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Bakrid 2023: बकरीद के लिए MP वक्फ बोर्ड की एडवाइजरी, कुर्बानी को लेकर दिया ये निर्देश

Eid al-Adha (Bakrid) 2023: देश भर में 29 जून को ईद-उल-अजहा या बकरी ईद मनाई जाएगी. इससे पहले मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड ने एक एडवाइजरी जारी की है. कहा गया है कि बकरी ईद के दौरान जानवरों की बलि की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा नहीं करें.

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Bakrid 2023: बकरीद के लिए MP वक्फ बोर्ड की एडवाइजरी, कुर्बानी को लेकर दिया ये निर्देश
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Pramod Sharma (MP)|Updated: Jun 28, 2023, 08:25 AM IST

Happy Eid al-Adha (Bakrid) 2023: ईद पर कुर्बानी और नमाज को लेकर मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड ने ईद से एक दिन पहले ए़डवाइजरी जारी की है. इसमें कुर्बानी के वीडियो, ऑडियो और फोटो इंटरनेट पर शेयर नहीं करने की समझाइश दी है. इसके साथ ही ईद की नमाज ईदगाह के अंदर या फिर मस्जिद परिसर में ही पढ़ने को कहा है. 

इसके साथ ही इस एडवाइजरी में कहा गया है कि गैर-जरूरी तौर पर सड़कों पर नमाज न पढ़ी जाए. आपको बता दें कि एमपी वक्फ बोर्ड ने इस तरह की एडवाइजरी पहली बार जारी की है. इस वक्फ बोर्ड के अंतर्गत प्रदेशभर की मस्जिद, कब्रिस्तान, दरगाह-मजार, ईदगाह, मदरसा-स्कूल समेत लगभग 15 हजार वक्फ संपत्तियां पंजीकृत है.

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ईद को लेकर MP वक्फ बोर्ड की एडवायजरी

- कुर्बानी करते समय कानूनी प्रावधानों को ध्यान में रखा जाए
- कुर्बानी के बाद स्वच्छता सुनिश्चित की जाए
- कुर्बानी की तस्वीरें, ऑडियो-वीडियो को सोशल मीडिया पर शेयर न करें.
- कुर्बानी किसी खुले स्थान और बीच सड़क या सार्वजनिक स्थानों पर नहीं की जाए
- कुर्बानी के बाद जानवर के अपशिष्ट सड़क या सार्वजनिक स्थान पर न फेंके.
- कुर्बानी करते समय दूसरे धर्म की भावनाओं को सम्मान करें.
- सभी जिला कलेक्टर्स को कुर्बानी को लेकर जारी निर्देशों का पालन करवाने को कहा.
- ईद की नमाज ईदगाह के अंदर ही पढ़ी जाए

ईद और बकरीद में अंतर?
इस्लामिक साल में 2 ईद मनाई जाती है. जिनमें एक ईद-उल-जुहा और दूसरी ईद-उल-फितर. ईद-उल-फितर को मीठी ईद कहा जाता है. इसे रमजान को खत्म करते हुए मनाया जाता है. लोग इस दिन एक दूसरे के गले भी मिलते हैं. मीठी ईद के बाद ही करीब 70 दिन बाद बकरा ईद मनाई जाती है.

क्यों मनाई जाती है बकरीद?
इस्लामिक मान्यता के मुताबिक पैंगबर हजरत इब्राहिम के समय ही कुर्बानी देने की प्रथा शुरू हुई थी. कहा जाता है कि अल्लाह ने पैंगबर इब्राहिम की परीक्षा लेने के लिए उनसे उसकी सबसे प्यारी वस्तु त्याग करने के लिए कहा. जिसके बाद पैंगबर साहब ने अपने इकलौते बेटे को कुर्बान करने का फैसला किया.

इसके बाद वे अपने बेटे को कुर्बान करने निकल पड़े. उनके हाथ न रुक जाए, इसलिए उन्होंने आंखों पर पट्टी बांध ली. फिर कुर्बानी दे दी. लेकिन जब पट्टी उतारी तो देखा कि उनका बेटा सही है. रेत पर एक पशु कटा पड़ा था. कहा जाता है कि अल्लाह ने खुश होकर उनके बेटे को जीवनदान दिया था. इस दिन से ही बकरीद मनाना शुरू हुई.

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