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Karnataka Election 2023: कर्नाटक में कौन बनेगा किंग! थमा प्रचार का शोर, 10 मई को EVM में कैद होगी उम्मीदवारों की किस्मत

Karnataka Election Date: कर्नाटक में बीजेपी का चुनाव प्रचार देखें तो यह पीएम मोदी के करिश्मे, डबल इंजन की सरकार, राष्ट्रीय मुद्दों, केंद्र-राज्य सरकारों की उपलब्धियों पर फोकस्ड रहा है. वहीं कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों को उठाया. 

Karnataka Election 2023: कर्नाटक में कौन बनेगा किंग! थमा प्रचार का शोर, 10 मई को EVM में कैद होगी उम्मीदवारों की किस्मत
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Rachit Kumar|Updated: May 08, 2023, 06:32 PM IST

Karnataka Opinion Poll: कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाएंगे. आज यानी सोमवार को चुनाव प्रचार का शोर थम गया. राज्य की सत्ता पर दोबारा काबिज होने के लिए बीजेपी ने सारे दांव चल दिए हैं. वहीं कांग्रेस ने उसे पटखनी देने के लिए पूरा दम लगा दिया. राज्य की तीसरी सबसे बड़ी ताकत बने जनता दल (सेक्युलर) ने भी मतदाताओं को रिझाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.

पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत विभिन्न पार्टियों के दिग्गज नेताओं ने पिछले कुछ दिनों में राज्य के तूफानी दौरा किए हैं. कर्नाटक में सत्ता पिछले 38 साल में बदलती रही है. बीजेपी इस बरसों पुरानी परंपरा को तोड़कर दक्षिण भारत में अपने गढ़ को बचाने की कोशिश में जुटी है.

किस पार्टी ने क्या मुद्दे उठाए 

वहीं बीजेपी से सत्ता छीनने के लिए कांग्रेस ने जान झोंक दी है. 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए वह अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रही है. पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवगौड़ा की अगुआई में जनता दल (सेक्युलर) ने भी चुनाव प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ी. इस बार JDS चुनावों में किंगमेकर नहीं, बल्कि विनर बन कर उभरना चाहती है. अगर बीजेपी का चुनाव प्रचार देखें तो यह पीएम मोदी के करिश्मे, डबल इंजन की सरकार, राष्ट्रीय मुद्दों, केंद्र-राज्य सरकारों की उपलब्धियों पर फोकस्ड रहा है.

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों को उठाया. शुरुआत में उसके चुनाव प्रचार की बागडोर स्थानीय नेताओं के हाथों में थी. लेकिन बाद में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा जैसे नेता भी चुनाव प्रचार में कूद पड़े. बीते दिनों सोनिया गांधी ने कर्नाटक में चुनावी जनसभा को संबोधित किया था. JDS भी चुनाव प्रचार में स्थानीय मुद्दों को तवज्जो दे रहा है. उसके नेता एचडी कुमारस्वामी के अलावा देवेगौड़ा ने भी खूब प्रचार किया.

मोदी ने 29 अप्रैल से अब तक करीब 18 जनसभाएं और 6 रोड शो किए. चुनाव कार्यक्रम की 29 मार्च को घोषणा होने से पहले मोदी ने जनवरी से तब तक सात बार राज्य का दौरा किया था और कई सरकारी स्कीम्स और प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण-शिलान्यास किया. उन्होंने योजनाओं के लाभार्थियों से भी बातचीत की. 

बीजेपी नेताओं के मुताबिक, मोदी के पूरे प्रदेश के दौरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया है और मतदाताओं में भरोसा भरा है. पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि पीएम मोदी, अमित शाह,जे पी नड्डा समेत पार्टी के बाकी नेताओं के तूफानी चुनाव प्रचार से उसको फायदा मिलेगा. बीजेपी के एक सीनियर नेता ने तो यहां तक कहा कि मोदी-शाह ने मतदान से पहले कांग्रेस को पीछे धकेल दिया है.

बीजेपी-कांग्रेस का टारगेट 150

बीजेपी को साल 2008 और 2018 के विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने के बावजूद राज्य में अपने बूते सरकार बनाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. हालांकि, इस बार बीजेपी को पूर्ण बहुमत की उम्मीद है. उसने कम से कम 150 सीट पर जीत का टारगेट रखा है.

लेकिन अगर पलड़ा कांग्रेस के हक में झुकता है तो यह कांग्रेस के लिए मनोबल बढ़ाने वाला साबित होगा और यह उसकी चुनावी संभावनाओं में नई जान फूंकने का काम करेगा. अगर नतीजे कांग्रेस के पक्ष में रहे तो इस साल के आखिर में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावों में उसके कार्यकर्ताओं में नया जोश पैदा हो जाएगा. यह चुनाव कांग्रेस अध्यक्ष के लिए नाक की लड़ाई भी है, क्योंकि खड़गे खुद राज्य के कलबुर्गी जिले के रहने वाले हैं. कांग्रेस पार्टी ने भी 150 सीट पर जीत का लक्ष्य रखा है.

इनपुट-IANS

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