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छत्तीसगढ़ में केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने, कोल ब्लॉक लेवी की राशि का मामला

Congress Government: छत्तीसगढ़ में कोल ब्लॉक लेवी की राशि का मामला फिर उठ गया है. कांग्रेस पार्टी से राज्य सभा सांसद राजीव शुक्ला ने राज्यसभा में मुद्दा उठाया है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार को  4 हजार करोड़ से अधिक कोयला रॉयल्टी का लेना है लेकिन केंद्र सरकार ये धनराशि देने से मना कर रही है. 

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छत्तीसगढ़ में केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने, कोल ब्लॉक लेवी की राशि का मामला
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Updated: Dec 21, 2022, 03:42 PM IST

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में एक बार फिर कोल ब्लॉक लेवी की राशि का पुराना विवाद उभरकर सामने आ गया है. बता दें कि केंद्र और राज्य सरकार कोल ब्लॉक लेवी की धनराशि को लेकर आमने-सामने हो गई हैं. इस विवाद का कारण है कोल ब्लॉक लेवी धनराशि, तो क्या है कोल लेवी पढ़िए

क्या है कोल लेवी
आपकों बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कोयला ब्लाक आवंटन के लिए अपना एक फैसला दिया था, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि खनिज राज्य सरकार के स्वामित्व में रहेगा और कोयला अधिनियम 2015-16 के तहत राज्य को कोयला खनन में अतिरिक्त लेवी लेने का अधिकार है.

क्यों गरमाया कोल ब्लॅाक लेवी का मामला
कांग्रेस पार्टी से राज्य सभा सांसद राजीव शुक्ला ने राज्यसभा में फिर से ये मुद्दा उठाया है. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार को  4 हजार करोड़ से अधिक कोयला रॉयल्टी का लेना है लेकिन केंद्र सरकार ये धनराशि देने से मना कर रही है. उन्होने कहा कि जब हमने सवाल किया तो उधर से जवाब आया कि लेवी की धनराशि किसी को नहीं दी जाएगी. उनके सवाल के बाद लिखित रूप से जवाब देते हुए केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कोयला ब्लॉक की अतिरिक्त लेवी के रूप में कुल 6 हजार 967 करोड़ 30 लाख रुपये एकत्र किये गए हैं और छत्तीसगढ़ के 6 कोल ब्लॉक से 4 हजार 24 करोड़ 38 लाख की धनराशि जमा की गई है. मंत्री ने आगे लिखते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल से राय ली, जिसके बाद से तय किया गया है कि राज्यों को ये धनराशि नहीं दी जाएगी.

कांग्रेस ने साधा केंद्र सरकार पर निशाना
मामले के बाद कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि केंद्र सरकार अपने आर्थिक कुप्रबंधन का ठीकरा राज्यों पर फोड़ रही है. राज्य के रॉयल्टी की जो धनराशि है उसे दी जानी चाहिए. इसके पहले भी केंद्र ने ओल्ड पेंशन स्कीम की धनराशि देने से मना कर दिया था. अगर ऐसा ही होता रहा तो राज्यों का खर्चा कैसे चलेगा राज्यों के साथ अन्याय किया जा रहा है, यह संघीय भावना के खिलाफ है.

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