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लेटरल एंट्री: भर्ती का आदेश हुआ वापस, सरकार और विपक्ष के अपने-अपने दावे

Lateral Entry: एक तरफ विपक्ष ने सरकार को आरक्षण विरोधी बता दिया तो वहीं सरकार ने भी तर्क दिए हैं. सरकार ने कहा कि आरक्षण का सिद्धांत लागू होगा और यह भी कहा कि यह योजना तो कांग्रेस की ही रही है. साथ ही इसके जरिए कांग्रेस ने ही पहले भर्तियां की हैं. अब देखना होगा कि इस पर अगला कदम क्या होने वाला है. 

लेटरल एंट्री: भर्ती का आदेश हुआ वापस, सरकार और विपक्ष के अपने-अपने दावे
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Gaurav Pandey|Updated: Aug 20, 2024, 10:22 PM IST

UPSC Recruitment Order: यूपीएससी की तरफ से जारी किए गए एक नोटिफिकेशन को लेकर बवाल मच गया. हुआ यह कि लेटरल एंट्री के माध्यम से कुछ पदों की वैकेंसी निकाली गई. विपक्ष ने सरकार को घेरा तो यह भर्ती रद कर दी गई. अब कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने लेटरल एंट्री के विषय पर अपने कदम पीछे खींचने के बाद मंगलवार को सरकार हमला बोला और दावा किया कि विपक्ष के विरोध के कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को संबंधित विज्ञापन निरस्त करना पड़ा है. दूसरी तरफ, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार ने सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए ‘लेटरल एंट्री’ के जरिए नियुक्ति में आरक्षण के सिद्धांत को लागू करने का फैसला किया है.

भर्ती के लिए जारी विज्ञापन रद 

असल में संघ लोक सेवा आयोग ने मंगलवार को केंद्र के निर्देश के बाद नौकरशाही में ‘लेटरल एंट्री’ भर्ती के लिए जारी विज्ञापन रद्द कर दिया. यूपीएससी ने 17 अगस्त को ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी की थी. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया पर लिखा कि संविधान जयते. हमारे दलित, आदिवासी, पिछड़े और कमजार वर्गों के सामाजिक न्याय के लिए कांग्रेस पार्टी की लड़ाई ने आरक्षण छीनने के बीजेपी के मंसूबों पर पानी फेरा है. लेटरल एंट्री पर मोदी सरकार की चिट्ठी ये दर्शाती है कि तानाशाही सत्ता के अहंकार को संविधान की ताकत ही हरा सकती है.

इंडिया गठबंधन ने क्या कहा?

इतना ही नहीं उन्होंने दावा किया कि राहुल गांधी, कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों की मुहिम से सरकार एक कदम पीछे हटी है, पर जब तक बीजेपी-आरएसएस सत्ता में है, वो आरक्षण छीनने के नए-नए हथकंडे अपनाती रहेगी. हम सबको सावधान रहना होगा. वहीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वह संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हर कीमत पर रक्षा करेंगे तथा बीजेपी की ‘लेटरल एंट्री’ जैसी ‘‘साजिशों’’ को हर हाल में नाकाम करके दिखाएंगे. 

राहुल गांधी ने लिखा कि संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे. बीजेपी की ‘लेटरल एंट्री’ जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम कर के दिखाएंगे. उन्होंने कहा कि मैं एक बार फिर कह रहा हूं - 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को तोड़ कर हम जातिगत गिनती के आधार पर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे. जय हिन्द. 

केंद्रीय मंत्री ने रखा सरकार का पक्ष

वहीं लेटरल एंट्री’ संबंधी विज्ञापन निरस्त किए जाने के बाद केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री ने इस महत्वपूर्ण निर्णय से एक बार फिर बी आर आंबेडकर की संविधान के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत किया है. उन्होंने कहा कि यूपीएससी ने लेटरल एंट्री के लिए बहुत पारदर्शी तरीका अपनाया है. अब हमने उसमें भी आरक्षण का सिद्धांत लागू करने का फैसला किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है. 

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया, जो पहले एक साधारण निकाय था. चाहे वह, मेडिकल में प्रवेश के लिए नीट हो, सैनिक स्कूल या नवोदय विद्यालय हो, हमने हर जगह आरक्षण के सिद्धांत को लागू किया है. वैष्णव ने कहा कि मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने आंबेडकर के पंचतीर्थ को गौरवपूर्ण स्थान बनाया. उन्होंने कहा यह बहुत गर्व की बात है कि भारत की राष्ट्रपति भी आदिवासी समुदाय से हैं. मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की सभी तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लक्ष्य के तहत अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों को अधिकतम लाभ मिल रहा है. 

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने ‘लेटरल एंट्री’ से संबंधित विज्ञापन को रद्द किए जाने की सराहना करते हुए मंगलवार को कहा कि इससे केंद्र ने अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है. पटना में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए पासवान ने सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की नौकरशाही में ‘‘लेटरल एंट्री’’ को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व वाले ‘‘इंडिया’’ गठबंधन द्वारा की जा रही आलोचना पर पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि पिछली सरकारें वंचित जातियों के लिए आरक्षित पदों को भरने में विफल रहीं.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने लिखा कि नौकरशाही में बड़े पैमाने पर लेटरल एंट्री योजना के लिए कल शाम तक केंद्रीय मंत्रियों द्वारा मनमोहन सिंह को दोषी ठहराया जा रहा था. कुछ मेहरबान टिप्पणीकारों ने तो नेहरू को भी दोषी ठहरा दिया था. अब वही मंत्री अचानक पटरी से उतर गए हैं और नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री को सामाजिक न्याय का हिमायती बताने के लिए मजबूर हो रहे हैं, जो कि अब और अधिक बेनकाब हो चुके हैं. पाखंड की कोई सीमा नहीं है.

विपक्ष ने तंज भी कस दिया

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लिखा कि यूपीएससी में लेटरल एंट्री के पिछले दरवाज़े से आरक्षण को नकारते हुए नियुक्तियों की साजिश आखिरकार पीडीए की एकता के आगे झुक गयी है. सरकार को अब अपना यह फैसला भी वापस लेना पड़ा है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के षड्यंत्र अब कामयाब नहीं हो पा रहे हैं, ये पीडीए में आए जागरण और चेतना की बहुत बड़ी जीत है.

राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार में बैठे लोग दलित विरोधी, संविधान विरोधी और आरक्षण विरोधी है. उन्होंने कहा कि आरक्षण खत्म हो रहा है, लेकिन चिराग पासवान, जीतन राम माझी और नीतीश कुमार ने चुप्पी साधे हुए हैं. यह बड़े दुख की बात है. रामविलास पासवान जी होते आज ऐसा नहीं होने देते. लेकिन ये लोग सिर्फ सत्ता भोगना चाहते हैं. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया कि बीजेपी आरक्षण को खत्म करना चाहती है. उन्होंने कहा कि 240 सीट पर रोके जाने के बावजूद बीजेपी अपनी हरकत से बाज नहीं आ रही है. वह आरक्षण खत्म करना चाहती है.

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