Lawrence Bishnoi Big Disclosure: पाकिस्तान (Pakistan) के इशारे पर के2 के आतंकी संगठन लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) के गैंगस्टर सिंडिकेट के जरिए देश भर में आतंकी वारदात करने की फिराक में थे. एनआईए ने अपनी चार्जशीट में इसका विस्तार से खुलासा किया है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बिश्नोई के खिलाफ दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज किए हैं. जिनमें से एक में अदालत में चार्जशीट दाखिल भी कर दिया गया है. जबकि दूसरे मामले में लॉरेंस बिश्नोई का संबंध विदेश में बैठे आतंकी समूहों के साथ होने के आरोप के तहत उसकी गिरफ्तारी की गई है. एनआईए ने अपनी चार्जशीट में K2 (खलिस्तान और कश्मीर) के आतंकी संगठन और पंजाब के गैंगस्टर सिंडिकेट के बीच के गठजोड़ का सबूतों के साथ विस्तार से खुलासा किया है.
700 सिंडिकेट सदस्यों के दम पर आतंक फैलाने की साजिश
इसमें बताया गया है कि कैसे 700 सिंडिकेट सदस्यों के दम पर देश भर में आतंक फैलाने की साजिश हो रही थी. यही नहीं यह भी बताया गया है कि मोहाली इंटेलिजेंस के दफ्तर पर हमला और टारगेट किलिंग खलिस्तान समर्थक आतंकियों के संकेत पर गैंगस्टर सिंडिकेट की मदद से की गई थी. इन पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम (UAPA) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. इतना ही नहीं, ज़ी न्यूज़ के पास मौजूद इस चार्जशीट में लॉरेंस के संबंध पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल के साथ होना बताया गया है. चार्जशीट में बताया गया है कि लॉरेंस के तार कई और दूसरे आतंकी संगठनों से जुड़े हुए हैं.
लिस्ट में 14 गैंगस्टर का नाम शामिल
एनआईए ने आतंकी संगठनों से संबंध रखने वाले गैंगस्टरों की सूची में 14 नाम शामिल किए हैं. ये हैं- लॉरेंस बिश्नोई, काला जठेड़ी, जगदीप सिंह उर्फ जग्गू, सत्विन्द्रजीत सिंह उर्फ गोल्डी बरार (कनाडा निवासी), सचिन थपन उर्फ सचिन बिश्नोई, अनमोल बिश्नोई उर्फ भानू, विक्रमजीत उर्फ विक्रम बरार, विरेन्द्र प्रताप सिंह उर्फ काला राणा, जोगिंद्र सिंह, राजेश कुमार उर्फ राजू मोटा, राजू बसोड़ी, अनिल चिप्पी, नरेश यादव और शाहबाज अंसारी. एनआईए अब गैंगस्टर के परिजनों की भूमिका की भी जांच कर रही है. पहली बार एनआईए ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 2016 में नाभा जेल ब्रेक की घटना के साथ गैंगस्टरों के सिंडिकेट पर के-2 के आतंकियों ने कब्जा किया.
आतंकी संगठनों से जुड़े हैं लॉरेंस के तार
ज़ी न्यूज़ के पास एनआईए की चार्जशीट के साथ साथ रिमांड पेपर भी है जिसके मुताबिक लॉरेंस विश्नोई के तार चार कनाडा आधारित और तीन पाकिस्तान आधारित आतंकियों से जुड़े हैं. कनाडा आधारित जिन आतंकियों के नाम अर्शदीप सिंह उर्फ दला, रमनदीप उर्फ रमन जज, सखबीर संह संधू और हाल ही में मारा गया हरदीप सिंह निज्जर है जबकि पाक आधारित आतंकियों में हरविंदर सिंह संधू, वाधवा सिंह उर्फ बब्बर और लखवीर सिंह हैं. रिमांड आवेदन में एनआईए ने कहा है कि आतंकी मामलो में गिरफ्तार दीपक रांगा से पूछताछ की गई तो पता लगा कि वह लॉरेंस के लिए काम करता है. छानबीन में लॉरेंस के तार आतंकी संगठनों से जुड़ते चले गए.
