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Karnataka Election: कर्नाटक में 38 साल से दोबारा नहीं बनी सरकार, इतिहास बदलने को BJP ने चला तुरुप का इक्का!

Karnataka Assembly Election: कर्नाटक (Karnataka) में पिछले 38 साल से ये परंपरा कि कोई भी पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में नहीं आ पाती है लेकिन इस बार बीजेपी (BJP) इसे तोड़ने के लिए पूरा जोर लगा रही है.

Karnataka Election: कर्नाटक में 38 साल से दोबारा नहीं बनी सरकार, इतिहास बदलने को BJP ने चला तुरुप का इक्का!
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Vinay Trivedi|Updated: May 08, 2023, 10:08 AM IST

Karnataka Election 2023: कर्नाटक (Karnataka) में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के लिए आज प्रचार थम जाएगा. आज शाम 5 बजे चुनाव प्रचार खत्म हो जाएगा. कर्नाटक में 10 मई को मतदान होगा और राज्य की 224 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी. वहीं, कर्नाटक के चुनावी नतीजे 13 मई को आएंगे अब देखना होगा कि कर्नाटक के रण में कौन बनेगा विजेता? इस बीच, एक बात जिस पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है कि बीते 38 साल से कर्नाटक लगातार दो बार किसी पार्टी की सरकार नहीं बनी है. हर 5 साल में यहां सरकार बदल जाती है. दक्षिण भारत के राज्य की इस सियासी परंपरा को बदलने के लिए बीजेपी (BJP) ने अपना तुरुप का इक्का चला है. ये कोई और नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ही हैं. कर्नाटक में पीएम मोदी ने जमकर चुनाव प्रचार किया है. बीजेपी का मानना है कि इससे पार्टी को बड़ा फायदा मिलेगा. आइए जानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी कैसे कर्नाटक विधानसभा चुनाव में गेमचेंजर साबित हो सकते हैं.

BJP के सबसे बड़े संकटमोचक!

बता दें कि बीजेपी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक, सबसे बड़े संकट मोचक और सबसे बड़े नायक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं. दरअसल, बीजेपी और विरोधियों के बीच पीएम मोदी सबसे बड़ा अंतर साबित होते आए हैं और कर्नाटक चुनाव में भी ये हकीकत सामने आती दिखाई दे रही है क्योंकि दावा किया जा रहा है कि पीएम मोदी ने इस चुनाव में सियासी हवा का रूख मोड़ दिया है.

कौन नेता है जीत की गारंटी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी और उसके समर्थकों के लिए ये नाम ही काफी है. वो नाम जो चुनावी जीत की गारंटी है और एक पक्का यकीन है कि देश की कमान बेहद मजबूत हाथों में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्नाटक चुनाव में अपनी पार्टी को सत्ता में बनाए रखने के लिए जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं. उन्हें भरोसा दे रहे हैं कि डबल इंजन की सरकार कैसे सूबे को तरक्की की नई राह पर ले जाने के लिए मुस्तैद है लेकिन इसके लिए कर्नाटक के लोगों के समर्थन की दरकार है.

कांग्रेस मेनिफेस्टो को बनाया हथियार

पीएम मोदी कर्नाटक में पार्टी के लिए तो कर्णधार हैं लेकिन उनके कंधे पर सत्ता विरोधी लहर को थामने की जिम्मेदारी भी है. कई चुनावों में कामयाबी के साथ पीएम ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है. लेकिन इस बार तो पीएम बाजी पलटते नजर आ सकते हैं यानी मेनिफेस्टो जिसे कांग्रेस की सबसे बड़ी भूल कहा जा रहा है, पीएम ने उसको बीजेपी के लिए सबसे बड़ी ताकत बना दिया है.

क्या बच पाएगी BJP की नैया?

कर्नाटक चुनाव में प्रचार का घमासान खत्म होने में कुछ घंटे रह गए हैं. कहा जा रहा है कि इस अंतिम चरण में विश्लेषक मान रहे हैं कि पीएम मोदी ने हवा बदल दी है. मतलब वोटर्स का कोई भी तूफान जिससे बीजेपी की नैया के डूबने का खतरा पैदा हो रहा था ऐसा लगता है पीएम ने उस तूफान की दिशा ही मोड़ दी है. लेकिन सवाल है कि पीएम ने ऐसा किया तो कैसे किया जाहिर है इसका सीधा जवाब है.

धुआंधार प्रचार और ताबड़तोड़ रोड शो

कर्नाटक चुनाव में पीएम मोदी ने 19 चुनावी जनसभा को संबोधित किया. साथ ही 5 बड़े-बड़े रोड शो किए. पीएम ने ये रोड शो नॉर्थ बेंगलुरु, मैसुरू, कलबुर्गी, तुमकुरू और बेंगलुरु शहर में किया, जिसमें उन्होंने करीब 50 किलोमीटर ज्यादा सड़क को नापा. इन रैलियों और रोड शो में उमड़ी भीड़ को देखकर बीजेपी कह सकती है कि तस्वीरें सबूत हैं कि पीएम मोदी पर कर्नाटक की जनता कितना ज्यादा भरोसा करती है. 10 मई को कर्नाटक में वोटर्स अपनी लोकतांत्रिक हक की आजमाइश करेंगे लेकिन ठीक उससे पहले ये जनसैलाब बीजेपी और विरोधियों के बीच बड़ा अंतर साबित करता नजर आ रहा है. जाहिर है पीएम मोदी चुनावी लिहाज से ये मौका गंवाना नहीं चाहते हैं.

अपने पक्ष में चुनाव के नतीजों पर भरोसा सिर्फ वही राजनेता कर सकता है जनता की नब्ज पर जिसकी पकड़ हो और जिसे जनता के काम को पूरा करने का खुद  पर पूरा-पूरा भरोसा हो. कर्नाटक चुनाव में पीएम मोदी बीजेपी के सबसे बड़े स्टार प्रचारक हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि वो देश के सबसे बड़े क्राउड पुलर राजनेता भी हैं. कर्नाटक में विरोधियों को उन्होंने इसका अहसास भी जमकर कराया. पीएम मोदी इस बार कर्नाटक के जब चुनावी रण में उतरे तो उनके समर्थकों ने बीजेपी के उम्मीदवारों की आंखों में भी जीत की चमक पैदा कर दी और इसकी वजह है लोगों का पीएम पर कुछ इस तरह अटूट विश्वास. 13 मई को तय हो जाएगा कि कर्नाटक की सत्ता किसके पास होगी. अगर बीजेपी को जीत का ताज नसीब होता है तो एक बार फिर पीएम मोदी ही सबसे बड़े गेमचेंजर के बतौर नजर आएंगे.

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