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Trains Delay: पेंड्रा में कोहरे का कहर, कटनी-बिलासपुर रेलमार्ग पर करीब आधा दर्जन ट्रेनें लेट

कोहरे के कारण ट्रेनें हर रोज लेट हो रही हैं. वहीं कुछ ट्रेनें कैंसिल कर दी जा रही है. जिससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन क्या आपने सोचा है कि कोहरे में आखिरी ट्रेनों की स्पीड क्यों धीमी हो जाती है या ट्रनों को कैंसिल क्यों करना पड़ता है. आइए जानते हैं इसके बारे में...

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Trains Delay: पेंड्रा में कोहरे का कहर, कटनी-बिलासपुर रेलमार्ग पर करीब आधा दर्जन ट्रेनें लेट
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Shubham Tiwari|Updated: Jan 06, 2023, 09:52 PM IST

पेंड्रा: छत्तीसगढ़ में कड़कड़ती ठंड का प्रकोप जारी है. शुक्रवार को पेंड्रा जिले में तापमान में भारी गिरावट देखने को मिला. बता दें कि यहां तापमान  6.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो न्यूनतम सामान्य तापमान से 4 डिग्री सेल्सियस कम है. पेंड्रा में घने (Fog)कोहरे की वजह से ट्रेनों (Bhartiya Rail) की रफ्तार धीमी हो गई, जिसके चलते कई ट्रेनें घंटो देरी से चल रही हैं. आइए जानते हैं कौन-कौन ट्रेनें हुई लेट और आखिरी घने कोहरे की वजह से ट्रेनों की स्पीड पर क्यों असर पड़ता है?

इन ट्रेनों की फ्तार हुई धीमी
घने की कोहरे की वजह से कटनी बिलासपुर मार्ग से छत्तीसगढ़ पहुंचने वाली यात्री ट्रेनें घंटो देरी से चलीं.

  • 18478 ऋषिकेश पूरी उत्कल एक्सप्रेस 03:50 मिनट देरी से
  • 18248 रीवा बिलासपुर 01:11 मिनट देरी से
  • 15159 छपरा से दुर्ग को जाने वाली सारनाथ एक्सप्रेस 03:30 घंटे देरी से
  • 12854 भोपाल दुर्ग अमरकंटक एक्सप्रेस 02 00 घंटे देरी से
  • 15231 बरौनी गोंदिया एक्सप्रेस 04 00 घंटे देरी से

जानिए कोहरे में ट्रेनों की रफ्तार क्यों होती है धीमी 
(Indian Railways Interesting Facts) कोहरे के कारण आए दिन ट्रेनों की रफ्तार धीमी होने की वजहे से देरी से चल रही हैं. बता दें कि कोहरे के चलते ट्रेनों को कैंसिल करने का फैसला भारतीय रेल द्वारा बहुत सोच-समझकर यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया जाता है. गौरतलब है कि किसी भी ट्रेन को उसकी निर्धारित गति से चलाने के लिए लोको पायलट को तकरीबन 600 से 800 मीटर की दूरी पर सिग्नल दिखना आवश्यक होता है. जिससे किसी भी परिस्थिति में लोको पायलट स्थिति को कंट्रोल कर सके. लेकिन घने कोहरे की वजह से रात के समय सिग्नल 25 से 50 के दायरे में ही दिखाई देता है. ऐसे में सिग्नल दूर से नहीं दिखाई देने की वजह से लोको पायरल को ट्रेन की रफ्तार धीमी करनी पड़ती है. इसी वजह से ट्रेन की स्पीड को कम कर दिया जाता है. जिसके कारण ट्रेनें धीमी गति से चलती हैं.

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