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यहां बन रही भारत की पहली अंडरवॉटर रेलरोड, 6 घंटे का सफर होगा 40 मिनट में

Brahmaputra Railroad Tunnel: भारत को जल्द ही अपनी पहली अंडरवॉटर रेलरोड टनल मिलने वाली है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक सभा को संबोधित करते हुए यह घोषणा की. इसका निर्माण ब्रह्मपुत्र नदी के अंदर किया जाएगा.

यहां बन रही भारत की पहली अंडरवॉटर रेलरोड, 6 घंटे का सफर होगा 40 मिनट में
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Gunateet Ojha|Updated: Jun 25, 2023, 07:32 PM IST

Brahmaputra Railroad Tunnel: भारत को जल्द ही अपनी पहली अंडरवॉटर रेलरोड टनल मिलने वाली है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक सभा को संबोधित करते हुए यह घोषणा की. इसका निर्माण ब्रह्मपुत्र नदी के अंदर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि सबकुछ ठीक रहा तो उनके कार्यकाल में ही रेल टनल का निर्माण शुरू हो जायेगा.

रेलमार्ग टनल का मतलब है कि इस पर रेलगाड़ियां और मोटर वाहन (कार, ट्रक, बस) दोनों चल सकते हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के अनुसार असम में पहली पानी के नीचे सुरंग नुमालीगढ़ और गोहपुर के बीच 6,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि इस संबंध में निविदाएं अगले महीने खुलेंगी. यह पूर्वोत्तर भारत में ब्रह्मपुत्र नदी को पार करने वाली पहली रेल सुरंग होगी.

असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने एक भीड़ को संबोधित करते हुए कहा, "मेरा एक सपना है, ब्रह्मपुत्र के नीचे एक सुरंग बनाना संभव होगा जिसमें रेल और मोटर दोनों को रखा जा सके." उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली में आलाकमान ने उनसे ब्रह्मपुत्र के नीचे सुरंग बनाने की व्यवहार्यता के बारे में सवाल किया था.

मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसे पहाड़ों के अंदर से अटल टनल बनाई गई है, वैसे ही ब्रह्मपुत्र के नीचे से भी टनल बनाई जाएगी. सीएम ने बताया कि इसके लिए दो अलग-अलग सुरंगें तैयार की जाएंगी. इनमें से एक पर ट्रेनें चलेंगी और दूसरे पर मोटर गाड़ियां चलेंगी.

इस सुरंग के बनने के बाद नुमालीगढ़ और गोहपुर के बीच की दूरी सिर्फ 33 किमी रह जाएगी. पहले यह 220 किमी थी और यात्रा करने में 5-6 घंटे लगते थे और पानी के नीचे रेलमार्ग सुरंग के बाद, पहुंचने में लगभग 40 मिनट लगेंगे. यह सुरंग करीब 35 किलोमीटर लंबी होगी.

असम के सीएम के अनुसार पहला टेंडर 4 जुलाई 2023 को निकलेगा. इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो भूमि चयन के लिए डीआईपीआर के संकलन के बाद उनके कार्यकाल के दौरान इस परियोजना पर निर्माण शुरू हो जाएगा. दिलचस्प बात यह है कि पीएम मोदी पहले ही ब्रह्मपुत्र के उत्तर और दक्षिण को करीब लाने की परियोजना को अपनी मंजूरी दे चुके हैं.

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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