सिर्फ अपने आने की सूचना जिले के अफसरों को दी थी. वो यहां चल रहे कुछ बाल उपक्रमों का औचक निरिक्षण करना चाहते थे. अपने प्लान के मुताबिक, कानूनगो ने दमोह में ईसाई मिशनरी द्वारा चलाये जा रहे अनाथ आश्रमों चिल्ड्रन हाउसेस का औचक निरिक्षण करना चाहा तो खासा बबाल हो गया. हॉस्टल पहुंचने पर उन्हें गेट पर लंबा इंतजार करना पड़ा इससे उनका शक गहरा गया.

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गेट खोलने में क्यों हुई देरी
मिड इंडिया क्रिश्चियन मिशन ने खुद पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया है. हॉस्टल की प्राचार्य ट्रीजा मिस के मुताबिक धर्मांतरण जैसे आरोप बेबुनियाद है. इस हॉस्टल में किसी भी बच्चे को कोई पाबंदी नहीं है. हिन्दू और मुस्लिम बच्चे अपने धर्मो को मानते हुए पूजा पद्धति का उपयोग करते हैं. गेट न खोलने पर उन्होंने कहा कि रविवार को बच्चे हॉस्टल से बाहर नहीं जाते और सुरक्षा कारणों से गेट खोलने में देरी हुई.

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इन धाराओं में दर्ज हुआ मामला
पुलिस थाने में हंगामे और नारेबाजी के बीच पुलिस ने आयोग के अध्यक्ष की रिपोर्ट पर ईसाई मिशनरी के दस लोगों के खिलाफ IPC की धारा 370, किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 42 एवं 75, मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 की धारा 03 और धारा 05 के तहत मामला दर्ज किया है. एडिशनल एसपी शिवकुमार सिंह के मुताबिक, आयोग अध्यक्ष ने धर्मांतरण जैसे आरोप लगाए है जिनकी जांच की जा रही है.

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इससे पहले भी उठते रहे हैं सवाल
दमोह जिले में धर्मांतरण का मुद्दा नया नहीं है बल्कि कई सालों से हिंदूवादी संघठन इस पर आवाज़ उठाते आये है, लेकिन पुख्ता सबूत न मिल पाने की वजह से कभी आरोपियों पर कार्रनाई नहीं हो पाई. लेकिन, रविवार को भारत सरकार के राष्ट्रीय बाल सरंक्षण आयोग के अध्यक्ष ने दमोह में धर्मांतरण के मामले को संज्ञान में लिया और मामले में शिकायत भी दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने 10 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है.

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इस तरह था घटनाक्रम
प्रियंक कानूनगो मध्यप्रदेश राज्य बाल अधिकार सरंक्षण आयोग के सदस्य ओमकार सिंह मरकाम के साथ-साथ कटनी बायपास स्थित एक हॉस्टल पहुंचे. यहां उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा. उनके साथ पुलिस के आला अधिकारियों के साथ प्रशासन के नुमाइंदे भी मौजूद थे, लेकिन मेन गेट नहीं खुला. इसके बाद उन्होंने ईसाई मिशनरी की संस्थाओ  में मासूम बच्चों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है.

जब प्रियंक कानूनगो ईसाई मिशनरी के लोगों के खिलाफ FIR कराने के लिए थाने पहुंचे, जहां उन्हें खासा इंतजार करना पड़ा. देर रात तक करीब चार घंटे के इंतजार के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई.

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कटघरे में महिला बाल विकास विभाग
कानूनगो ने मीडिया से बात करते हुए प्रदेश के महिला बाल विकास विभाग को कटघरे में खड़ा किया. उनकी मानें तो उनके दमोह दौरे की जानकारी बस विभाग को थी, लेकिन औचक निरिक्षण के पहले सम्बंधित संस्थाओं को सूचना दे दी गई. ऐसा विभाग के लोगों ने ही किया है. उन्होंने दावा किया की वो खुद एक अफसर का मोबाइल फोन पकड़े हैं.

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