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17 साल की उम्र मनवाया अपना लोहा! इंटरनेशनल संस्थाओं की सदस्य बनी MP की शिवांजली तिवारी, दिग्गजों को छोड़ा पीछे

Women's Day Special: उमरिया की होनहार छात्रा शिवांजली तिवारी ने महज 17 साल की उम्र में जीव विज्ञान के क्षेत्र में कमाल किया है. तीन अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में रिसर्च आर्टिकल छपने के बाद ISZS और ABRF जैसी दिग्गज संस्थाओं ने उन्हें अपना सदस्या बनाया है. महिला दिवस पर जानिए शिवांजली तिवारी की कहानी.

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17 साल की उम्र मनवाया अपना लोहा! इंटरनेशनल संस्थाओं की सदस्य बनी MP की शिवांजली तिवारी, दिग्गजों को छोड़ा पीछे
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Shyamdatt Chaturvedi|Updated: Mar 09, 2023, 05:28 AM IST

Women's Day Special: उमरिया। मध्य प्रदेश के उमरिया की एक छात्रा हैं शिवांजली जिन्होंने अपने मेहनत के दम पर महज 17 साल की उम्र में ISZS और ABRF जैसी दिग्गज संस्थाओं की सदस्य बन गई हैं.शिवांजली ने महज 17 साल की उम्र में वो मुकाम हासिल किया है, जिसे प्राप्त करने में लोगों को कई वर्षों का कड़ा संघर्ष करना पड़ता है. खलेसर मोहल्ला निवासी शिवांजली तिवारी जबलपुर होम साइंस कॉलेज में बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा हैं और जीव विज्ञान की रिसर्च स्कॉलर हैं. अब उनके नाम से जिले का नाम गर्व से ऊंचा हो रहा है. 

कीटों की विशेष प्रजातियों पर किया रिसर्च
कॉलेज में प्रवेश के बाद शिवांजली ने अपने गाइड डॉ अर्जुन शुक्ला के सानिध्य में कीटों की विशेष प्रजातियों उनके हानिकारक एवं लाभदायक प्रभावों पर रिसर्च और आर्टिकल लिखना शुरू किया और कई इंटरनेशनल वीडियो कांफ्रेंस में शामिल हो चुकी हैं. कीटों की प्रजातियों और विशेषताओं पर आधारित शिवांजली के तीन लेख अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं, जिसके बाद एशियन बायलजिकल रिसर्च फाउंडेशन (एबीआरएफ)ने उन्हें अपना स्थायी सदस्य नियुक्त किया है.

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अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने बनाया अपना सदस्य
विज्ञान के क्षेत्र में रिसर्च स्कॉलरों को प्रमोट और आर्थिक मदद देने वाली चीन कि अन्तर्राष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ जियोलॉजिकल साइंस (आईसजेडेस)ने पांच साल के लिए अपना सदस्य बनाया है. शिवांजली की कीटों पर आधारित सेकंड आर्थर के रूप में लिखी गई उनकी पुस्तक "द जर्नी ऑफ इनटोमोलाजी" प्रकाशित हो चुकी है जो जीव विज्ञान के शोधार्थियों के लिए मार्गदर्शक बुक के रूप में स्थापित हुई है.

संघर्षपूर्ण पूर्व रहा अब तक का जीवन
शिवांजली का जीवन काफी संघर्षपूर्ण रहा है. चार वर्ष की उम्र में उनके पिता का आसामयिक निधन हो गया, जिसके बाद उनकी मां के ऊपर शिवांजली सहित उसके दो बड़े भाइयों के लालन पालन की जिम्मेदारी आ गई. संघर्ष और संकट का दौर शिवांजली के जीवन मे बना रहा. वर्ष 2021 में उनके एक बड़े भाई की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई बावजूद उसके शिवांजली ने कभी हार नहीं मानी और जिसके परिणामस्वरूप वे आज महज 17 वर्ष की उम्र में जीव विज्ञान के रिसर्च स्कॉलर के रूप में देश और।विदेश में ख्याति अर्जित कर चुकी हैं.

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मिशाल बन चुकी हैं शिवांजली
शिवांजली उमरिया सहित प्रदेश एवं देश के उन तमाम युवा छात्रों के लिए मिशाल बन चुकी हैं जो गरीबी और अभाव का बहाना बनाकर अपने उद्देश्य से भटक जाते हैं. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर ज़ी मीडिया उनके हौसले और संघर्ष को सलाम करता है और शुभकामनाएं देता है कि शिवांजली इसी तरह ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र में अपना नाम आगे बढ़ाते रहें.

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