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Raipur Nagar Nigam: सरकार बदलने के बाद रायपुर में सियासी हलचल तेज, क्या बदल जाएगी राजधानी की नगर 'सरकार' ?

Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ में सरकार बदलने के बाद अब रायपुर नगर-निगम की सरकार को लेकर भी हलचल तेज हो गई है. बताया जा रहा है कि यहां भी बड़ी उठापठक हो सकती है. 

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रायपुर नगर निगम में हो सकता है उलटफेर
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Arpit Pandey|Updated: Dec 06, 2023, 08:05 PM IST

Raipur Municipal Corporation: छत्तीसगढ़ में 3 दिसंबर का दिन बड़ा साबित हुआ. सत्ता बरकरार रखने का दम भर रही कांग्रेस को बड़ा झटका लगा और पार्टी पांच साल बाद फिर से विपक्ष में आ गई. वहीं विपक्ष में बैठी बीजेपी की सत्ता में जोरदार वापसी हुई. ऐसे में अब जब बीजेपी फिर से राज्य में सरकार बनाने जा रही है तो राजधानी रायपुर की नगर निगम सरकार को लेकर भी हलचल तेज हो गई हैं. बताया जा रहा है कि रायपुर में बड़ा बदलाव हो सकता है. 

नगर निगम में अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी 

दरअसल, छत्तीसगढ़ में भाजपा की वापसी के साथ ही महापौर बदलने की कवायद तेज हो गई है. रायपुर के महापौर एजाज ढेबर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए भाजपा पार्षद दलों ने बैठक भी की है. भाजपा पार्षदों की मानें तो उनके संपर्क में कुछ कांग्रेसी पार्षद भी हैं. बीजेपी का कहना है कि विधानसभा चुनाव में सभी वार्डों में भाजपा को सर्वाधिक मत मिला है, इसलिए भूपेश बघेल की तरह महापौर को भी अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, बीजेपी का दावा है कि बैठक के बाद हम जल्द ही अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे. 

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मैं इस्तीफा नहीं दूंगा: एजाज ढेबर

वहीं कांग्रेस नेता और रायपुर नगर निगम के महापौर एजाज ढेबर का कहना है कि बीजेपी के अविश्वास प्रस्ताव से ज्यादा मुझे कांग्रेस पार्षदों पर विश्वास है. बीजेपी पद से हटने के लिए दबाव बना रही, लेकिन मैं इस्तीफा नहीं दूंगा. कांग्रेस के पास रायपुर नगर निगम में पर्याप्त बहुमत है. 

दो तिहाई बहुमत जरूरी 

बात अगर रायपुर नगर निगम में बहुमत की जाए तो रायपुर नगर निगम में 70 वार्ड हैं. इनमें 31 भाजपा और 34 कांग्रेस के पार्षद हैं. जबकि 5 निर्दलीय हैं. महापौर के चुनाव में सभी निर्दलीय पार्षदों ने एजाज ढेबर का सपोर्ट किया था, लेकिन कांग्रेसी पार्षद अजीत कुकरेजा के विधानसभा चुनाव लड़ने की वजह से पार्टी ने उन्हें निष्काषित कर दिया है. ऐसे में भाजपा अजीत को अपने साथ साधने की जुगत में हैं. भाजपा यदि अविश्वास प्रस्ताव लाती है तो 70 वार्ड के हिसाब से दो तिहाई बहुमत यानी 47 पार्षदों की जरूरत होगी. ऐसे में मामला दिलचस्प हो गया है.

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