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Big Decision : मध्य प्रदेश में निकाय अध्यक्ष और पार्षदों को लेकर अहम फैसला, CM की सांसद-विधायकों को दो टूक

CM Shivraj Meeting Meeting With MLA : मध्य प्रदेश में निकाय चुनाव संपन्न होने के बाज बीजेपी चुने गए पार्षद और अध्यक्षों के लिए बड़ा आयोजन करने जा रहे हैं. इससे पहले हुई हाईलेवल मिटिंग में सीएम शिवराज सिंह चौहान में विधायकों और सांसदों को दो टूक सुना दी है.

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Big Decision : मध्य प्रदेश में निकाय अध्यक्ष और पार्षदों को लेकर अहम फैसला, CM की सांसद-विधायकों को दो टूक
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Zee News Desk|Updated: Aug 18, 2022, 09:28 AM IST

भोपाल: निकाय चुनाव संपन्न हो गए हैं. सभी शहरों में अध्यक्षों का चुनाव संपन्न हो चुके हैं, लेकिन राजनीतिक पार्टियों का परिणामों को लेकर मंथन जारी है. बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सांसदों और विधायकों की बैठक ली. इसमें उन्होंने बीजेपी की ओर से आयोजित होने वाले निकाय अध्यक्ष और पार्षदों के सम्मेलन के बारे में जानकारी ली. इसके साथ ही उन्होंने लापरवाही को लेकर सांसदों और विधायकों को दो टूक सुना दी.

विधायक और सांसदों को सीएम की दो टूंक
बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि निकाय चुनाव में किसी ने गड़बड़ की है तो उस पर भी कार्रवाई होगी. अगर किसी ने पार्टी ने निर्देशों का पालन नहीं किया तो फिर उस पर तो विचार होगा. बूथ में नहीं पहुंचे पर उन्होंने सांसदों और विधायकों को दो टूक सुना दी. उन्होंने कहा कि बूथ में जाने के लिए विधायक सांसद समय निकालें, इससे ज्यादा अहम और कोई काम नहीं है.

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नगर निगमों में बीजेपी को हुआ है घाटा
पिछली बार हुए चुनाव में सभी 16 नगर निगमों में बीजेपी के महापौर बने थे. इस बार उसे 7 नगर निगमों से हाथ धोना पड़ा है. इनमें तीन शहर ग्वालियर, जबलपुर और रीवा शामिल हैं. 16 में से केवल 5 नगर निगमों में कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी जीते हैं. इसमें  अध्यक्ष कमलनाथ का गढ़ छिंदवाड़ा भी शामिल हैं, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के लोकसभा क्षेत्र भोपाल में पार्टी को हार मिली है.

ओवर आल फायदे में बीजेपी
पिछले चुनावों यानी 2015 के परिणामों से तुलना करें तो बीजेपी को फायदा हुआ है. पिछले चुनाव में नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषदों को मिलाकर बीजेपी के पास 158 शहरों की सरकार थी,जबकि कांग्रेस के खाते में 75 निकाय आए थे. 2022 के निकाय चुनावों में बीजेपी 256 निकायों में चुनाव जीत कर आई है. वहीं कांग्रेस 58 सीटों पर कब्जा जमा सकी. यानी बीजेपी को 98 सीटों का फायदा और कांग्रेस को 17 सीटों का नुकसान हुआ है.

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