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Agneepath Scheme: विरोध की भूमि चंबल से निकल रहे अग्निवीर, यहीं हुई थी अग्निपथ पथ की तगड़ी खिलाफत

Agneepath scheme: केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना का ग्वालियर और चंबल अंचल में सबसे ज्यादा विरोध हुआ था. जबकि अब सबसे ज्यादा अभ्यर्थियों का चयन यहीं से हुआ है.

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Abhay Pandey|Updated: Feb 27, 2023, 05:14 PM IST

ग्वालियर: सेना भर्ती में अग्निपथ स्कीम (Agneepath Scheme in Army Recruitment) का सबसे ज्यादा विरोध ग्वालियर और चंबल अंचल में हुआ था, लेकिन इस विरोध के बाद भी सबसे ज्यादा यहीं के युवा अग्निवीर भर्ती रैली में चयनित हुए हैं. अभी तक अग्निवीर भर्ती में चयनित हुए 400 अभ्यर्थी ट्रेनिंग के लिए देश के अलग-अलग शहरों में स्थित सेना के ट्रेनिंग सेंटर के लिए रवाना हो चुके हैं. सबसे ज्यादा भिंड और मुरैना के रहने वाले युवक हैं. 

430 अभ्यर्थी हुए चयनित
दरअसल, ग्वालियर और चंबल अंचल सहित प्रदेश के 14 जिलों के युवकों के लिए अक्टूबर 2022 से भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी. 15 जनवरी को आर्मी पब्लिक स्कूल में लिखित परीक्षा संपन्न हुई. जिसमें 430 अभ्यर्थी चयनित हो गए. 19 फरवरी से इन्हें ट्रेनिंग पर भेजना शुरू कर दिया था. शनिवार तक 400 अभ्यर्थी ट्रेनिंग सेंटर के लिए रवाना हो चुके हैं. पिछले सप्ताह 10 और रिक्त पद ग्वालियर सेना भर्ती कार्यालय को मिल गए. इसलिए वेटिंग लिस्ट में शामिल कुछ अभ्यर्थियों को बुलाया गया. अभी करीब 30 अभ्यर्थी और ट्रेनिंग सेंटर रवाना होने के लिए रह गए हैं. 

बता दें कि कुछ अभ्यर्थियों के ओटीपी अटक गए हैं। जितने अभ्यर्थी चयनित हुए हैं, उसमें से 35 प्रतिशत अभ्यर्थी भिंड और मुरैना के रहने वाले हैं. ग्वालियर से भी करीब 30 युवक अग्निवीर बने हैं. वहीं सेना भर्ती ऑफिसर के डायरेक्टर का कर्नल संतोष कुमार का कहना है कि अब नियमों में बदलाव किया गया है. साथ ही पारदर्शिता लाई गयी है.इसके साथ ही 7 स्टेपस को फोलो करने के बाद अब युवा अग्निवीर बन सकते है.

अग्निपथ योजना क्या है?
देश की सेना में भर्ती के लिए अब तक की सबसे बड़ी योजना अग्निपथ है. अब इसी योजना के तहत सैनिकों, एयरमैन और सेलर्स की भर्ती की जाएगी. अग्निपथ योजना के तहत 6 महीने की ट्रेनिंग और साढ़े 3 साल की सेवा के बाद 25 फ़ीसदी अग्निवीरों को परमानेंट किया जाएगा. साढ़े 17 साल से ऊपर के 12वीं पास युवा अग्निपथ योजना के लिए आवेदन कर सकेंगे. इस योजना से सेना में कार्यरत जवानों की औसत उम्र भी 32 साल से घटकर 26 साल पर की गई है. हालांकि शुरुआत में ग्वालियर-चंबल समेत देश के कई हिस्सों में इस योजना का विरोध हुआ था.

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