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Kashmiri Pandits: कश्मीरी पंडित फिर भगाए जा रहे.. कौन लगा रहा उनके घरों में आग, क्या घाटी में लौट रही 90 वाली दहशत?

Kashmiri Pandits houses on fire: कश्मीर में एक बार फिर कश्मीरी पंडित निशाने पर हैं. उन्हें उनकी ही जमीन से फिर बेदखल करने की घिनौनी साजिश रची जा रही है. कश्मीरी पंडितों के सुलगते घरों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

Kashmiri Pandits: कश्मीरी पंडित फिर भगाए जा रहे.. कौन लगा रहा उनके घरों में आग, क्या घाटी में लौट रही 90 वाली दहशत?
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Syed Khalid Hussain|Updated: Jul 30, 2024, 08:37 PM IST

Kashmiri Pandits houses on fire: कश्मीर में एक बार फिर कश्मीरी पंडित निशाने पर हैं. उन्हें उनकी ही जमीन से फिर बेदखल करने की घिनौनी साजिश रची जा रही है. कश्मीरी पंडितों के सुलगते घरों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. सबसे बड़ा सवाल यह कि क्या घाटी में 90 के दशक की दहशत फिर लौट रही है? कश्मीरी पंडितों के घरों में आग क्यों लगाई जा रही है और इसके पीछे कौन है? आइये जानने की कोशिश करते हैं आखिर घाटी की फिजा में जहर घोलने की कोशिश कौन कर रहा है..

रात के अंधेरे में किसने लगाई आग?

पहले आपको घटना के बारे में बताते हैं.. दक्षिण कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पांच घरों को आग के हवाले कर दिया गया. अनंतनाग के मट्टन इलाके के लोन मोहल्ला में रविवार आधी रात तकरीबन एक बजे कश्मीरी पंडित के मकान से अचानक आग के शोले दिखने लगे. आग की चपेट में आकर पास के और मकान भी जलकर खाक हो गए.

कई घंटों की मेहनत के बाद बुझी आग

फायर ब्रिगेड के मौके पर पहुंचने के बाद कई घंटों की मशक्कत से आग पर काबू पाया जा सका. मकान लकड़ी का होने के कारण हल्की आग और धुआं घटना के दो दिन बाद मंगलवार को भी दिखता रहा. फायर ब्रिगेड अधिकारी निस्सार अहमद ने बताया कि रात को भयानक आग की सूचना मिलने पर दमकल की पांच गाड़ियां मौके पर भेजी गई. तीन-चार घंटे में आग पर काबू पा लिया गया.

कौन रच रहा घिनौनी साजिश

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मामला दर्ज कर आग के कारणों की जांच शुरू कर दी है. कश्मीर से बाहर रहने वाले कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों का आरोप है कि आग कश्मीरी पंडित समुदाय को डराने और उन्हें घाटी में वापस आने से रोकने के लिए लगाई गई थी. राजनीतिक दल नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि वे मट्टन, अनंतनाग में कई घरों को नष्ट करने वाली दुखद आग के बाद कश्मीरी पंडित भाइयों के साथ एकजुट हैं.

कश्मीरी पंडितों के घर जलकर खाक

कश्मीर शारदा पीठ अवस्थापन के अध्यक्ष रविंद्र पंडिता ने कहा कि कश्मीर के मट्टन इलाके में कश्मीरी प्रवासों की संपत्तियों में हाल ही में आग लगने की घटना ने सभी को चौंका दिया है. जिले के डिप्टी कमिश्नर अल्पसंख्यक संपत्तियों के संरक्षक हैं और अल्पसंख्यक संपत्तियों को संरक्षित करने के लिए उचित कदम नहीं उठा रहे हैं. कश्मीरी पंडित प्रवासों के चार घर जलकर खाक हो गए. हम सरकार से इन स्थलों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का अनुरोध करते हैं. वहां कोई नहीं रहता था, इसलिए शॉर्ट सर्किट या गैस सिलेंडर विस्फोट आदि की कोई संभावना नहीं थी. यह स्पष्ट रूप से आग लगाने का मामला है और हमें जरूरी कदम उठाने की जरूरत है.

