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Bakrid 2023 Date: 28 या 29 कब मनाई जाएगी बकरीद? अभी जान लीजिए सही तारीख

Bakrid 2023 Date: मुस्लिम धर्म में बकरीद या ईद-उद-अजहा का त्यौहार बहुत ही ज्यादा खास माना जाता है. अब सवाल ये खड़ा हो रहा है कि आखिर ये पर्व 28 जून को मनाया जाएगा या 29 जून को.. तो चलिए जानते हैं..

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Bakrid 2023 Date: 28 या 29 कब मनाई जाएगी बकरीद? अभी जान लीजिए सही तारीख
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Shikhar Negi|Updated: Jun 23, 2023, 10:39 AM IST

Bakrid 2023 Date: मुस्लिम धर्म में बकरीद या ईद-उद-अजहा का त्यौहार बहुत ही ज्यादा खास माना जाता है. इस दिन कुर्बानी का काफी महत्व होता. अब इस साल बकरीद कब मनाई जाएगी, इसे लेकर लोगों में काफी कंफ्यूजन हैं. कुछ लोग 28 जून की तारीख तो कुछ लोग 29 जून की तारीख बता रहे हैं. तो चलिए आपको बताते हैं, कि सही तारीख क्या है और किस दिन बकरीद मनाई जाएगी.

बता दें कि सोमवार यानी 19 जून को माह-ए-जिलहिज्ज का चांद नजर आने के बाद बकरीद की तारीख तय हो गई और अब इसका ऐलान भी कर दिया गया है. 

जानिए आखिर कब है बकरीद 2023? (Bakrid 2023 Date)
माह-ए-जिलहिज्ज यानी इस्लामिक कैलेंडर का 12वां और आखिरी महीना होता है. जो जु अल कादा के बाद आता है. इस्लाम धर्म के लिए ये महीना काफी खास माना जाता है. इसी महीने हज जैसी पवित्र तीर्थयात्रा पर लोग जाते हैं और कुर्बानी दी जाती है. 19 जून को जु अल कादा के आखिरी दिन चांद नजर आया था. जिसे माह ए जिलहिज्ज का चांद भी कहा जाता है. ऐसे में 20 जून से जिलहिज्ज की शुरुआत हो चुकी है और महीने के 10वें दिन बकरीद मनाई जाती है. इस तरह बकरीद 29 जून की तारीख मुकर्रर की गई है.

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ईद और बकरीद में अंतर?
इस्लामिक साल में 2 ईद मनाई जाती है. जिनमें एक ईद-उल-जुहा और दूसरी ईद-उल-फितर. ईद-उल-फितर को मीठी ईद कहा जाता है. इसे रमजान को खत्म करते हुए मनाया जाता है. लोग इस दिन एक दूसरे के गले भी मिलते हैं. मीठी ईद के बाद ही करीब 70 दिन बाद बकरा ईद मनाई जाती है.

क्यों मनाई जाती है बकरीद?
इस्लामिक मान्यता के मुताबिक पैंगबर हजरत इब्राहिम के समय ही कुर्बानी देने की प्रथा शुरू हुई थी. कहा जाता है कि अल्लाह ने पैंगबर इब्राहिम की परीक्षा लेने के लिए उनसे उसकी सबसे प्यारी वस्तु त्याग करने के लिए कहा. जिसके बाद पैंगबर साहब ने अपने इकलौते बेटे को कुर्बान करने का फैसला किया.

इसके बाद वे अपने बेटे को कुर्बान करने निकल पड़े. उनके हाथ न रुक जाए, इसलिए उन्होंने आंखों पर पट्टी बांध ली. फिर कुर्बानी दे दी. लेकिन जब पट्टी उतारी तो देखा कि उनका बेटा सही है. रेत पर एक पशु कटा पड़ा था. कहा जाता है कि अल्लाह ने खुश होकर उनके बेटे को जीवनदान दिया था. इस दिन से ही बकरीद मनाना शुरू हुई.

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