खालिस्तान समर्थक आतंकी कर रहे कंट्रोल
एनआईए के मुताबिक, तीन आतंकी संगठन पाकिस्तान लिबरेशन फ्रंट, बब्बर खालसा इंटरनेशनल और सिख यूथ फेडरेशन देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रच रहे हैं. लॉरेंस विश्नोई गैंगस्टर सिंडिकेट के 700 गुर्गे के माध्यम से देश भर में लॉरेंस भी हिंसा फैलाना चाहता है. अपनी जांच रिपोर्ट में एमआईए ने बताया है कि खालिस्तान समर्थक आतंकी लॉरेंस के गैंगस्टर सिंडिकेट को नियंत्रित करते थे. एनआईए ने अपनी जांच रिपोर्ट में अपराध के रास्ते की गई कमाई का भी ब्योरा दिया है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कब कितनी रकम हवाला के जरिए विदेश में किस जगह किसको भेजी गई. इसके अलावा यह भी बताया गया है कि डेरा सच्चा सौदा के एक समर्थक की हत्या के बाद किन और पांच समर्थकों को धमकाया गया था. यह सब बब्बर खालसा इंटरनेशनल के कहने पर गैंगस्टर सिंडिकेट की मदद से किया गया.
ज़ी न्यूज़ के पास मौजूद एनआईए की कागजातों के मुताबिक लॉरेंस सिंडिकेट के गोल्डी बरार, सचिन विश्नोई, विक्रम बरार आदि देश से बाहर रह कर गैंग का संचालन कर रहे हैं. यह लोग बब्बर खालसा के आतंकी हरविंदर सिंह संधू उर्फ रिंदा और लखबीर सिंह उर्फ लांडा से हथियार लेने के लिए जुड़े हैं. एनआईए की चार्जशीट के मुताबिक, लॉरेंस सिंडिकेट खलिस्तानी आतंकी संगठनों से उच्च क्वालिटी के हथियारों के लिए जुड़ा. जबरन वसूली का रैकेट चलाने के लिए जरूरी हथियार, हथगोले, आईईडी आदि देश में नहीं मिलते इसीलिए लॉरेंस सिंडिकेट ने रिंदा से हाथ मिलाया. रिंदा और लखबीर सिंह बब्बर खालसा इंटरनेशनल के चीफ वाधवा के दाएं-बाएं हाथ हैं. गैंगस्टर सिंडिकेट को अपने सदस्यों को भगाने और छिपाने के लिए विदेशों में बसे खलिस्तानी समर्थक आतंकियों से मदद मिलती है जिसके बदले में आतंकियों के इशारे पर गैंगस्टर टारगेट किलिंग को अंजाम देते हैं.
एनआईए ने उन कागजातों में लॉरेंस गैंग के लोगों के काम भी विस्तार से बताया है. इसके मुताबिक, गोल्डी बरार और लॉरेंस गैंग के प्रमुख संचालक हैं. जबकि लॉरेंस का भाई सचिन गैंग के लिए युवकों की भर्ती करता है. दुबई से अनमोल विश्नोई, विक्रम बरार और अमेरिका से दमन सिंह गैंग का फाइनेंस देखते हैं. लॉरेंस और गोल्डी बरार शिकार का चयन करते हैं जिनको धमकाने का काम गैंग के विदेश में रह रहे दूसरे लोगों का होता है. लॉरेंस सीधे किसी शूटर से बात नहीं करता है. गैंग के प्रत्येक सदस्य के लिए काम निर्धारित है. एनआईए ने अपनी चार्जशीट में बताया है कि लॉरेंस सारे गैंग का संचालन जेल से ही करता है और उसने कई सालों से किसी भी मामले में जमानत के लिए आवेदन तक नहीं दिया. चार्जशीट में बताया गया है कि लॉरेंस के गैंग के लोग देश भर में फैले हैं इनकी संख्या 700 है जिसमें से 300 पंजाब के हैं.
एनआईए ने दावा किया है कि जांच में पता लगा है कि पिछले साल 10 नवंबर को कोटका पुरा में डेरा सच्चा सौदा के फालोवर प्रदीप की हत्या की साजिश गोल्डी ने रची थी और हत्या को अंजाम काला जठेड़ी के शूटरों ने दिया था. इस हत्या के बाद लखबीर सिंह और रिंदा ने डेरा सच्चा सौदा के पांच और अनुयायियों को धमकाया था. काला राणा नाम के बदमाश ने लॉरेंस को 2019 में थाइलैंड में हवाला रैकेट चलाने वाले मनीष से मुलाकात करवाई थी. मनीष के थाईलैंड में कई नाइट क्लब और होटल आदि हैं. जबरन वसूली की रकम हवाला के जरिए मनीष के पास भेजी जाती थी ताकि सही जगह निवेश हो सके. एनआईए ने चार्जशीट में रकम भेजने का ब्यौरा भी दिया है. चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि लॉरेंस और उसके गैंग मेंबर ड्रोन द्वारा पाकिस्तान से हिरोइन और हथियार भी मंगा रहे हैं.
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