सरकार को दी चेतावनी

कई कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों ने सरकार को चेतावनी दी कि कश्मीर घाटी में आतंकवाद अभी भी खत्म नहीं हुआ है. लेकिन ये घटनाएं भी उन्हें डरा नहीं पाएंगी. उन्होंने कहा कि वे मुस्लिम भाइयों के साथ अपनी मातृभूमि में रहना जारी रखेंगे. अशोक कुमार ऑल टेंपल एंड श्राइन्स साउथ कश्मीर के अध्यक्ष ने कहा कि हम इससे डरते नहीं हैं. हमें 90 के दशक से ही ये धमकियां मिल रही हैं, लेकिन हम डरेंगे नहीं. यह हमारी जन्मभूमि है और हम हमेशा यहीं रहेंगे. 

खंगाले जाएंगे सीसीटीवी फुटेज

बता दें कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है. एफएसएल टीमों ने नमूने लिए हैं और धारा 326 के तहत एक एफआईआर दर्ज की है. पुलिस ने जांच के लिए इलाके के सीसीटीवी फुटेज भी लिए हैं. साउथ कश्मीर रेंज के डीआईजी जावेद इकबाल ने कहा कि अनंतनाग के मट्टन इलाके में आनंद जी राजदान के घर में आग की सूचना थी. मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमने एक मजबूत जांच शुरू की है और एक वरिष्ठ अधिकारी इसकी जांच कर रहे हैं.

कश्मीरी पंडितों का पलायन: एक दर्दनाक अध्याय

कश्मीरी पंडितों का पलायन भारत के इतिहास का एक बेहद दुखद अध्याय है. 1989 से शुरू हुई आतंकवादी गतिविधियों के चलते, कश्मीरी पंडितों को अपने घरों को छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा. यह एक ऐसी त्रासदी थी जिसने एक पूरे समुदाय को उजाड़ दिया और उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया.

पलायन के कारण

1989 में कश्मीर में आतंकवाद का बढ़ता प्रभाव देखने को मिला. आतंकवादी संगठनों ने कश्मीरी पंडितों को धमकाया, मारा और उनकी संपत्ति को नष्ट किया. कश्मीरी पंडितों को हिंदू होने के कारण निशाना बनाया गया. उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया गया और जो मना किया गया उन्हें मार दिया गया. उस समय की सरकार इस स्थिति से निपटने में नाकाम रही, जिसके कारण कश्मीरी पंडितों को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा. कश्मीरी पंडितों के पलायन ने न केवल उनके जीवन को बर्बाद किया, बल्कि पूरे कश्मीर घाटी के सामाजिक ताने-बाने को भी नुकसान पहुंचाया.

सांस्कृतिक विरासत का नुकसान

कश्मीरी पंडितों ने कश्मीर की सांस्कृतिक विरासत में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. उनके पलायन से कश्मीर की समृद्ध संस्कृति को एक बड़ा झटका लगा. कश्मीरी पंडित घाटी में एक शिक्षित और आर्थिक रूप से मजबूत समुदाय थे. उनके पलायन से घाटी की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा. पलायन के दौरान और उसके बाद कश्मीरी पंडितों ने बहुत सारी कठिनाइयों का सामना किया. उन्हें न केवल अपनी संपत्ति और घर खोना पड़ा, बल्कि उन्हें मानसिक आघात भी हुआ. आज भी हजारों कश्मीरी पंडित घाटी से बाहर रहने को मजबूर हैं. वे अपनी जन्मभूमि में वापस लौटने का सपना देखते हैं, लेकिन सुरक्षा की कमी के कारण वे ऐसा नहीं कर पा रहे हैं.

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