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Dhirendra Shastri Controversy: बागेश्वर धाम वाले 'धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री' की कहानी, जिसने ब्रिटेन की संसद में लगवाए जय श्री राम के नारे

Dhirendra Shastri Controversy:  पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री छतरपुर जिले के प्रसिद्ध बागेश्वर धाम के पुजारी और कथावाचक हैं. इनके बारे में ये भी कहा जाता है कि वे बिना किसी व्यक्ति से बात किए उसकी समस्या बता देते हैं. 

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Dhirendra Shastri Controversy: बागेश्वर धाम वाले 'धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री' की कहानी, जिसने ब्रिटेन की संसद में लगवाए जय श्री राम के नारे
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Shikhar Negi|Updated: Jan 20, 2023, 12:22 PM IST

Dhirendra Shastri Controversy: पूरे देश-दुनिया में बहुत ही कम समय में जिसने अपना नाम बनाया, वो नाम बागेश्वर धाम (Bageshwar dham) के महाराज पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra krishna Shastri) हैं. उनकी कथाओं में एक साथ लाखों लोगों की भीड़ जुट जाती है. उनके दिव्य दरबार को अपनी आंखों से देखने वाले लोग उनपर अटूट विश्वास करते हैं. आज इसी दिव्य दरबार की वजह से वो चर्चा में आए और इसी के चलते विवादों में आए हैं. विवाद तो चलता रहता हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि बुंदेलखंड के इस युवा कथावाचक का सफर कैसा रहा है? अगर नहीं तो चलिए शुरू करते हैं...

कौन है धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धीरेंन्द्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 15 जुलाई 1996 को हुआ था. पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री छतरपुर जिले के प्रसिद्ध बागेश्वर धाम के पुजारी और कथावाचक हैं. इनके बारे में ये भी कहा जाता है कि वे बिना किसी व्यक्ति से बात किए उसकी समस्या बता देते हैं. हर मंगलवार को छतरपुर जिले के गड़ा गांव में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का दरबार लगाता है. जहां देश के विभिन्न राज्यों से लोग अपनी समस्याएं लेकर पहुंचते हैं.

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परिवार में कितने लोग है?
धीरेंद्र महाराज के परिवार में एक छोटा भाई और एक बहन है. भाई का नाम राम गर्ग उर्फ सौरभ तो बहन का नाम रीता गर्ग है. पिता का नाम रामकृपाल गर्ग और माता का नाम सरोज है. बताया जाता है कि मां प्यार से आपके पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को धीरू कहते हुए पुकारती है. 

अब चलते हैं उनके सफर पर...
पंडित धीरेंद्र गर्ग अभी जितने हठीले लगते हैं, उससे ज्यादा बचपन में रहे हैं. उनकी शिक्षा गांव से ही हुई थी. हाई स्कूल और हायर सेकेंड्री की पढ़ाई गंज गांव से हुई थी. धीरेंद्र का परिवार गरीबी में जी रहा था, पिता पुरोहित गिरी करके घर चलाते थे.  एक समय ऐसा आया जब चाचा और पिता में नहीं बनी तो घर का बंटवारा हो गया. बंटवारा होने के बाद परिवार की स्थिति काफी खराब हो गई. मां ने तब भैंस का दूध बेचकर परिवार को संभाला. इस बीच जब धीरेंद्र बड़े हुए तो कथा सुनाने लगे और धीरे-धीरे वो इसमें रम गए. साल 2009 के बाद उनकी कथाएं बढ़ने लगी, इसी तरह वो गांव में भागवत कथा आयोजन करने लगे. अब गांव वाले भी पंडित बने धीरेंद्र गर्ग की कथाएं सुनने लगे.

धीरू से बने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बागेश्वर महाराज
धीरेंद्र शास्त्री ने अपने गढ़ा गांव में स्थित शंकर जी के प्राचीन मंदिर को अपना स्थान चुना. यहां भगवान शिव का ज्योतिर्लिंग है. जिसे बागेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है. साल 2016 में यहां मंदिर में विशाल यज्ञ हुआ. तब यहां पर बालाजी महाराज की मूर्ति स्थापित की गई. तभी से इस स्थान को बागेश्वर धाम के नाम से जाना जाने लगा.

दादाजी की समाधि भी पास में...
मीडिया रिपोर्ट की माने तो बाला जी महाराज के मंदिर के पीछे धीरेंद्र महाराज के दादाजी की समाधि भी है. इसी स्थान पर कई बार धीरेंद्र शास्त्री ने कथा का आयोजन किया था. यहां पर सभी धार्मिक लोगों को पंडित ने बुलाना शुरू किया और अपने धार्मिक  ज्ञान शक्तियों से लोगों को जोड़ना शुरू किया. यही से पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बागेश्वर धाम के महाराज कहलाने लगे. कहा ये भी जाता है कि धीरेंद्र शास्त्री के दादाजी को सिद्ध प्राप्त थी. और वो भी मंगलवार और शनिवार को दिव्य दरबार लगाते थे. धीरेंद्र शास्त्री अपने दादाजी को ही अपना गुरू मानते है. 

एक पेज पर लोगों के मन की बात
अब बात करते हैं दिव्य दरबार की. दरअसल इस दिव्य दरबार की वजह से ही धीरेंद्र शास्त्री फेमस हुए है. यहां जो भी लोग अपनी पीड़ा सुनाने आते हैं, महाराज जी उस बात को उससे बिना पूछे ही पर्चे पर पहले लिख देते है. अब ये सब देखकर अर्जी लगाने वाला  भी हैरान होता है, और ये सब देख रहे लोग भी. सोशल मीडिया पर इसके काफी वीडियो वायरल हुए, जिस वजह से आज वो दुनियाभर में फेमस है.  आपको बता दें कि पंडित धीरेंद्र को 14 जून 2022 को लंदन की संसद में 3 अवॉर्ड संत शिरोमणि, वर्ल्ड बुक ऑफ लंदन और वर्ल्ड बुक ऑफ यूरोप से सम्मानित किया गया था. ये सम्मान उन्हें सामाजिक और धार्मिक परोपकारी कामों को लेकर मिला था. ब्रिटेन की संसद में उनके सम्मान समारोह में जय श्री राम के नारे भी लगे थे.

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रामकथा में बोलने लगे बुलडोजर खरीदना है
यह पहली बार था जब धीरेंद्र शास्त्री पहली बार किसी विवाद में आए थे. दरअसल साल 2022 में पत्थरबाजी की घटना को लेकर उन्होंने हिंदुओं से अपील करते हुए कहा था कि अगर तुम अभी नहीं जागे तो ये तुम्हें अपने गांव में भी भोगना पड़ेगा. इसलिए सभी एक हो जाओ और पत्थर फेंकने वालों के घर पर बुलडोजर चलवा दो. कुछ दिन बाद मैं भी बुलडोजर खरीदने वाला हूं. अभी हमारे पास पैसा नहीं है. जो राम के काज पर, संतों और भारतीय सनातनी हिन्दुओं पर पत्थर चलाएगा और उसके घर बुलडोजर चलाएंगे.

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