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Bhopal News: अब सस्ते में शुद्ध हो सकेगा जल, आइसर के विज्ञानिकों ने खोजी नई तकनीक

Bhopal News: जल का इस्तेमाल खाना बनाने से लेकर खेतों की सिंचाई तक में किया जाता है. इसलिए इसका शुद्ध होना हमारे लिए बेहद जरूरी है. इसी बीच भोपाल से एक अच्छी खबर सामने आई है. बता दें कि आइसर के वैज्ञानिकों ने  जल की शुद्धता को लेकर काम किया है.  

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Bhopal News: अब सस्ते में शुद्ध हो सकेगा जल, आइसर के विज्ञानिकों ने खोजी नई तकनीक
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Ranjana Kahar|Updated: Apr 27, 2023, 08:32 PM IST

Bhopal News: जल है तो जीवन है. जी हां जल के बिना जीना संभव नहीं है. इंसान खाने के बिना तो रह सकता है लेकिन जल यानी पानी के बिना नहीं रह सकता. जल का इस्तेमाल खाना बनाने से लेकर खेतों की सिंचाई तक में किया जाता है. इसलिए इसका शुद्ध होना हमारे लिए बेहद जरूरी है. इसी बीच भोपाल से एक अच्छी खबर सामने आई है. बता दें कि आइसर के वैज्ञानिकों ने जल की शुद्धता को लेकर काम किया है. भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान के विज्ञानिकों ने जल को शुद्ध बनाने के लिए एक ऐसी क्रिस्टलीय जैविक झिल्ली का निर्माण किया है, जो पानी को साफ करने में मदद करेगी.

ये झिल्ली जल के हानिकारक तत्वों निकालेगी बाहर
भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान में तैयार किए गए इस जैविक झिल्ली में पानी में मौजूद सूक्ष्मतम जैविक प्रदूषकों को हटाने की क्षमता है. यह झिल्ली जल के हानिकारक तत्वों को आकार के आधार पर छानकर बाहर कर देती है, और पानी को साफ और शुद्ध कर देती है. 

इस झिल्ली का उपयोग कई क्षेत्रों में किया जाएगा
इस जैविक झिल्ली का शोध आइआइएसईआर भोपाल के रसायन विज्ञान विभाग के सह प्राध्यापक डा. अभिजीत पात्रा के नेतृत्व में छात्र अर्कप्रभ गिरि, जी श्रीराज और तापस कुमार दत्ता ने किया है. इस अध्ययन को जर्मनी की अनुसंधान पत्रिका एन्जेवेन्डे केमी जर्नल में भी प्रकाशित किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक इसका कई क्षेत्रों में उपयोग किया जा सकता है. जैसे औद्योगिक और विज्ञान के क्षेत्र में भी किया जा सकेगा. 

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जानिए झिल्ली के बारे में
विज्ञानिकों के अनुसार ये एक सूक्ष्म झिल्ली है. इस झिल्ली में बेहद छोटे-छोटे छिद्र हैं. इस झिल्ली की खास बात ये है कि, ये पानी में मौजूद सभी सूक्ष्म कारकों को नष्ट कर देगी.  इसे बनाने में केज (पिंजरे) मालीक्यूल का उपयोग किया गया है. इस झिल्ली की संरचना पिंजरे के समान ही है. इन छिद्रों का व्यास मनुष्य के बाल की मोटाई से एक लाख गुना तक कम है. विज्ञानिकों ने बताया कि, इस झिल्ली का निर्माण पुराने तकनीक से काफी अलग तरीके से किया गया है. पहले पाउडर और चारकोल के माध्यम से पानी को साफ किया जाता था. हालांकि अब इस झिल्ली से जैसे-जैसे पानी गुजरेगा तुरंत आकार के आधार पर हानिकारक तत्व अलग होता जाएगा.

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