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Pitru Paksha Matri Navami: पितृ पक्ष में किस दिन है मातृ नवमी? जानें पूजा-श्राद्ध विधि और महत्व

Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष की शुरूआत हो गई है. इसमें पूरे 15 दिन अलग-अगल तिथियों को लोग अपने पूर्वजों को याद का उनका श्राद्ध करेंगे. हम यहां आपको माताओं के लिए तय मातृ नवमी (Matri Navami) के पूजा-श्राद्ध विधी के साथा ही मातृ नवमी (Matru Navami) के महत्व के बारे में बता रहे हैं.

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Pitru Paksha Matri Navami: पितृ पक्ष में किस दिन है मातृ नवमी? जानें पूजा-श्राद्ध विधि और महत्व
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Shyamdatt Chaturvedi|Updated: Sep 30, 2023, 01:34 PM IST

Pitru Paksha 2023: सनातन परंपरा में साल में 15 दिन पितृ पक्ष के आते हैं. इन 15 दिनों में लोग अपने पितरों या पूर्वजों को याद कर उनका श्राद्ध और तर्पण करते हैं. इसमें ये 15 दिन में श्राद्ध उन तिथियों में की जाती है जिसमें व्यक्ति संसास छोड़कर गया होता है. लेकिन, दो तिथियां पूरे पक्ष में ऐसी आती हैं जिनका विशेष महत्व होता है. पहली होती है मातृ नवमी (Matri Navami) और दूसरी होती है सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) यहां हम आपको मातृ नवमी (Matru Navami) की पूजा विधा और महत्व बता रहे हैं.

कब है मातृ नवमी (Matri Navami)
मातृ नवमी अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की नवमी को होती है. इस साल पितृपक्ष 29 सितंबर 2023, शुक्रवार को पूर्णिमा श्राद्ध से शुरू होकर 14 अक्टूबर 2023, शनिवार तक रहेगा. इस दौरान 07 अक्टूबर 2023, शनिवार नवमी यानी मातृ नवमी (Matru Navami) होगी. और आखिरी दिन यानी 14 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya) होगी.

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मातृ नवमी पर क्या होता है?
मातृ नवमी की तिथि के रोज दिवंगत माताओं, बहुओं और सुहागिन स्त्रियों का पिंडदान होता है. इसी कारण इसे मातृ नवमी श्राद्ध कहते हैं. मातृ नवमी का माताओं का श्राद्ध से परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है. साथ ही घर की महिलाओं के इस दिन पूजा-पाठ और व्रत से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. दिवंगत माताओं के श्राद्ध से उन्हें भी खुशी मिलती है.

मातृ नवमी पर क्या करें?
सुबह जल्दी स्नान करके सफेद कपड़े पहनें
दक्षिण दिशा में चौकी पर सफेद आसन बिछाएं
आसन में मृत परिजन की फोटो रख माला पहनाएं
फोटो के सामने काले तिल का दीपक जलाएं
गंगाजल और तुलसी दल अर्पित कर उनका स्मरण करें

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गरुड़ पुराण और गीता पाठ
मातृ नवमी के रोज गरुड़ पुराण या श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना बहुत शुभ होता है. इस कारण पूजन के समय इनका पाठ करें और उसके बाद उन्हें भोज दें. श्राद्ध के बाद मृत परिजन के लिए भोजन का अंश जरूर निकालें. इस दिन गाय, कौआ, चींटी, चिड़िया और ब्राह्मण को भी भोजन कराना चाहिए. तभी श्राद्ध पूर्ण माना जाएगा.

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