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कूनो की सीमा लांघ रहे चीता, ग्रासलैंड एरिया आया पसंद, कब-कब पार किया नेशनल पार्क

Cheetah In India: श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क से चीते लगातार नेशनल पार्क की सीमा को छोड़ आसपास के जिलों के जंगलों में पहुंच रहे हैं. इनके लगातार अपनी टेरेटरी बदलने के पीछे बड़ी वजह सामने आई है. देखिये हमारी ये खास रिपोर्ट...

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कूनो की सीमा लांघ रहे चीता, ग्रासलैंड एरिया आया पसंद, कब-कब पार किया नेशनल पार्क
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Mahendra Bhargava|Updated: May 29, 2024, 06:06 PM IST

Cheetah In Kuno National Park: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन यानी की 17 सितंबर 2022 को आठ चीते कूनो नेशनल पार्क में 74 साल बाद नामीबिया से भारत की सरजमीन पर आए थे. इसके बाद से लगातार चीतों के कुनबे में वृद्धि हो रही है लेकिन सबसे ज्यादा चिंता का विषय और सवाल खड़ा हुआ है कि आखिर चीते अपनी नेशनल पार्क की टेरिटरी को लगातार क्रॉस क्यों कर रहे हैं. सालभर में 11 बार तीन राज्यों के 7 जिलों में टेरिटरी पार करते चीते दर्ज किए गए हैं.

कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान समय में 14 शावकों सहित 27 चीते हैं. मार्च 2023 में कूनो नेशनल पार्क के 5 किलोमीटर दायरे के बाड़े से पहली बार चार चीतों को खुले जंगल में छोड़ा गया था. बाड़े से बाहर आते ही चिता पवन, वीरा और अग्नि कई बार कूनो नेशनल पार्क की टेरिटरी को पार कर चुके हैं. चीतों की सीमाएं लांघकर बाहर जाने के मामले पर ग्वालियर के CCF टीएस सूलिया ने कहा कि चीता का जो रहवास है वह ग्रासलैंड पर डिपेंड होता है, क्योंकि सभी ने देखा होगा कि चीते काफी तेज दौड़ते हैं और घास के मैदान में उन्हें अच्छा लगता है. वे ऐसे क्षेत्र में शिकार भी करते हैं. 

क्यों पसंद आ रहा ग्वालियर का मैदान
ग्वालियर वन क्षेत्र में घास का मैदान काफी है. इसलिए उन्हें यह क्षेत्र काफी पसंद आ रहा है और यहां शिकार भी कर रहे हैं. कूनो का जंगल काफी घना है. वहां पूरी तरह से वह चीतल या अन्य वन्य जीवों पर अटैक नहीं कर पा रहा है, जिसके चलते उन्हें बाहर का खासकर ग्वालियर वन क्षेत्र का ग्रासलैंड एरिया ज्यादा पसंद आ रहा है. यहां वह आसानी से ग्रासलैंड में अटैक करके अपना भरण पोषण कर पा रहा है.

चीतों ने कब-कब लांघी सीमा

-  28 मार्च 2023 को वीरा मुरैना के पहाड़गढ़ इलाके तक पहुंच गई
-  2 अप्रैल 2023 को पवन श्योपुर के झारबड़ौदा पहुंचा
-  22 अप्रैल 2023 को फिर पवन शिवपुरी के एक गांव में दिखाई दिया
-  25 अप्रैल 2023 को आशा राजस्थान बॉर्डर तक पहुंच गई
- 3 मई 2023 को आशा श्योपुर के विजयपुर जा पहुंची
- 18 मई 2023 को पवन ग्वालियर पहुंचा
- जून 2023 को आशा शिवपुरी के गांव में देखी गई
- 15 जुलाई 2023 को पवन शिवपुरी पहुंच
- 23 दिसंबर 2023 को अग्नि राजस्थान के बारां पहुंच गया
- 4 मई 2024 को पवन राजस्थान के करौली इलाके तक पहुंच गया
- 18 मई 2024 को चिता वीरा ग्वालियर तक जा पहुंची, वह अभी तक इसी क्षेत्र में डेरा जमाए हुये हैं

हर चीता के लिए 100 किमी का इलाका जरूरी
ग्रासलैंड एरिया के अलावा कूनो का वन्य क्षेत्र अब उनके लिए छोटा पड़ रहा है. नामीबिया और अफ्रीका के जंगल का क्षेत्रफल ही 10 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा है. एक चीते को अपनी टेरिटरी बनाने के लिए करीब 100 वर्ग किलोमीटर का इलाका चाहिए होता है. कूनो के जंगल का इलाका 748 वर्ग किलोमीटर मुख्य जोन में और 558 वर्ग किलोमीटर बफर जोन में है. दोनों को जोड़ दिया जाए तो महज 1306 वर्ग किलोमीटर होता है. इस हिसाब से 27 चीतों के लिए 2700 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र का जंगल चाहिए. ऐसे में वन विभाग और चीता एक्सपर्ट इस व्यवस्था को मजबूत करने की कार्रवाई में जुट गए हैं तो वहीं दूसरी ओर गर्मी को देखते हुए ग्वालियर वन क्षेत्र में विचरण कर रही वीरा पर भी सतत निगरानी रखी जा रही है.

रिपोर्ट: करतार सिंह राजपूत, ग्वालियर

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